अपर सचिव,नियुक्ति का खेला और भ्रष्टाचार। अब जीरो टोलेरेंस के आदेश का इंतज़ार !
अरुणेंद्र सिंह चौहान पर आय से अधिक करीब 100 करोड़ की सम्पति अर्जित करने का आरोप है. RTI एक्टिविस्ट सीमा भट्ट की शिकायत पर राष्ट्रपति और CBI ने मुख्य सचिव उत्तराखंड उत्पल कुमार को अरुणेंद्र सिंह चौहान पर कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है.
देहरादून उत्तराखंड शासन के अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच लिए हेतु जो पत्र सीबीआई ने दिनांक 2.7.19 को भेजा था,के अनुपालन में कार्मिक अनुभाग- 1 सचिवालय, देहरादून द्वारा कार्यवाही किए जाने हेतु पत्रांक 594 दिनांक 25.07.2019 को नजरंदाज करते हुए अरुणेंद्र सिंह चौहान को उच्चतर ग्रेड 10000 में पदोन्नति प्रदान की गई ।जो कि अपने आप में बड़े आश्चर्य का विषय है।
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री ने आव्हान किया हुआ है कि जनता भ्रष्टाचार कि शिकायते सीधे IAS अधिकारियो को उनके मोबाइल पर भेजे और यहाँ तो पूरी खबर सबूत के साथ प्रकाशित एवं प्रसारित कि गयी है
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तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा :-
यहीं नही अरुणेंद्र सिंह चौहान द्वारा चिकित्सा शिक्षा,उत्तराखंड की पत्रावली में तत्कालीन सचिव नितेश झा एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेद्र सिंह के लिखित आदेशों में हेराफेरी,जालसाजी,के गंभीर कृत्य कर 27.11.2018 को एक संदिग्ध ट्रांसफर ऑर्डर जारी किया गया जिसकी जांच जगदीश चंद्र तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (क्राइम) ने अपनी जांच 15.2.2020 के द्वारा की है परंतु पुलिस विभाग द्वारा उक्त अधिकारी के विरुद्ध कोई करवाही न कर शासन को अनुशंसा की गई की उक्त अरुणेंद्र सिंह के खिलाफ शासन स्तर पर कार्यवाही करने का निर्णय लिया जाए ।
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इतने गंभीर आरोप होने पर भी शासन द्वारा संज्ञान न लेकर 10000 का वेतनमान ग्रेड दिया जाने पर अचंभित एवम आश्चर्यचकित करने वाले सवाल खड़े करता है कि अरुणेंद्र सिंह चौहान के सामने शासन के अधिकारी कितने बौने है
इनको अपर सचिव किसने बनाया ?https://www.etvdelhi.com/who-appoints-such/
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और वर्तमान में भी सबसे कनिष्ठ होते हुए इनसे ऊपर वरिष्ठ तीन अधिकारी श्री लोहानी , कबिता नबियाल और अमिता जोशी के होते हुए इस भ्रष्ट अधिकारी को वर्तमान वित्त मंत्री द्वारा एवम शासन के उच्च अधिकारियों ने आंखे मूंद कर निदेशक वित्त बनाए जाने की संस्तुति कर दी, जैसे की रमेश पोखरियाल के समय सबसे वरिष्ठ अजय जोशी,IAS को दरकिनार कर कनिष्ठ अधिकारी सुभाष कुमार को मुख्य सचिव बना दिया गया था और बाद में इस मामले ने इतना तूल पकड़ा की निशंक को अन्य कई मामलों का संज्ञान लेते हुए गद्दी से हटाया गया था।
