प्रदेश में वरिष्ठता पद पाने के लिए किस-किस ने किया घोटाला ? और कौन सा विभाग निकला अव्वल। पढ़िए पूरी खबर कि क्यों अभी तक नहीं जारी हुई विभागीय लेखा से प्रदेश की कंसोलिडेटेड लिस्ट ? एक दिन में 2 शाशनादेश जारी। एक असली एक नकली।
पूरी खबर की क्यों अभी तक नहीं जारी हुई विभागीय लेखा से प्रदेश की कंसोलिडेटेड लिस्ट ? एक दिन में 2 शाशनादेश जारी। एक असली एक नकली।
VOICE OF NATION ( मनीष वर्मा ) उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से एक बड़ा सवाल सबके जहन में रहा कि कौन वरिष्ठ और कौन कनिष्ठ ? और इस विषय को लेकर आपस में कई बार अधिकारियो कि एक दूसरे से भिड़ंत भी हुई और योद्धा उच्च न्यायालय तक पहुंच भी गए।
अंततोगत्वा HIGH COURT, UTTRAKHAND ने माया देवी बनाम उत्तराखंड में लम्बी बहस और दस्तावेजों के आधार पर दिनांक 13 फरवरी 2019 को आदेश दिया कि 9 नवम्बर 2000 के पश्चात उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा निर्गत शाशनादेशो का संज्ञान वरिष्ठता निर्धारण SENIORITY LIST सूचि में नहीं लिया जायेगा तथा 9 नवम्बर 2000 से पूर्व उत्तर प्रदेश (UTTAR PRADESH ) के शाशनादेशो एवं 9 नवम्बर 2000 के बाद उत्तराखंड राज्य के शाशनादेशो के आधार पर विभिन्न विभागों ( यानी पूरे प्रदेश के सभी विभागों ) के लेखाकारों कि ज्येष्ठता सूचि निर्मित कि जाये।
यह भी पढ़े :-उत्तराखंड शाशन से बड़ी खबर : स्टेनो ने किया राजपत्रित अधिकारी के निलंबन और आरोप पत्र जारी करने का आदेश https://voiceofnationnews.com/rruption-at-uttrakhand-shashaan/
देखिये उक्त तथ्य को सत्यापित ( CERTIFED )करता तत्कालीन सचिव अमित सिंह नेगी का पत्र :-
यह कि उक्त के क्रम में निदेशक, कृषि विभाग द्वारा सचिव, कृषि से पत्र भेज कर कि कौन से शाशनादेशो के आधार पर ज्येष्ठ्ता सूचि निर्मित किया जाये इसका जवाब माँगा तथा शाशनादेश 10 नवम्बर 2008 के क्रम में अंतिम ज्येष्ठता सूचि को संशोधित (AMENDMENT) करने का निर्देश भी माँगा।
देखिये उक्त तथ्य को सत्यापित करते निदेशक कृषि का पत्र :-
उक्त के क्रम में तत्कालीन अपर सचिव रणवीर सिंह चौहान ने 11 जनवरी 2023 को कृषि निदेशक को लिखा कि शाशनादेश 10 नवम्बर 2008 उत्तराखंड राज्य में प्रभावी नहीं है और इस सम्बन्ध में शाशनादेश 16 जुलाई 2014 के क्रम में कारवाही करे।
देखिये शाशनादेश 16 जुलाई 2014 :-
यानि अब यह तथ्य स्पष्ट हो गया कि 9 नवम्बर 2011 के बाद से कोई भी शाशनादेश इस सम्बन्ध में नहीं बना है और वरिष्ठता पूर्व गामी तिथि (“काल्पनिक ज्येष्ठता”)से यानी ( बैक डेट ) से किन्ही भी परिस्तिथि में नहीं हो सकती।
आशा करते है हमारे सम्मानित पाठकों को उक्त तथ्य अब तक समझ आ गया होगा
