भ्रष्टाचार पर सख्त धामी : PCS निधि यादव और राम विलास के बाद क्या मुख्यमंत्री आय से अधिक सम्पत्ति के अन्य आरोपी अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान की भी विजिलेंस जांच बैठाएंगे ? राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री कार्यालय, सीबीआई से आया पत्र कहाँ और किसने दबाया ?
वैसे देर आये दुरस्त आये मुख्यमंत्री क्यूंकि मंत्री धन सिंह रावत की नाक के नीचे सब खेल हो रहा था वॉयस ऑफ़ नेशन काफी समय से भ्रष्टाचार को कई बार लिख चुका था और धामी की अंदर खाने दूसरी लॉबी से मिलकर गद्दी हिलाने की कोशिश करने वाले अरुणेंद्र सिंह चौहान को धामी ने सारे पदों से पैदल तो कर दिया पर जो जांच उनके खिलाफ राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री और सीबीआई से आयी है उनको भी खोज निकाल कर तत्काल विजिलेंस को देना होगा !
PCS निधि यादव और राम विलास के बाद क्या मुख्यमंत्री आय से अधिक सम्पत्ति के अन्य आरोपी अपर सचिव और खंडूरी के खास अरुणेंद्र सिंह चौहन की भी विजिलेंस जांच बैठाएंगे ? राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय, सीबीआई से आया पत्र कहाँ और किसने दबाया ?
Letter from CBI to State Govt
Letter from President of India
हाल फिलहाल या पिछले काफी समय से बात करे तो शिक्षा विभाग , उच्च शिक्षा विभाग , चिकित्सा शिक्षा विभाग किसी न किसी विवाद में घिरा नजर आया है
वही बात करे चिकित्सा शिक्षा का तो डा जगत नारायण सुभारती चेरिटेबल ट्रस्ट के अतुल भटनागर एवं यशवर्धन रस्तोगी पर वर्ष 2018 में 300 MBBS के छात्रों से धोखाधड़ी करने के आरोप में 97 करोड़ रुपए इसलिए आरोपित की गए थी उन 300 छात्रों की पढ़ाई लिखाई ,प्रोफेसरों की पांच साल की अतिरिक्त तन्खा एवं आर्थिक बोझ जो राज्य सरकार के ऊपर पड़ा और गरीब राज्य को यह दंश बेवजह फर्जीवाड़े के चलते झेलना पड़ा राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 97 करोड़ कि पेनल्टी लगाई थी जो आज तक 2018 से वसूल नहीं हो पायी है
इस संस्था से अब भी 72 करोड़ रुपये सरकार को लेने है परन्तु इस ओर कई बार ध्यान इंगित करने पर भी कोई कारवाही नहीं हुई अपितु इस संस्था से पैसा वसूलने के बजाय इस संस्था को राष्ट्रिय स्वास्थ्य मिशन से 4 करोड़ का भुगतान कर दिया गया जबकि अपर सचिव, चिकित्सा शिक्षा , स्वास्थ्य एवं मिशन के सीईओ अरुणेंद्र सिंह चौहान के संज्ञान में यह पूरा मामला था और इनको संस्था के 72 करोड़ रुपये में से 4 करोड़ रुपये काटने चाहिए थे अथवा रोकने चाहिए थे जो आज तक 2018 से वसूल नहीं हो पायी है
परन्तु इस बंद चले आ रहे अस्पताल को 4 करोड़ रुपये का और भुगतान कर दिया गया तथा बड़ा सवाल यह उठ गया है कि 2011 से 2016 तक अस्पताल चला ही नहीं और 2017 से 2019 सरकार ने इस पर रोक लगा दी और बंद , कोर्ट ,कचहरी आदि चल रहा है और सरकारी रिपोर्ट स्पष्ट दर्शा रही है कि अस्पताल 2017 से दिसंबर 2020 तक क्रियाशील ( 2 वर्षो से ) नहीं है और जून 2020 का RTI में प्राप्त यह पत्र दर्शा रहा है कि लगभग 4 करोड़ का भुगतान इस संस्था किया गया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आते है कि बंद अस्पताल को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना और आयुष्मान योजना का भुगतान कैसे हुआ ?
