सुभारती मेडिकल कॉलेज ने फर्जी अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र बना बौद्ध धर्म का दिखा कर 17 छात्रों को दिया MBBS में दाखिला, अब बुरे फंसे कॉलेज संचालक । सरकार की जाँच में हुआ खुलासा ।
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड सुभारती मेडिकल कॉलेज की मान्यता होगी रद्द ?
सुभारती मेडिकल कॉलेज ने फर्जी अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र बना बौद्ध धर्म का दिखा कर 17 छात्रों को दिया MBBS में दाखिला, अब बुरे फंसे कॉलेज संचालक । सरकार की जाँच में हुआ खुलासा ।
अल्पसंख्यक कोटे से MBBS एडमिशन में बड़ा घोटाला सामने आया है। डॉक्टर बनने के लिए कैंडिडेट्स ने बौद्ध धर्म अपना लिया। जिलों से बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट भी बनवा लिया। मेरठ के सुभारती यूनिवर्सिटी में ऐसे ही 20 मामले सामने आए हैं। शिकायत के बाद जांच कराई गई तो पूरा मामला सामने आया ।
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चिकित्सा शिक्षा विभाग ने गुरुवार को वेबसाइट पर नोटिफिकेशन डाला कि फर्जी अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र लगाने वाले कैंडिडेट्स पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सभी के एडमिशन निरस्त किए जाएंगे। इसके बाद 4 कैंडिडेट ने अपनी सीट सरेंडर कर दी। शुक्रवार देर रात बैठक के बाद बचे हुए कैंडिडेट्स के एडमिशन निरस्त करने का फैसला लिया गया है। पूरे मामले की हाई लेवल जांच कराने की बात कही गई है।
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यूपी में MBBS के एडमिशन की काउंसिलिंग चल रही है। इसी दौरान यह घोटाला सामने आया है। इसमें यूनिवर्सिटी पर 40 से 50 लाख रुपए डोनेशन लेकर एडमिशन देने का भी आरोप है।
सुभारती वाले अपने को बौद्ध अल्पसंख्यक प्राइवेट यूनिवर्सिटी बताते है अल्पसंख्यक कोटे को लेकर सुभारती विश्वविद्यालय और चिकित्सा शिक्षा विभाग के बीच हाई कोर्ट उत्तर प्रदेश की डबल बेंच ने निर्णय दिया कि अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज के संचालकों को पहले दिन से ही अल्पसंख्यक होना चाहिए कि बीच सेशन में बौद्ध धर्म अपनाकर संस्था को बौद्ध धर्म का संस्थान नहीं बता सकते जिस पर सुप्रीम कोर्ट में केस चला। कोर्ट से सुभारती विश्वविद्यालय को अंतरिम राहत के तौर पर 50% अल्पसंख्यक कोटे की सीट भरने का आदेश जारी दिया ।
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सुभारती विश्वविद्यालय में MBBS की 200 सीट हैं, जिनमें से 100 सीटें अल्पसंख्यक कोटे के लिए रिजर्व की गईं। अल्पसंख्यक कोटे में मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी और सिख आते हैं।
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वाॅट्सऐप पर आई शिकायत, तब खुला मामला पहले चरण की काउंसिलिंग में सुभारती मेडिकल यूनिवर्सिटी में 22 एडिमशन अल्पसंख्यक कोटे से होने थे। 20 कैंडिडेट ने एडमिशन इस कोटे के तहत लिए। सभी कैंडिडेट ने बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट लगाया। इसकी वॉट्सऐप पर किसी ने शिकायत चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक से की। लिखा- उत्तर प्रदेश में मेडिकल के छात्रों की काउंसिलिंग में अल्पसंख्यक दर्जे के नाम पर बड़ा घोटाला चल रहा है। मेरठ के सुभारती विश्वविद्यालय में बौद्ध अल्पसंख्यक के नाम पर ट्यूशन फीस और अन्य शुल्क के अलावा लाखों रुपए लेकर सामान्य उम्मीदवारों को सीट दी जा रही है। इसमें कौर और मित्तल सरनेम वाले उम्मीदवारों को अल्पसंख्यक कोटे से एडमिशन दिए जा रहे हैं। 40 से 50 लाख रुपए डोनेशन लिए गए हैं।
जांच हुई तो पूरा मामला खुला चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक किंजल सिंह ने पूरे मामले की जांच कराई। सुभारती मेडिकल यूनिवर्सिटी में अल्पसंख्यक कोटे से बौद्ध धर्म से जुड़े लोगों के एडमिशन हुए हैं। सभी के सर्टिफिकेट मंगाए गए। जांच में यह भी पता चला कि सभी सर्टिफिकेट हाल ही में जारी किए गए हैं। जिन कैंडिडेट्स ने बौद्ध सर्टिफिकेट लगाए हैं, सभी हिंदू हैं और संपन्न परिवार के हैं।
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ये सभी सर्टिफिकेट मेरठ, बिजनौर, सहारनपुर, गौतमबुद्ध नगर, प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, मुजफ्फरपुर और हापुड़ जिले से जारी किए गए थे। महानिदेशक किंजल सिंह ने इन जिले के डीएम को सर्टिफिकेट की जांच के लिए आदेश किया। आदेश की एक कॉपी अल्पसंख्यक विभाग के डायरेक्टर को भी भेजी गई है।
सभी जगहों के डीएम ने माना-गलत तरीके से जारी किए सर्टिफिकेट आदेश के बाद सभी जिलों के डीएम ने माना है कि सर्टिफिकेट गलत तरीके से जारी किए गए हैं। इनमें नियमों का पालन नहीं किया गया। वाराणसी को छोड़कर सभी डीएम ने कैंडिडेट्स को जारी सर्टिफिकेट कैंसिल करने का आदेश दे दिया है। वाराणसी के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारी छुट्टी पर हैं। इसलिए वहां से जारी एक सर्टिफिकेट कैंसिल नहीं किया गया है।अब जिले स्तर पर जांच हो रही है कि इनके सर्टिफिकेट कैसे जारी हो गए।
अब जानिए फर्जीवाड़ा कहां हुआ? बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट लगाकर अल्पसंख्यक कोटे से एडमिशन पाने वाले सभी हिंदू धर्म से हैं। एडमिशन के लिए इन्होंने बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट तैयार करा लिया। ये सर्टिफिकेट डीएम, एसडीएम और अल्पसंख्यक अधिकारी के यहां से जारी हुए हैं, लेकिन इसमें उत्तर प्रदेश के विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन एक्ट 2021 का पालन नहीं किया गया है। जांच के दौरान धर्म परिवर्तन के दो नियमों का पालन नहीं किया गया है।
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