Uttarakhand  : पदोन्नति में हुआ ज्येष्ठता एवम एरियर का बड़ा घोटाला  । पढ़िए पूरी खबर

"दिनांक 1.1.1996 से शाशनादेश दिनांक 29.06.2006 के आधार पर लेखाकार के पद पर मौलिक नियुक्ति की तिथि निर्धारित की जाएगी जो किसी भी दृष्टिकोण से पूर्वगामि तिथि ( Back Date ) से अनुमन्य नही होगी "

देहरादून : वॉयस ऑफ नेशन (मनीष वर्मा )प्रमोशन किसको अच्छा नहीं लगता परंतु सरकार /शासन द्वारा लागू नियम कानून के तहत हो तो ।
उत्तराखंड के एक विभाग में प्रमोशन में बड़ा खेल हो गया और प्रमोशन पाने वालों का पत्र भी कल जारी हो गया पर बड़ा सवाल यह उत्पन्न हो गया कि नियम ,कानून, पॉलिसी, वर्तमान में लागू शाशनादेश महत्वपूर्ण है या सेटिंग और गैटिंग ?
आइए आपको सच्चाई एवम वस्तु स्तिथि से अवगत करवाते है ।
हुआ यूं कि नारायण दत्त तिवारी सरकार की कैबिनेट में पास होने के बाद 29 जून 2006 को कोषागार लेखाकार तथा सहायक कोषागार लेखाकार के पदो  का 80:20 के अनुपात में विभाजन हेतु शाशनादेश संख्या 223/xxxvii (6)/2006 के अनुसार ” मौलिक रूप से नियुक्त सहायक लेखाकारो को इस रूप में तीन वर्ष की सेवा करने तथा विभागीय परीक्षा  प्रथम पास करने पर इस प्रतिबंध के साथ लेखाकार पदनाम व रुपए 5500-9000 का वेतनमान अनुमन्य किया जाय कि किसी भी समय लेखाकार के पद धारकों की संख्या सहायक लेखाकार तथा लेखाकार के पदो की सम्मिलित संख्या के 80:20 प्रतिशत से अधिक न हो
इसी शासनादेश में यह लिखा है कि 
“दिनांक 1.1.1996 से शाशनादेश दिनांक 29.06.2006 के आधार पर लेखाकार के पद पर मौलिक नियुक्ति की तिथि निर्धारित की जाएगी जो किसी भी दृष्टिकोण से पूर्वगामि तिथि ( back date ) से अनुमन्य नही होगी ”
परंतु शाशनादेश संख्या 140935 दिनांक 26 जुलाई 2023 की अधिसूचना प्रकीर्ण  में उक्त शाशनाद 29 जून 2006 को नजर अंदाज एवम विलोपन करते हुए निदेशालय कोषागार ,पेंशन एवं हकदारी, उत्तराखंड देहरादून के द्वारा कार्यालय ज्ञाप संख्या 35286 दिनांक 12 सितंबर 2023 को कोषागार अधीनस्थ संवर्ग सेवा( संशोधन नियमावली 2023) के अनुपालन में सहायक कोषाधिकारी की संयुक्त प्रदेश स्तरीय पारस्परिक अंतिम कोटी क्रम सूची जारी कर दी गई जिसमे उल्लिखित कर्मिको को मौलिक नियुक्ति की तिथि के बजाय पूर्व गामी तिथि से ज्येष्ठता का लाभ  एवं करोड़ों रुपए की एरियर की धनराशि की बंदर बांट कर दी गई जो की शासनादेश दिनांक 29 जून 2006 के प्रविधानों के विपरित है ।
इस संबंध में श्रीमती राधा रतूड़ी सचिव वित्त उत्तराखंड शासन देहरादून के द्वारा भी जारी पत्र संख्या 15 दिनांक 2008 में रिट पिटीशन संख्या 679/2007 गणेश दत्त रमोला बनाम राज्य सरकार Ganesh Ramola versus State and Another में आदेश जारी किए है की शासनादेश दिनाक़ 29.06.2006 के प्रस्तर 2 में उल्लिखित शर्तो के आधार पर मौलिक नियुक्ति की तिथि का निर्धारण किया जाएगा ।