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हाई कोर्ट के आदेश पर मुख्य सचिव को गलत जांच रिपोर्ट देने पर वित्त अधिकारी विवेक स्वरूप,अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान सस्पेंड होंगे ?https://voiceofnationnews.com/cs-will-suspend-these-officers/
तथा इसी संस्था राज्य सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग , ननुरखेड़ा, सहस्त्रधारा रोड से अब तक कई करोड़ रुपये ESI योजना एवं MSBY योजना , आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा करके
मिला हो इसकी भी जांच आवश्यक है अथवा ले चुकी हो ? जबकि निदेशक स्वास्थ्य तथा तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव अमित सिंह नेगी कि आख्या एवम रिपोर्ट है कि अस्पताल दो साल से क्रियाशील ही नही है
देखे निदेशालय की जांच समिति का पत्र और देखे तत्कालीन सचिव अमित सिंह नेगी का पत्र :
देखे अस्पताल क्रिया शील नहीं होने कि सरकारी रिपोर्ट :-
उल्टा बंद अस्पताल को उनके मिशन द्वारा 4 से 10 करोड़ का भुगतान कर दिया गया जबकि निदेशक चिकित्सा शिक्षा और तत्कालीन सचिव चिकित्सा की रिपोर्ट कहती है की अस्पताल एवं कॉलेज को बंद कर सम्पत्ति सीज़ कर दी गयी थी तो अब सवाल यह उठता है की यह पैसे की बंदरबांट कहा हुई जबकी पैसे की वसूली की जानी थी यहाँ उल्टा बंद अस्पताल को भुगतान कर दिया गया
देखिये पेनल्टी लगाने और सम्पत्ति अटैच करने का आईएएस अधिकारी युगल किशोर पंत , निदेशक, चिकित्सा सिक्षा का आदेश :
यही नहीं जब माननीय उच्च न्यायलय नैनीताल ने सुभारती की संपत्ति और घोटालो की जांच के आदेश दिए तो मुख्य सचिव के यहाँ से अरुणेंद्र सिंह जांच कमिटी का अध्यक्ष बन बैठा कर अपने खास वित्ताधिकारी विवेक स्वरुप को कमिटी में रखवाया और अपने कृपा पात्र डा आशुतोष सायना को भी कमिटी में रखवाया एक ईमानदार अफसर ADM देहरादून के के मिश्रा भी कमिटी थे जिन्हे अपनी गलत रिपोर्ट को सही करवाने के लिए दबाब बनाया गया और इन सबने गलत रिपोर्ट पर हस्क्षार करवाए गए करवाए गए
क्या था मामला :
मामला यह था की अरुणेंद्र सिंह चौहान ने अपर सचिव चिकित्सा सिक्षा रहते एक करोड़ रूपये लेकर बंद पड़े हॉस्पिटल को आयुष्मान योजना से करोडो रूपये दिया और उसी पैसे में अपना हिस्सा लेकर गौतम बुध सुभारती चिकत्सा महाविद्यालय ( अल्पसंख्यक केवल ) खोलने हेतु पत्रावली उसी संस्था का नाम बदल (पुराना नाम डा जगत नारायण सुभारती ट्रस्ट जिस पर 97 करोड़ पेनल्टी लगी थी और सम्पत्ति अटैच की गयी थी ) कर चलायी और बिना निदेशालय की जांच समिति की रिपोर्ट को पत्रावली पर लिए एवं उसका अवलोकन किये ऊपर ही ऊपर उसका अनुमोदन करवा दिया जिसमे यह लिखा गया की समय के आभाव में रिपोर्ट देखन संभव नहीं है भला यह कैसा तर्क हुआ यानी गलत काम को कर दो चाहे उसमे लाख खामिया हो और नियम और कानून टाक पर रख दिए गए
और सुभारती वालो से मात्र शपथ पत्र एक सादे कागज पर लिखवा लिया गया की वो पहले सरकार का 97 करोड़ का भुगतान करेंगे जबकि सुभारती वाले सरकार के ही खिलाफ हाई कोर्ट गए हुए है और सरकार को
