सुभारती गौतम बुद्ध मेडिकल कॉलेज,देहरादून कि जांच ED को दी गयी।
गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यालय एवं रास बिहारी बोस सुभारती विश्विद्यालय कि जांच ED ( प्रवर्तन निदेशालय) को दी गयी।
सिर्फ नाम के लिए दिखाए गए तथा एक साथ दो जगह काम कर रहे फैकल्टी/ टीचरो की भी जांच होगी पूरी शिकायत एनएमसी को भी भेजी गयी , सभी जुड़े खातों की हो सकती है गहन जांच ?
प्रशाशन ने सरकारी जमीन से कब्जा छुड़वा कर बोर्ड लगवाया और भी बड़े खुलासे जल्दी ही।
देहरादून , सरकार और MCI को बेवकूफ बना कर मेडिकल कॉलेज खोलना और पूर्व मे भी 300 MBBS के छात्रों से धोखाधड़ी करना अब सुभारती वालो को दिन प्रति दिन झटका देते जा रहा है थोड़ा समय जरूर लगा पर दुरुस्त और सही जांच धीरे धीरे सामने आ रही है क्यूंकि जांच हाई कोर्ट के निर्देश पर मुख्य सचिव एस एस संधू के आदेश से हो रही है तो शाशन एवं प्रशासन भी चुस्त और दुरुस्त है क्यूंकि सभी को गलत रिपोर्ट देकर अपनी नौकरी खो देने का डर तो है ही सिर्फ कुछ लोगों को छोड़ कर जो दिन रात इनकी चाटुकारी में लगे रहते है।
दूसरी ओर आज मुख्यमंत्री हेल्प लाइन पर बड़ा खुलासा देने वाली रिपोर्ट प्राप्त हुई है जिसमे राजस्व विभाग की तरफ से लेखपाल ने एस डीएम् विकासनगर को जिलाधिकारी कार्यालय देहरादून से एडीएम देहरादून द्वारा भेजे पत्र के सम्बन्ध में रिपोर्ट सार्वजानिक कर जारी कि है
जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सुभारती ट्रस्ट के गौतम बुद्ध मेडिकल कॉलेज , झाझरा देहरादून ने कैंपस में लगभग 16 बीघा सरकारी भूमि कब्जे में ली हुई थी हुई थी जिसपर कब्ज़ा लेकर सरकारी बोर्ड लगाया गया है तथा सुभारती प्रकरण कि जांच प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कि जा रही है
यानी अब सुभारती प्रकरण पर लगातार खुलासे ही खुलासे होने संभव है क्योंकि सुभारती के मालिक अतुल भटनागर पर सी बी आई पहले ही संगीन अपराध में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है , इनकम टैक्स कि रेड कि जांच सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसमे अरबो कि अघोषित संपत्ति का खुलासा हुआ और अतुल भटनागर कि खास रिसेप्शनिस्ट के यहाँ से उसके नाम पर 23 करोड़ कि ऍफ़ डी मिली थी तथा अब प्रवर्तन निदेशालय पूरे घोटाले कि जांच कर रहा है तथा सूत्रों कि माने तो प्रवर्तन निदेशालय निशाने पर इनसे जुड़े इनको संरक्षण देने वाले कई नेतागण , कई अधिकारी एवं कर्मचारी भी शामिल है जिन पर जल्दी गाज गिरनी तय है
वही हाई कोर्ट के निर्देश पर मुख्य सचिव एस एस संधू द्वारा बनाई गयी जांच समिति भी जांच कर रही है जिसकी रिपोर्ट हाई कोर्ट को जानी है और कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट से / गलत रिपोर्ट देने से सभी बचना चाहते है क्यूंकि मामला प्रधान मंत्री कार्यालय तक के संज्ञान में है और चिकित्सा शिक्षा मंत्री धन सिंह ने कहा कि अब मामला मेरे संज्ञान में है तो इनके खिलाफ कड़ी कारवाही कि जाएगी चाहे बुलडोजर ही क्यों न चलना पढ़े यानी कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत जो पहले से ही श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में सुभारती वालो कि गलती कि वजह से हुई अर्थव्यवस्था तथा इनसे 72 करोड़ रुपये वसूलने हेतु वर्षो से संघर्षरत है , इनके खिलाफ कड़ी कारवाही करने का मन बना चुके है
बकौल सूत्र राज्य सरकार भी इसको धारा 167 के तहत अधिग्रहित करके स्वयं सञ्चालन कर सकती है क्यूंकि राज्य सरकार को बना बनाया मेडिकल कॉलेज मिल सकता है और सरकार बाद में इसके प्रकरण में सुधार एवं समाधान राज्य सरकार जल्दी कर सकती है और इसका श्रेय एडीएम एवं जिलाधिकारी देहरादून को जा सकता है
देखा यह है कि शाशन सुभारती के द्वारा अनिवार्यता प्रमाण पत्र लेते समय दिए गए शपथ पत्र पर क्या निर्णय लेगा क्यूंकि अनिवार्यता प्रमाण पत्र संस्था पर कोई ऋण न होने का शपथ पत्र एवं अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज होने का दिया गया था जबकि न तो संस्था अल्पसंख्यक निकली और न ही ऋण मुक्त होने का प्रमाण पत्र मिला यानि कि सब झूठ ,झूठ और सिर्फ झूठ ही निकला