उत्तराखण्ड सहकारिता एवं स्वास्थ्य विभाग का सबसे बड़ा घोटाला आया सामने ! मुख्यमंत्री और मंत्री चुप ?
उत्तराखण्ड सहकारिता एवं स्वास्थ्य विभाग का सबसे बड़ा घोटाला आया सामने! मुख्यमंत्री और मंत्री चुप ?
वॉयस ऑफ़ नेशन (दिल्ली सीक्रेट ब्यूरो ) : उत्तराखण्ड में सहकारिता और स्वास्थ्य विभाग में बड़ा घोटाला सामने आया है जिसकी शिकायत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक पहुँच गई है और अब कारवाही होनी निश्चित है । सूत्रों की माने तो धन सिंह अमित शाह की 25 जुलाई की मुलाक़ात कोई राजनीतिक हलचल नहीं थी अपितु अमित शाह द्वारा इस घोटाला की जानकारी लेने के बारे में थी
प्राप्त जानकारी के अनुसार जो घोटाला सामने आया है उसके अनुसार प्रदेश में 670 सहकारी समितिया है और इनमें कम्युटारीकरण के लिए 2.50 रुपये समिति ने भुगतान किया और 2.5 लाख सहकारी बैंक से दिये गये यानी 5 लाख के कंप्यूटर प्रति समिति में लगने थे जबकि 5 लाख के कंप्यूटरों के स्थान पर मात्र 50 हज़ार का कंप्यूटर लगा दिया गया और बाक़ी पैसे की बंदर बाँट हो गई ।
जब उक्त तथ्य की शिकायत केंद्रीय नेतृत्व और गृह मंत्री अमित शाह को करवाई गई तो उन्होंने कहा की हमारे यहाँ तो यह लागत अधिकतम 1.5 लाख रुपये आती है तो आपके यहाँ 5 लाख कैसे आयी ? यानी करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया जिस पर सहकारिता मंत्री अभी तक जवाब नहीं दे पाए है और उत्तराखण्ड की जनता के विकास पर खर्च होने वाली बड़ी पूँजी बड़े षड्यन्तकारी डकार गये ।
इस बात पर सब चुप्पी थामे बैठे है और दिल्ली से डाँट खाने के बाद धन सिंह रावत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ खाना खाते हुए मीडिया में तसवीरों में दिखाई दिए।
यही नहीं सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखण्ड के 95 ब्लॉको में भी भारी घोटाला हुआ है और 95 ब्लॉक की सहकारी समितियों द्वारा पतंजलि को 2,50,000 का एक काउंटर ख़रीदने का भुगतान किया गया और फिर सामान ख़रीदने के लिए भी पैसों का भुगतान किया गया पर जो सामान आया वो “ आउट डेटेड “ था जिस कारण वो सामान आज भी ऐसे ही पड़ा है और समितिया घाटे में चली गई ।
तीसरा महान घोटाला सहकारी बैंक में 150 नियुक्तियों का और चौथा सरकारी मेडिकल कॉलेज में बिना विज्ञप्ति निकाले 1500 भर्तियाँ करने का है जिस कारण दबाव के चलते डॉ आशुतोष सयाना को दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा ।
इसके अलावा हल्द्वानी सहकारिता भंडारा निगम की स्थापना की गई जिसमे एक सौ पचास कर्मचारियों को बिना विज्ञप्ति के लगाया गया ।
सबसे बड़ा घोटाला प्रदेश में बुला बुला कर निजी विश्विद्यालयों को अनुमति देना है जो की मानक ही पूर्ण नहीं करते है और छात्रों का भविष्य अधर में लटकाया जाने का है जिसके कई सबूत वॉयस ऑफ़ नेशन ने पहले भी प्रसारित किए है
सूत्रों की माने तो समूह ” ग “ की परीक्षा निजी कमनीं को आउट सोर्स हुई और कंपनी से ब्लेंक उत्तरपुस्तिका मँगवा कर उसमे अपने चहतों के नाम भर दिये गए जिसकी सी बी आई जाँच हो जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये ।
यह पहली ,दूसरी या तीसरी बार नहीं है की धन सिंह रावत के विभागों पर आरोप लगे हो ऐसा होता ही आ रहा है और जानता भी सब समझ रही है और इस बार धन सिंह रावत मात्र 927 वोटो से जीते वो भी पोस्टल बैलेट से ।
वॉयस ऑफ़ नेशन से मुलाक़ात में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोडियाल ने क्या कहा था वो भी सुने ;-
वही आजकल मीडिया में पूर्व मुख्यमंत्री एवं गवर्नर रहे भगत सिंह कोशियारी की जनसभा का एक भाषण भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है आप भी सुने :
क्या हमने ऐसे उत्तराखण्ड की परिकल्पना की थी ? शर्म की बात है ।
क्या ऐसे नेता को प्रदेश में नए मुख्यमंत्री बनाने की क़वायद हो रही है ? ये बड़ा सवाल है ? साथ ही जो अन्य नाम सामने आ रहे है जिनमे ऋतु खंडूरी , विनोद चमोली , शौर्य डोभाल ,सौरभ बहुगुणा है क्या इन घोटालों पर जाँच बैठा पायेंगे या दिल्ली के “ ताज “ में बैठे विजय बहुगुणा सारे ब्राह्मणों साध कर एकजुट ( जैसा की कल हरीश रावत में कहा ) अपने पुराने साथियों के साथ जिनमे 19 कांग्रेस मानसिकता वाले और बाक़ी भाजपा के 11 विधायंकों को तोड़ कर (एंटी डिफ़ेक्शन लॉ से बचने के लिए दो तिहाई संख्या 30) को लेकर तथा 20 विधायकों वाली वांग्रेस का समर्थन तथा 2 निर्दलीय एक बसपा के बिधायक यानी कुल 52 विधायकों के समर्थन से सरकार बना लेंगे ? और यह भी प्रयास है की उसके बाद क़ेदारनाथ चुनाव जीत कर केंद्र में इण्डी गठबंधन के साथ केंद्र में तख्ता पलट कर देंगे क्योंकि यह भी एक मिथक है कि जिस सरकार का विधायक केदारनाथ का होता है उसी की सरकार केंद्र में होती है ।