ही गाली दे रहे है और कॉलेज की अनुमति एनएमसी से भी शपथ पत्र पर ही ले आये
देखिये शपथ पत्र और उसमे ये भी लिखा की संस्था का कोई विवाद नहीं है और कोई किसी भी सम्पत्ति पर लोन नहीं है पौर यही तथ्य अरुणेंद्र सिंह चौहान ने मुख्य सचिव को भी जांच रिपोर्ट में गलत लिख कर दिया
जब ADM के के मिश्रा को शिकायत करता ने सबुत दिखाया तो उन्होंने दुबारा
जांच के लिए तहसीलदार को लिखा और तब आया बड़ा खुलासा की शिकायत करता की सभी शिकायत और सबूत सही थे कर और इससे पहले की वो अपनी नयी रिपोर्ट देते उनका तबादल चमोली कर दिया गया जैसे की उनको इसकी सजा दी गयी हो
अब आपको दिखाते है उस रिपोर्ट के अंश जिसको अरुणेंद्र सिंह चौहान ,डा आशुतोष सयाना ,तीन पत्नियों से विवाद में उलझे और जमानत पर चल रहे वित्त अधिकारी विवेक स्वरुप ने की क्या लिखा था (इतना सब होने पर भी पद पर बने बैठे है और प्रमोशन भी ले लिया ) और बैंक से प्राप्त RTI में क्या जवाब आया
देखे जांच रिपोर्ट का अंतिम पैरा कहता है की भूमि कही बंधक नहीं है जबकि बैंक लिखित में खसरा नंबरों के साथ दे रहे है की भूमि बंधक है
पर बैंक वालो की रिपोर्ट है की वही खसरा नंबर उनके यहाँ बंधक है और उन्हीने DRT में रिकवरी का सूट डाल दिया है असली मालिकों के खिलाफ यानी सुभारती वाले जमीन, भवन,भूमि के मालिक भी नहीं है
एनएमसी के मानकों के अनुसार मेडिकल कॉलेजे की अनुमति /NOC किसी कोर्ट में चल रहे विवादित जमीन पर नहीं दी जा सकती जिसकी राज्य के दिल्ली हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में बैठे महाधिवक्ता जे के सेठी ने भी पुष्टि की है और जमीन उसी संस्था के नाम होनी चाहिए जिसको अनुमति दी जाये परन्तु यहाँ भी अरुणेंद्र सिंह चौहान ने 7 लोगो द्वारा गठित निरिक्षण समिति की रिपोर्ट एवं सचिव अमित नेगी की रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए चाल चली और जिस संस्था के नाम एक बीघा भी जमीन नहीं है उस संस्था के नाम अनिवार्यता प्रमाण जारी कर दिया और वो भी अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज का जबकि संस्था अल्पसंख्यक भी नहीं है
देखिये पत्र :
और देखिये बैंक से प्राप्त हुई RTI की रिपोर्ट की वही खसरा नंबर बैंको में बंधक है
सुभारती के दिए शपथ पत्र में स्वयं यही लिखा है की यदि कोई लोन निकला तो उनका अनिवार्यता प्रमाण पत्र / सेंटिअलिटी सर्टिफिकेट/NOC स्वयं ही निरस्त मानी जाएगी और तो और तीसरा बैच भर लिया एक छात्र से 28लाख प्रतिवर्ष ले लिए तो 450 बच्चो के अरबो रुपये इक्क्ठे हुए तो भी सरकार के 97 करोड़ नहीं दे रहे क्योकी शुरू से घोटाला करने की नियत है
फीस निर्धारण में हेराफेरी:
यही नहीं आनन् -फानन में रातो रात गौतम बुध सुभारती की फीस भी बिना फीस कमिटी की अनुमति लिए अरुणेंद्र सिंह चौहन ने डिसाइड कर दी और उसमे भी बड़ा खेल किया
२ घंटे में फीस निर्धारित कर दी गयी