इसी शासनादेश दिनांक 29.06.2006 को लेकर एक अधिकारी ने माननीय उच्च न्यायालय Uttrakhand High Court में भी रिट पिटीशन संख्या एस एस 679/2007 गणेश दत्त रमोला बनाम राज्य दाखिल की जिसमे  में भी यही आदेश सही पाया गया कि उक्त शाशनादेश दिनांक 29.06.2006  यथावत लागू रहेगा तथा तत्कालीन सचिव वित्त ने 15 जनवरी 2008 को इसी शासनादेश के यथावत  रहने के आदेश जारी हुए ।
देखिए शाशनादेश : 
इसके बाद 25 अगस्त 2014 को भी निदेशक रमेश चंद अग्रवाल ने पत्र जारी किया की शाशनादेश दिनांक 29 जून 2006 का अनुपालन इस व्यवस्था के लिए सुनिश्चित करे ।
देखिए पत्र :
    

दिनांक 2 सितंबर 2014 को पुनः निदेशक कोषागार एवम वित्त सेवाएं उत्तराखंड ने एक और रिमांइडर एवम पत्र जारी किया कि पूर्वगामी तिथि से प्रमोशन किए गए कार्मिकों से एरियर के रूप में भुगतान की गई राशि को ( करोड़ों रुपयों को ) वसूल किया जाए क्योंकि प्रमोशन गलत किए गए तथा वार्निंग भी दी गई की भविष्य में इसकी पुनरावृति न हो ।

देखिए पत्र :
इसके बावजूद भी विभाग द्वारा उत्तराखंड शासन के वित्त अनुभाग 6 की अधिसूचना /प्रकीर्ण संख्या 140935/xxxvii(6)/ई -20250/2023 दिनांक 26 जुलाई 2023 संशोधन के अनुपालन में सहायक कोषाधिकारियो को संयुक्त प्रदेश स्तरीय अंतिम कोटिक्रम सूची वर्ष 2023 जारी कर दी गई ।
देखिए सूची :
असल में खेल यही हुआ जो आप पाठक गण पढ़ कर समझ जायेंगे ।
देखिए अधिसूचना दिनांक 26 जुलाई 2023 
उक्त अधिसूचना देखने से ही स्पष्ट हो जाता है कि बिंदु संख्या 4 में स्पष्ट लिखा है कि “मौलिक रूप से नियुक्त सहायक कोषाधिकारी के पद पर प्रदेश स्तरीय एक ज्येष्ठता सूची उत्तराखंड सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली,2002 के प्रविधानो के अधीन रहते हुए निदेशक,कोषागार,पेंशन एवं हकदारी ,उत्तराखंड द्वारा तैयार की जाएगी “
परंतु एक बहुत बड़ा खिलवाड़ करते हुए  शासनादेश 29/6/2006 को गायब करते हुए अधिसूचना दिनांक 26 जुलाई 2023 के आधार पर पूर्वगामी तिथि ज्येष्ठा एवम एरियर का लाभ अनुमन्य कर दिया गया ।
वॉयस ऑफ नेशन जिस समाचार को प्रकाशित कर रहा है उसकी पुष्टि तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल तथा हैड SIT, उत्तराखंड के द्वारा प्रस्तुत जांच दिनांक 6 सितंबर 2019 की गई हैं जिसमें उनके द्वारा यह संस्तुति की गई है की उक्त प्रकरण में सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी, जालसाजी ,धोखाधड़ी,फर्जीवाड़ा वा घोटाला कर राजकोषीय खजाने को भारी नुक्सान पहुंचाया जाने संबंधी कतिपय उल्लेखित आरोपों के प्रकरण को शासन स्तर से निर्णय लिया जाना उचित होगा ।
देखिए SIT रिपोर्ट :
अब मौलिक रूप से नियुक्त सहायक कोषाधिकारी के पद का विवरण एवम नियमावली तो 29 जून 2006 को राज्य कैबिनेट ने पास करते हुए जारी कर दी थी तो 2002 का हवाला दिया जाना अनुचित हुआ और जब तक शाशनादेश 29 जून 2006 के अवक्रमित नही हो जाता तब तक  26 जुलाई 2023 शून्य हुआ ।
अब देखिए कैसे हुए कल प्रमोशन :
कौन ही इस सब खेल का रचने वाला और शामिल ?
