बड़ा खुलासा : तो क्या सी बी आई भी बचाती है मुलजिमों को ? या CBI अधिकारी लगाते है विभाग की साख पर बट्टा !
बड़ा खुलासा :
तो क्या सी बी आई भी बचाती है मुलजिमों को ? या अधिकारी लगाते है विभाग की साख पर बट्टा !
नई दिल्ली /मेरठ/देहरादून (वॉयस ऑफ नेशन ) मनीष वर्मा : एक बड़े अनुसंधानिक केस का अवलोकन करने पर एक बड़ा खुलासा सामने आया है जिससे स्पष्ट होता है कि अपराधियों को मदद करने और उनको कोर्ट से हत्या जैसे जुर्म से माफ करवाने में सी बी आई जैसी विश्व की महानतम एवम देश की साख वाली एजेंसी के अपने ही लोग एवं इनके अधिवक्ता किस प्रकार मुलजिम को बचाने में मदद करते है ।
हालांकि वॉयस ऑफ नेशन इस प्रकरण को काफी पहले से उठाता रहा है पर मामला न्यायपालिका के पास होने के चलते ज्यादा लिखने से बचता रहा पर अब जब नया खुलासा सामने आया तो जनता और अधिकारियों तक आवाज पहुंचाना हमारा धर्म ही नही उद्देश्य भी सच्ची पत्रकारिता का द्योतक है अत किस प्रकार अपराधी अपराध करके एजेंसी के लोगो से साथ गांठ करके बचते है यह सबूत सहित समझिए :
1.मेरठ में हुई हत्या के आरोपी सुभारती विश्विद्यालय के डॉक्टर अतुल भटनागर के खिलाफ वर्ष 2006 में एफ आई आर संख्या 171 / 2006 Date 15.06.2006 थाना सदर, मेरठ में दर्ज होती है
2. माननीय न्यायालय के आदेश से अतुल भटनागर के खिलाफ सी बी आई जांच के आदेश होते है
3. सी बी आई जांच होती है और सी बी आई भी अपने यहां एफ आई संख्या Case Crime No. RC.1(S)/2008/SCB-II/ Delhi दर्ज कर जांच आरंभ करती है और हत्यारोपी अतुल भटनागर सहित 5 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करती है यानी आरोपी मानती है
4. 13 दिसंबर 2010 को सी बा आई मान लेती है की ये हत्या में शामिल है और आरोप पत्र दाखिल करती है और इनके वारंट इशू होते है हत्या आरोपी सुभारती का संचालक डॉक्टर अतुल भटनागर इलाहाबाद हाई से अपने अरेस्ट पर स्टे ले आता है जो की दिनांक 3 नवंबर 2015 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ( 5 वर्ष बाद ) खारिज कर देता है
देखिए ऑर्डर :
5. अब हत्या आरोपी सुभारती का संचालक डॉक्टर अतुल भटनागर उस इलाहाबाद हाई कोर्ट के स्टे खारिज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में बड़े और नामी वकील स्व राम जेठ मलानी को खड़ा करके फिर से अरेस्ट स्टे ले लेता है जिसे आज की तिथि तक कभी सी बी आई के वकीलों ने हटवानें की जरूरत नही की और डेंट पे डेट ….डेट पे डेट…….डेट पे डेट……..लगवाते रहे।
असली खेल
अब हत्या आरोपी सुभारती का संचालक डॉक्टर अतुल भटनागर अपराधी तो बड़ा शातिर है तो अपराधी ने इन डेट पर डेट के दौरान जहां ट्रायल केस ( सी बी आई ) कोर्ट गाजियाबाद में अपना अरेस्ट स्टे लगाकर इतना समय बिता दिया कि कोर्ट को कहना पड़ा की इनके अरेस्ट स्टे के चलते बाकी 5 मुलजिमों की सुनवाई भी नही हो पा रही है जबकि ट्रायल स्टे नही था (यानी ट्रायल पर रोक नहीं थी) सिर्फ अतुल भटनागर का अरेस्ट स्टे था ( सिर्फ गिरफ़्तारी पर रोक थी )
देखिए ऑर्डर :
अब इस शातिर अपराधी सुभारती संचालक डॉक्टर अतुल भटनागर ने अपना केस सेशन ट्रायल में लगवा कर एक अर्जी दी की केस पुराना हो चुका है और इसकी कोई गलती नही है और कोर्ट को गुमराह करते हुए केस में कहा कि बॉन्ड लेकर इसको छोड़ दिया जाए पर ईमानदार न्याय प्रिय जज ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरा प्रकरण ध्यान से पड़ा और पाया की इसके तो सिर्फ अरेस्ट पर स्टे है ट्रायल पर नही तो वापिस इसको उसी न्यायालय में ट्रायल पर उपस्थित होने को आदेश दे दिया
देखे आदेश
अब सवाल यह उठता है कि सी बी आई के वकील और अधिकारी सो रहे थे क्या जो उनकी आंखों के नीचे इतना सब हो गया और अपराधी ने बचने नायब तरीका निकाला जो की बिना सी बी आई के अधिवक्ता या अधिकारी के बिना संभव नहीं था । पर विद्धान न्यायप्रिय जज के सामने ये महाशय पकडे गए
आगे की जांच के आदेश क्या नव नियुक्त सी बी आई निदेशक करेंगे ???