जब गौतम बुध चिकित्सा महाविद्यालय यानि सुभारती मेडिकल कॉलेज की फीस निर्धारण का समय आया तो उस पत्र में लिख दिया की गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज के बराबर होगी जबकि नियम यह है की नए कॉलेज की फीस कम होती है क्यूंकि जब गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज को पहला बैच मिला तो उसकी फीस मात्र 2,90,000 थी तो आज की फीस कैसे निर्धारित कर दी गयी क्यों पहाड़ी राज्य के छात्रों और उनके माता पिता का गाला घोंटा गया ? और अब गुरु राम राय के छात्र हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक केस लड़ रहे है क्यूंकि बाद में १ करोड़ और मांग लिए गए और इन छात्रों से भी वही माँगा जायेगा इसलिए भी इस कॉलेज गौतम बुध चिकित्सा महाविद्यालय बंद होना जरुरी है अन्यथा छात्रों को बड़ी मार मारेंगे ये माफिया और गुंडे(जैसा की सर्व्वदित है की अतुल भटनागर एवं इनके अन्य ट्रस्टियो पर आपराधिक मुकदमे जैसे हत्या आदि के लंबित है और ग़ाज़िबाद कोर्ट में अतुल भटनागर पर हत्या की धारा 302 एवं 120 बी का ट्रायल चल रहा हे जिसमे ये कभी भी जेल जा सकता है क्या ऐसे उत्तराखंड की अस्मत लूटने वालो के लिए ये प्रदेश बनाया गया था ?
(फीस के अलावा अधिकतम 20,000 रुपये लिए जा सकते है पर यहाँ तो नमक में आटा)
पढ़िए इस माफिया और हत्यारे की बड़ी बड़ी खबरे जो देश के चुनिंदा और बड़े बड़े समाचार पत्रों और चैनल्स में प्रकाशित हुई है :
गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजा सुभारती: बाउंसर की हत्या में सामने आया फाइन आर्ट्स के छात्र का नामhttps://www.amarujala.com/uttar-pradesh/meerut/fine-art-student-is-included-in-bouncer-murder-in-subharti-university-meerut
मरीज को डिस्टिल वाटर लगा ब्लैक में बेचा जा रहा था रेमडेसिविर, सुभारती मेडिकल कालेज मेरठ के आठ कर्मी गिरफ्तारhttps://www.jagran.com/uttar-pradesh/meerut-city-black-marketing-of-remedesvir-caught-in-meerut-after-lucknow-case-on-trustee-of-subharti-medical-college-atul-bhatnagar-and-two-arrested-21586763.html
सुभारती देहरादून गौतम बुध चिलित्सालय में इलाज करवाने गयी महिला से रेपhttps://www.livehindustan.com/uttarakhand/story-doctor-raped-girl-in-hospital-on-pretext-of-treatment-in-dehradun-6011616.html
सभी आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने की धारा में दर्ज हुई एफआईआर,आरोपियों में सुभारती ग्रुप के ट्रस्टी अतुल कृष्ण, शेयर होल्डरों समेत नौ लोग हैं शामिलhttps://www.inextlive.com/uttar-pradesh/meerut/nine-people-sued-in-hariom-anand-suicide-case-244014
मेरठ में भारत-पाक क्रिकेट मैच के बाद ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने वाले सुभारती के कश्मीरी छात्रों पर बुधवार को देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो गयाhttps://www.amarujala.com/uttar-pradesh/meerut/fine-art-student-is-included-in-bouncer-murder-in-subharti-university-meerut
देखे केस का सबूत :
