उत्तराखंड शाशन से बड़ी खबर : स्टेनो ने किया राजपत्रित अधिकारी के निलंबन और आरोप पत्र जारी करने का आदेश
देहरादून : (वॉयस ऑफ नेशन ) उत्तराखंड शासन में एक ऐसा मामला चर्चा में आया जिसने उत्तराखंड शासन के कई कर्मियों की नींद उड़ा दी और सबसे बड़ा तथ्य यह रहा कि सचिवालय में तैनात सचिव के आशुलिपिक पर तो कोई करवाही नहीं हुई पर गैजेटेड अफसर सस्पेंड होने के बाद अपने परिवार सहित भूखों मरने की नौबत झेल रहा है और गैजेटेड अफसर की गलती इतनी थी कि उन्होंने उत्तर प्रदेश से आए एक सस्पेंड और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी सी बी सिंह चंदेल और उसके सहयोगी भ्रष्ट अधिकारी अरुणेंद्र सिंह चौहान मिलीभगत कर उत्तराखंड में आकर लूटपाट मचाने की शिकायत की थी । अरुणेंद्र सिंह चौहान उक्त सी बी सिंह के पत्र पर अपनी सहमति किस प्रकार दे रहे है और एक अपर सचिव की निजी सहमति के आधार पर किस प्रकार एक प्रमुख सचिव आदेश दे रहा है यह भी हैरानी की बात थी ।
देखिए विधि विरुद्ध उत्तर प्रदेश से आए अधिकारी के लिए आदेश और सहमति ।
आपको बता दें कि उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार द्वारा आरटीआई क्लब उत्तराखंड की सदस्य सीमा भट्ट जिनके पति चिकित्सा शिक्षा विभाग,उत्तराखंड में सहायक लेखाधिकारी के पद पर तैनात थे,ने उत्तर प्रदेश से विधि विरुद्ध प्रतिनियुक्ति पर उत्तराखंड में ज्वाइनिंग करे सहायक अभियंता सिविल ,चिकित्सा शिक्षा निदेशालय सी बी सिंह के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायत सचिव को भेजी थी ।
उक्त शिकायती पत्र जैसे ही मुख्य सचिव के यहां सचिव,चिकित्सा शिक्षा के आशुलिपिक अतुल कुमार पर पहुंचा तो आशुलिपिक के द्वारा उक्त पत्र पर उप सचिव को निर्देश दिया गया कि ” जे पी भट्ट के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु (चार्जशीट ) दाखिल किए जाने की करवाही शीघ्र करे “
देखिए आशुलिपिक उप सचिव को दिया गया आदेश :
हैरानी की बात यह है कि आशुलिपिक पद के लिए शासन की निम्न गाइडलाइन जारी की गई है और वह अपने से वरिष्ठ अधिकारी को निर्देश नही दे सकता ।
देखिए गाइडलाइन :
जब उक्त मामले पर आशुलिपिक की शिकायत की गई तो आशुलिपिक के विरुद्ध हुई जांच में यह तथ्य पाया गया कि आशुलिपिक को उक्त आदेश देने का कोई अधिकार नही था
देखिए जांच रिपोर्ट :
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि बाकी मामला तो शासन में दब कर रहा गया पर उक्त आशुलिपिक के आदेश पर पत्रावली चली और एक गैजेटेड अफसर जे पी भट्ट को सुनवाई का मौका दिए बिना या स्पष्टीकरण दिए आजतक सस्पेंड हुए बैठे है और सस्पेंशन लेटर भी घर के पते पर भेजा गया न की विभाग को भेजा और जे पी भट्ट अपनी लड़ाई अपने परिवार और बच्चो के साथ लड़ रहे है और उनका सब भत्ता, वेतन आदि भी रुका पढ़ा है और जीवन जीने के लाले पढ़े हर,ऐसे में सवाल यह उठता है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध आवाज उठाने की यह कैसी सजा है और वो भी जीरो टॉलरेंस की सरकार में ?
हाल ही में उत्तराखंड के चिकित्सा शिक्षा सचिव आर राजेश कुमार ने रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज का दौरा कर 32 करोड़ के निर्माण कार्य को मानकों के अनुरूप न होने के कारण ध्वस्त किये के आदेश दिए थे और यदि दून मेडिकल कॉलेज सहित तत्समय के मेडिकल कॉलेज के निर्माण कार्य और उपकरण खरीद की सी बी आई जांच हो जाए तो बड़े चौकाने वालें तथ्य सामने आएंगे जिनमे वॉयस ऑफ नेशन जल्दी एक ऐसा खुलासा करेगा की जिस अधिकारी को बिल पास करने की पावर नही थी उसने सीधे ही करोड़ों के बिल पास कर डाले साथ ही खुलासा होगा कि अरुणेंद्र सिंह चौहान और डी के कोटिया से आयुष्मान विभाग का कनेक्शन क्यों टूटा ? क्या कारण कि डी के कोटिया खुद छोड़ कर चले गए और भ्रष्टाचार के किन मामलो में और क्यों अरुणेंद्र सिंह चौहान से क्यों हटाए गए सब विभाग और क्या हो रही अगली कारवाही।
सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड के वर्तमान चिकित्सा शिक्षा सचिव के वरिष्ठ निजी सचिव पर भी इसी प्रकार के कुछ आरोप उठाए गए है कि जैसे चिकित्सा शिक्षा विभाग जैसे वह ही चला रहे हो जिनका विवरण आगामी न्यूज में दिया जाएगा