यह भी पढ़े :-गजब हो गया ! विजिलेंस जांच के बाद संस्तुति भी हुई पर शाषन में क्या हुआ यह पढ़े। voiceofnationnews.com/vigilence-investigation-completed-but-still-action-awaited-from-shaashan/
कौन सा विभाग रहा अव्वल FIRST IN IMPLICATION OF G.O. DATED 26 MAY 2000 जिसने उक्त सभी ज्येष्ठ्ता सूचि नियम और कानून कि आज्ञा के अनुसार बना लिए :
जी हां वो है कृषि विभाग, उत्तराखंड जिसने माननीय उच्च न्यायलय , कृषि निदेशक DIRECTOR AGRICULTURE , कृषि सचिव SECRETARY AGRICULTURE DEPT. और शाशनादेश G.O. दिनांक 26 मई 2000 के क्रम में ज्येष्ठता सूचि SENIORITY LIST जारी कर दी।
देखे कृषि विभाग के आदेश और नोट् शीट कि प्रति।
किसने किया घोटाला और अभी तक उक्त नियम के अनुसार सूची नहीं जारी कि :
Present निदेशक, विभागीय लेखा,उत्तराखंड , उत्तराखंड https://ekosh.uk.gov.in/द्वारा आज कि तिथि तक उक्त के सम्बन्ध में ज्येष्ठ्ता सूची जारी नहीं की गयी क्यूंकि यहाँ एक पेंच फंसा हुआ है और वो यह कि उत्तर प्रदेश के शाशनादेश दिनांक 26 मई 2000 के शाशनादेश में 5 बिंदु थे जिसमे से एक बिंदु भ्रष्ट अधिकारी CURRUPT OFFICER अरुणेंद्र सिंह चौहान के द्वारा जांच में जालसाज़ी करके विलोपन करने के गंभीर आपराधिक कृत्य को छुपा दिया गया जिसके लिए यह अरुणेंद्र सिंह चौहान भी इसमें व्यक्तिगत रूप से दोषी है जबकि जांच समिति के अन्य सदस्य अर्जुन सिंह , अपर सचिव वित्त , उत्तराखंड शाशन के द्वारा वर्ष 2019 में शाशनादेश 26 मई 2000 में एक बिंदु का विलोपन DELETED होना स्वीकार करते हुए अपनी अलग रिपोर्ट प्रेषित कि थी , जिसकी विजिलेंस जांच में पुष्टि होने के बाद विभागीय जांच DEPRATMENTAL ENQUIRY / मुख्यमंत्री CM OFFICE के यहाँ से जांच IAS षणमुगम को दी गयी है।
यह भी पढ़े :-एसपी क्राइम की रिपोर्ट पर भ्रष्ट अपर सचिव की जांच मुख्यमंत्री कार्यालय से सचिव डा. आर. राजेश कुमार,IAS को भेजी गयी https://voiceofnationnews.com/currupt-officers-investigation-sent-to-ias/
देखिये 27 मार्च 2008 की तिथि के 2 शाशनादेश जिसमे एक बिंदु 4 POINT NUMBER 4 (जो की 26 मई 2000 के शाशनादेश में था ) और नकली शाशनादेश ( जिसमे POINT NUMBER 4 बिंदु 4 को गायब करके आगे पूरे प्रदेश के विभागाध्यक्षों को भेज दिया जिसके आधार पर सबने अपनी अपनी ज्येष्ठता सूचि SENIORITY LIST जारी कर कर दी जिसमे 69 नम्बर पर रही माया देवी 3 नम्बर पर आ गयी
बड़ा सवाल यह है की जब कृषि विभाग ने सही शाशानदेश G.O. से काम किया तो बाकि विभाग OTHER DEPARTMENTS ARE WHY SILENT मौन क्यों है ? और यह जो फर्जीवाड़ा एक ही दिन में 2 शाशनादेश निर्गत किये जाने का हुआ उसका जवाब देहि RESPONSIBLE कौन होगा ?