” लगता है यशस्वी मुख्यमंत्री धामी की छवि खराब करने की कोशिश पूर्ण रूप से उनको मात देने को आतुर एक दिल्ली के ब्यूरोकेट द्वारा की जा रही है जो उत्तराखंड की पूर्ण सत्ता अपने हाथो में ले लेना चाहते है और उनके लाइसोनिंग कर रहे अतुल भटनागर एवं अरुनेन्द्र चौहान एंड कंपनी पूरी तरह से एक्टिव है “
सरकार को क्या करना होगा :
सरकार को छात्रों को सरकारी कॉलेजो में तुरंत शिफ्ट करना होगा जैसे पहले इनके किये गए फर्जीवाड़े के कारण 300 छात्रों को राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट करना पढ़ा और उसकी पेनलटी भी आज तक अरुणेंद्र चौहान की वजह से नहीं वसूली जा सकी
शाशन को भी गुमराह किया हुआ है क्यूंकि जमीन खरीदने की अनुमति विश्विद्यालय के लिए ली और अन्य प्रयोजन जैसे की मेडिकल कॉलेज बना दिया पर यहाँ बैठे इन अक्कल के अन्धो को ये नहीं पता की महाविद्यालय का मतलब कॉलेज होता है यूनिवर्सिटी का मतलब विश्विद्यालय होता है और सब बेवकूफ बने बैठे है क्यूंकि यहाँ भी सुभारती वालो ने फर्जीवाड़ा किया कर जिस जमीन की शाशन से विश्विद्यालय यानी यूनिवर्सिटी बनाने के लिए शाशानादेश लिया था उसका प्रयोजन वह न करके वहां कॉलेज बना दिया और शाशानदेश में स्पष्ट लिखा है की अन्य प्रयोजन तथा शाशनादेश के अनुरूप कार्य न करने पर जमीन एवं सम्पत्ति राज्य सरकार में भू अधिनियम की धारा 166,167के तहत समाहित कर दी जाएगी और इस शाशानदेश में कई अन्य शर्ते भी है जिनका पालन नहीं किया गया जैसे मौके पर सरकारी 18 बीघा जमीन पर इनका कब्ज़ा निकला जिस पर ED ने अपना बोर्ड लगा दिया है तथा कई गोल्डन फारेस्ट एवं विनमय करके SC /ST की जमीनों की फर्जी आदमी खड़ा करके रजिस्ट्री करवाई गयी है जिसकी जांच कमिश्नर गढ़वाल ने लैंड फ्रॉड कमिटी में दी है और वो जिलाधिकारी के यहाँ से आगे ही नहीं गयी है यानी उसको भी दबवा दिया गया है
देखे कमिश्नर गढ़वाल और लैंड फ्रॉड कमिटी का आदेश :
जमीन खरीदने की अनुमति का आदेश ( जिसकी धज्जिया उड़ा दी गयी एवं नियम ,कानून ताक पर रख दिए गए) और मुख़्यमंत्री हेल्प लाइन 1905 भी एक साल से इसका समाधान करने में फेल हो गयी (शिकायत संख्या 375297 दिनांक 26-09-2022 )
पढ़े और देखे क्या क्या लिखा है और क्या क्या किया गया :
पटवारी शोभा राम जोशी की रिपोर्ट पढ़े और ससपेंड होने के बाद से जो आये उनको कागज ही नहीं मिले और क्या क्या सबूत दे मुख्यमंत्री जी !
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अरुणेंद्र सिंह चौहान के खिलाफ जरा इस न्यूज़ पर गौर फरमाइए और निचे दिए लिंक को क्लिक करके पढ़िए और सोचिये कहा गए ये 3 मुख्य जांच के पत्र ?उत्तराखंड में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना में घोटाले का खुलासा और पढ़ेhttps://www.etvdelhi.com/mukhymantri-swastya-bima-scam/
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उत्तराखंड: आय से अधिक संपत्ति मामले में इस अफसर पर होगी कार्रवाई, राष्ट्रपति ने लिखा पत्र https://www.navodayatimes.in/news/khabre/additional-secretary-arunendra-singh-chauhan-under-the-scope-of-investigation/120511/
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