मुख्यमंत्री सचिवालय/हेल्पलाइन को गुमराह करते एल 1 तथा एल 2 स्तर के अधिकारी और एल 3 मौन । माफियाओं के आगे नतमस्तक ? मुख्य सचिव भी मौन क्यों ?

ROME WAS BURNING AND NERO WAS FIDDLING ” ?

देहरादून : जिस प्रकार वॉयस ऑफ नेशन की पिछली खबर पर सितंबर से लंबित शिकायत संख्या 375297 पर मुख्यमंत्री कार्यालय,हेल्पलाइन, शासन तथा प्रशासन हरकत में आया और 2 दिवस के भीतर पिछले 9 माह से लंबित मामले को निबटाने के आदेश जारी हुए थे परंतु उसके बाद न तो हेल्पलाइन में कुछ हुआ और न ही शासन, L3 स्तर के अधिकारी और न ही सूचना के अधिकार के तहत जवाब दिया जा रहा है उल्टा मामले को एक दूसरे के पाले में डाल कर इतिश्री करी जा रही है

यहां तक की स्वयं मुख्यसचिव का कार्यालय भी अपना पल्ला झाड़ते दिखा है जबकि जांच माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर मुख्य सचिव द्वारा ही अपर सचिव अरुणेद्र सिंह चौहान,अपर जिलाधिकारी देहरादून,वित्त अधिकारी विवेक स्वरूप तथा निदेशक डा आशुतोष सायना के तत्वाधान में बैठाई गई थी जिसकी रिपोर्ट एक माह में मुख्य सचिव को सौंपनी थी और 6 हफ्ते के भीतर उच्च न्यायालय को जानी थी ,

परंतु आज माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को 10 माह और जांच समिति को 9 माह हो गए है और रिपोर्ट की कॉपी उपलब्ध नही करवाई जा रही है जबकि पूरे मामले पर प्रवर्तन निदेशालय की जांच भी बैठ गई है और ED ने अपने संबंधित 12 विभागो को अलर्ट जारी किया है ।

एक ओर जहां युवा मुख्यमंत्री जीरो टॉलरेंस पर दिन रात काम कर रहे है वही ये सब लोग मुख्यमंत्री की साख पर बट्टा लगाने की कोशिश कर रहे है जबकि निकट भविष्य में अहम चुनाव होने है ।

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हालांकि सी एम् हेल्पलाइन को तो जो रिपोर्ट एल 1,2,3 अधिकारियो द्वारा भेजी जाती है वो सी एम् हेल्पलाइन के अधिकारी अपलोड कर देते है परन्तु सी एम् हेल्पलाइन को ही गलत रिपोर्ट दे दी जा रही है यानी मुख्यमंत्री को ही गुमराह किया जा रहा है क्यूंकि मुख्यमंत्री स्वयं सी एम् हेल्पलाइन 1905 को हर 15 दिन में मॉनिटर कर रहे है सी एम् हेल्पलाइन को इस मामले से सम्बंधित पटवारी शोभा राम जोशी ने ऐसे ही खानापूर्ति वाला विभाग की संज्ञा दी है जो बड़ा अचंभित कर देने वाला बयान है , मुख्यमंत्री को चाहिए ऐसे दो – चार भ्रस्टाचार और गलत रिपोर्ट देने वालो को तत्काल ससपेंड करे जिससे गलत रिपोर्ट देने वालो को सन्देश जाये जिससे बाकी लोग भी मुख्यमंत्री हेल्पलाइन को मजाक न समझे

सवाल उठता है कि सारी सुविधाएं इस विवादित संस्था या उसके संचालक अतुल भटनागर एवं उसके पार्टनर यशवर्धन रस्तोगी जिसपर हत्या के आरोप में सी बी आई ने आरोप पत्र दाखिल किया हो और गाजियाबाद हाई कोर्ट ने चार्ज बना कर ट्रायल शुरू कर दिया हो तो, पहले तो 100 रुपये के शपथ पत्र अरुणेंद्र सिंह चौहान/पंकज पांडेय आईएएस द्वारा 72 करोड़ वसूली आज तक नही की गई और टाल दिया गया तथा शाशानादेश के विरुद्ध भूमि प्रयोग की गई तो रिपोर्ट का खुलासा क्यों नहीं किया जा रहा ? वही अरुणेंद्र सिंह चौहान समिति के अध्यक्ष भी है और धारा 167 कि करवाही क्यों नहीं की जा रही ? DM देहरादून भी मौन है जबकि शासन में अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा रहते उन्होंने इस मामले में जांच करने से मना कर दिया था

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तथा 167 के तहत अधिग्रहण क्यों नहीं किया जा रहा ? क्या नियम कानून आम जनता के लिए है ? अपराधियों के लिए नहीं ? 72 करोड़ जितनी बड़ी रकम की वसूली नहीं कर रहे और आम आदमी को 50 हजार के लिए जान निकाल देते है और बिजली , पानी काट देते है , नियम विरुद्ध रेसॉर्ट तोड़ दिए गए तो इस अपराधी और हत्यारोपी का नियम विरुद्ध निर्माण और कार्य क्यों नहीं सील किया जा रहा ??

पूरे उत्तराखंड में नियम लागू क्यों नहीं कर देते की जिसने जो भी सरकार पैसा देना है, सब 100 का शपथ पत्र दे जाओ की जब होंगे तब दे देंगे , सरकार मांगने भी नहीं आएगी

सूत्रों की माने तो ED की जद में भ्रष्टचारी अफसर नप सकते है और मामले में बड़ा खुलासा हो सकता है ।

मामले में पटवारी सहित तहसीलदार कार्यालय के कर्मचारी का मामले में भारी भ्रटाचार होने का कथन किया जो रिकॉर्ड पर आ गया है ADM, DM, देहरादून और ED को भेज दिया गया है

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