एक ही दिन में 2 शाशनादेश निर्गत
देखिये 27 मार्च 2008 की तिथि के 2 शाशनादेश जिसमे एक बिंदु 4, POINT 4 PRESENT(जो की 26 मई 2000 के शाशनादेश में था ) और नकली शाशनादेश ( जिसमे बिंदु 4 गायब )POINT NUMBER 4 DELETED
एक बिंदु AFTER DELETING POINT NUMBER 4 ( FABRICATING GOVT.DOCUMENT) विलोपन किये गए शाशनादेश के अनुसार 69 नम्बर पर रही माया देवी 3 नम्बर पर आ गयी THE PERSON WHO WAS ON 69 NUMBER IN SENIORITY LIST BECOME ON NUMBER 3 DUE TO FABRICATION OF DOCUMENT G.O. DATED 22.05.2000 OF U.P.GOVT ON DATED 27.3.2008
यह भी पढ़े :-वॉयस ऑफ़ नेशन की खबर का असर, मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का धड़ाधड़ भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान जारी, भ्रष्ट अपर सचिव को नहीं मिली तवज्जो, ईमानदार एवं स्वच्छ छवि के वरिष्ठ अफसर दिनेश चंद्र लोहानी को बनाया निदेशक कोषागार,पेंशन एवं हक़दारी,उत्तराखंड https://voiceofnationnews.com/voice-of-nation-news-effect/
इन सब तथ्यों से यह भी निकल कर सामने आता है की जब कृषि विभाग ने निदेशक, विभागीय लेखा,उत्तराखंड को 26 मई 2000 शाशनादेश( सही वाला जिसमे एक बिंदु विलोपन नहीं हे POINT NOT DELETED ) के अनुपालन में कृषि विभाग की अनतिम वरिष्ठता सूचि भेजी तो निदेशक विभागीय लेखा ,उत्तराखंड के द्वारा अपने पत्र दिनांक 10 जुलाई 2023 में कृषि विभाग के द्वारा भेजे गए पत्र में तैयार की गयी वरिष्ठता सूचि को वापस भेजते हुए यह लिखा गया की आपके द्वारा शाशनादेश 26 मई 2000 के अनुपालन में आदेश निर्गत होने की तिथि से जो वरिष्ठता तैयार की गयी है उक्त शाशनादेश 26 मई 2000 निदेशक ,कोषागार ,पेंशन एवं हक़दारी, उत्तराखंड पर लागू होता है जबकि निदेशालय, लेखा एवं हक़दारी द्वारा स्वयं ही 27 मार्च 2008 को शाशनादेश 26 मई 2000 का अनुपालन IMPLEMENTATION करते हुए वरिष्ठता निर्धारण SENIORITY DECIDE के 1 से 5 बिंदु तैयार किये गए थे इस प्रकार निदेशालय, विभागीय लेखा उत्तराखंड द्वारा पूर्व में लागू शाशनादेश को यह लिखा जाना की यह निदेशक, कोषागार पर लागू होता है, आश्चर्यजनक है SURPRISING क्यूंकि ऐसा इसलिए लिखा जा रहा है कि 27 मार्च 2008 को जो प्रतिलिपि प्रदेश के सभी विभागाध्यक्षों HOD’S को भेजी गयी उसमे शाशनादेश 26 मई 2000 के एक बिंदु को विलोपन कर दिया गया था जैसा की आपने ऊपर दो शाशनादेशो 27 मार्च 2008 में पढ़ा
अब कृषि विभाग को भेजे गए पत्र से तत्कालीन निदेशक , विभागीय लेखा FORMER DIRECTOR उत्तराखंड के हाथ पाँव फूल गए कि उनके द्वारा सरकारी दस्तावेजों में जालसाज़ी हेराफेरी किये जाने का गंभीर आपराधिक कृत्य का खुलासा हो गया है जिसकी पुष्टि सतर्कता जांच VIGILENCE INVESTIGATION में भी उजागर हो गयी है जिसपर विभागीय जांच / मुख्यमंत्री के यहाँ से जांच IAS षणमुगम को दी गयी है।
यह भी पढ़े :-उत्तराखंड सचिवालय अपर सचिव ने किया नियुक्ति घोटाला https://voiceofnationnews.com/curruption-in-secretariate-uttrakhand/
यहाँ यह भी बताना उचित होगा कि निदेशक, विभागीय लेखा, उत्तराखंड देहरादून में विभागीय लेखाकारों कि अनतिम वरिष्ठता सूचि 4450 दिनांक 27 मार्च 2008 में तत्समय जो शाशानदेश 26 मई 2000 का विलोपन किया गया था उस विलोपन कि जांच हेतु अरुणेंद्र सिंह चौहान , अपर सचिव वित्त के द्वारा अपंनी जांच रिपोर्ट 2019 में उक्त सरकारी दस्तावेजों में गंभीर आपराधिक कृत्य के प्रकरण को नजरअंदाज करते हुए क्लीन चिट दे दी गयी जिससे उनके पूर्व अधिकारी इस फर्जीवाड़े के कटघरे में न आ सके।
अब देखना यह होगा कि इस पर सरकार क्या कार्यवाही करती है और भ्रष्टाचारी क्या सलाखों के पीछे होंगे क्यूंकि जीरो टॉलरेंस कि सरकार के मुख्यमंत्री धामी C.M UTTRAKHAND PUSHKAR SINGH DHAAMI GOVT.फुल एक्शन में है और जो लोग ज्येष्ठता सूची में अपना स्थान पाने से वंचित रह गए है क्या उनको न्याय मिलेगा ? WILL GET JUSTICE
यह भी पढ़े :-अपर सचिव,नियुक्ति का खेला और भ्रष्टाचार। अब जीरो टोलेरेंस के आदेश का इंतज़ार !https://voiceofnationnews.com/curruption-in-secretariate/