जी हां आप सबके मन में यह यक्ष प्रश्न जरूर जागृत हुआ होगा कि इतना बड़ा खेल और करोड़ों का भुगतान हो चुका और निदेशक के कई बार लिखने पर भी रिकवरी क्यो नही हो रही तो इस भ्रष्टाचार का   “केंद्र बिंदु ” और “मुख्य कारण ” है भ्रष्टतम अधिकारी अरुणेंद्र सिंह चौहान जो कि शासन में मलाईदार और ऐसे पद लिए बैठा था जिसको यह पता था कि इन सभी भ्रष्टाचार की  शिकायत इसके पास ही आयेगी क्योंकि यह अपर सचिव , सुराज एवं भ्रष्टाचार था साथ ही ITDA, हिल्ट्रॉन और बाद में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन का कर्ता धर्ता बन बैठा और बाद में आयुष्मान का भी उत्तराखंड का सर्वे सर्वा बन बैठा।
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देखिए इसकी नियुक्तियां :
इस भ्रष्ट अधिकारी ने जितना बट्टा ईमानदारी से और सुशासन से सरकार चला रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार  को लगाया उतना शायद आज तक किसी मुख्यमंत्री को नहीं लगा होगा क्योंकि इसकी नियत पहले दिन से ही अपने पूर्व आका सारंगी से जुड़ी थीं और उनके  निर्देश पर ये लोग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ काम कर रहे थे और उनको हरवाने में इनका बहुत बड़ा योगदान था परंतु इनको यह नहीं पता था कि हार कर जितने वाले को पुष्कर सिंह धामी यानी धाकड़ धामी कहते है ।
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अब देखना यह है कि इस खबर के बाद इस भ्रष्टतम अधिकारी जो वर्तमान में कोषागार में अपर निदेशक बना बैठा है, सरकार इसके खिलाफ करोड़ो की राशि लुटवाने पर क्या करवाही करती है क्योंकि सीबीआई  का पत्र तो अभी तक पेंडिंग है ही और विजिलेंस  की जांच में इसके खिलाफ हेरा फेरी, जालसाजी की पुष्टि हो ही चुकी है यहां  यह भी बताया जाना उचित है कि उक्त भ्रष्ट अधिकारी के विरुद्ध राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में अरुणेंद्र सिंह चौहान के कार्यकाल में घोटाले का जिन्न बोतल से कभी भी बाहर आ सकता है जिसकी तैयारी में सरकार है  जिसकी जांच अब ईमानदार और उच्च छवि के अधिकारी  डा. वी.षणमुगम IAS के  पाले में है ।
देखिये अरुणेंद्र सिंह चौहान के भ्रष्टाचार से सम्बंधित लंबित जांच और मामले :-
CBI Letter
President Secretariat Letter
SP Crime Report
Vigilence report
यहाँ यह भी अब देखना उचित होगा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जो सन्देश भारतीय प्रशासनिक अधिकारियो ( IAS ) को दिया गया है कि वे भ्रष्टाचार एवं गंभीर वित्तीय घोटालो कि खबरों का स्वत: ही संज्ञान लेंगे, उत्तराखंड राज्य में कौन से आईएएस अधिकारी इस खबर का संज्ञान लेते है।
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