क्योंकि अपराधी यही नहीं रुका है 2015 से अरेस्ट स्टे लेने के बाद इस केस के गवाहों को भी काबू कर चुका है और साथ ही अन्य 4 हत्याओं में भी इसका जो की इसके संस्थान के भीतर और आस पास हुईं ,इसमें नाम आ रहा है ? एक मरीज को तो रेमडेसिवर इंजेक्शन के नाम पर पानी लगा दिया गया जिसकी तत्काल मृत्यु हो गई जिसमें इन्होंने मेरठ के एस एस पी पर आरोप लगा दीजिए जबकि मेरठ एस एस पी सही दिशा में जांच कर रहें थे । और सबसे बड़ी हत्या तो उक्त पुराने मर्डर केस में चले आ अहम् गवाह रहे हरिओम आनंद की हत्या है जिसकी एफ आई आर दर्ज हुई क्योंकि हरिओम आनंद की गवाही अतुल भटनागर को सजा ए मौत से नही रोक सकती थी इसलिए संदिग्ध परिस्थितियों में सुसाइड नोट बरामद हुआ पर हत्या की गुत्थी नही सुलझी
देखे लिंक और एफ आई आर :
See Link Of Simple Water Injection Given to Patient and Charged for Remdesiver (Patient DIED )
देखिये और पढ़िए राष्ट्रीय समाचार पत्रों की सुर्खिया जो आपराधिक कृत्य इस अपराधी अतुल कृष्णा भटनागर ने किये :-
COMING NEXT ………
अगला खुलासा होगा कि कैसे तिब्बती नाम के ट्रस्टी को ट्रस्ट में शामिल करके उसके नाम से अपनी फर्जी यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान में शामिल करवाने का आदेश आयोग से लेकर अरबो रुपये यूनेस्को और भारत सरकार एवं राज्य सरकार के विभागों से खाने और चूना लगाने का खेल
इससे पहले भी समाज कल्याण विभाग करोर्ड़ो के फीस घोटाले में कर चुका है सुभारती को ब्लेक लिस्टेड पर फिर भी डकार गए करोडो
देहरादून के सुभारती झाझरा, नंदा की चौकी में क्या हुआ घोटाला ? कोर्ट स्टे के दौरान कैसे बनी उत्तराखंड की फर्जी सुभारती यूनिवर्सिटी ? कहाँ लंबित है मामला ?
उत्तराखंड सरकार ने लेना है एक अरब रुपये सुभारती से जुर्मानें की रकम और कब होगी वसूली ?
और होगा एक ऐसा खुलासा जिसमे आप पढेंगे कि डिस्टेंस एजुकेशन अपने राज्य के सिवा कही अन्य किसी राज्य में नहीं चल सकते पर हम आपको दिखाएँगे कि कितने छात्रों का भविष्य इन्होने किया अधर में और कितना बड़ा हुआ UGC से मिलकर घोटाला
और क्या हुआ सुभारती मेडिकल कॉलेज की MCI के निरिक्षण के दौरान झूठे मरीज और टीचर और फर्जीवाडा की हुई सी बी आई की जांच में
धन्य है हमारी सरकारे और देश जो अपराधियों को संरक्षण प्रदान किये जा रही है