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अरुणेंद्र सिंह चौहान पर ट्रेजरी के IFMS सिस्टम को अपने चहेते मित्र की कंपनी ” इंडस वेब सॉल्यूशन” को टेंडर के नियमो में भारी परिवर्तन करते हुए नियम विरुद्ध तरीके से सरकारी कार्यप्रणाली को दरकिनार करते हुए सरकारी भुगतान प्रणाली को निजी हाथो में सौप दिया गया जिससे उत्तराखंड के सरकारी खजाने को करोडो का नुकसान हो गया तथा इस विषयक जनहित याचिका माननीय उच्च न्यायलय उत्तराखंड नैनीताल 2019 से लंबित है जिस पर साशन स्तर से अभी तक कोई शपथ पत्र दाखिल नहीं किया गया है इस याचिका में अरुणेंद्र सिंह चौहान को याचिका कर्ता दवारा प्राइवेट पार्टी बनाया गया है ।
ज्ञात हो कि इस मामले में इस विभाग के ही गजेटेड अफसर द्वारा अरुणेंद्र सिंह चौहान कि 100 करोड़ से अधिक संपत्ति के दिए विवरण को सीबीआई को दिए जाने सहित इस अधिकारी की भ्र्ष्टाचार की खबरे की खबर कई मीडिया हाउस ने प्रकाशित की थी। जिनके लिंक ऊपर दिए गए है जिन पर संज्ञान लेते हुए अब जीरो टॉलरेंस की डबल इंजन की सरकार की कारवाही का इंतज़ार है
सुभारती विश्वविद्यालय के सचालक की पत्नी मुक्ति भटनागर में इस चैनल को बताया था की अरुणेंद्र सिंह चौहान एक विवादित आईएएस ओमप्रकाश के साथ इस कॉलेज में अपना काला पैसा लगा रहा है तभी आज तक इस कॉलेज का कोई निरिक्षण ही नहीं हुआ और शपथ पत्र के आधार पर ही चल रहा है बकौल रिपोर्ट डा आशुतोष सायना इस संस्था के नाम एक बीघा भी भूखंड नहीं है फिर किसकी ट्रस्ट एवं जमीन पर रासबिहारी यूनिवर्सिटी और गौतम बुद्ध चिकित्सा ,महाविद्यालाय चल रहा है ?? बड़ा सवाल क्युकी इसकी भी जांच समिति में यही भ्रष्ट ,जालसाज़ ,निकम्मा और नालायक अफसर अरुणेंद्र सिंह चौहान मुखिया बना था वो भी ईमानदार आईएएस के के मिश्रा को अपने से निचे दबाकर। हद्द हो गयी जो आईएएस अधिकारी था उसको तो सदस्य बनाया और जो भ्र्ष्ट और मिलीभगत वाला था था उसको जांच समिति का अध्यक्ष। CS संधू ने यह भी नहीं देखा की कौन वरिष्ठ और कौन कनिष्ठ क्यूंकि इसमें खेला जो था चौहान का ।
राम भरोसे उत्तराखंड सरकार का जीरो टॉलरेंस।
ज्ञात हो कि इस मामले में वॉयस ऑफ़ नेशन ने सरकार के इस विभाग के ही गजेटेड अफसर द्वारा अरुणेंद्र सिंह चौहान कि 100 करोड़ से अधिक संपत्ति के दिए विवरण को सीबीआई को दिया गया था जिसकी खबर कई मीडिया हाउस ने प्रकाशित की थी।
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और 2 पन्नो की 72 करोड़ की निजी गारण्टी सरकार को बेवकूफ बनाने को दे दी और भ्रष्ट अफसर अरुणेंद्र सिंह चौहान ने निजी गारण्टी ले भी ली भइया जी क्या जरुरत थी 2 सादे पन्नो पर प्राइवेट सुभारती की गारंटी लेने की क्या जरुरत थी ? अगर सुभारती से इतना प्यार और हिस्सापत्ति है तो प्रदेश के सारे बड़े व्यवसियो कि देनदारी कि आरसी क्यों काट रही है उनसे भी दो पन्नो पर ये लिखवा कर ले लो कि जब होंगे तब दे देंगे।
बाकि प्रदेश वासी क्या दुश्मन है ? ऐसा तो सचिवालय के इतिहास में पहली बार ही देखा है कि जिसने सरकार को 72 करोड़ रुपये आर सी काटने के बाद देना होना उस पार्टी से 2 सादे कागजो पर लिखवा कर ले लिया कि जब होंगे दे देंगे और इस बीच न कोई जमीन या सम्पत्ति बेचेंगे और न बंधक रखेंगे जबकि जमीन भी बंधक है और बेच भी रहे है। गजब करते हो भाई ?
पूछता है नेशन
ये बताओ तुमने सरकार को 72 करोड़ का चूना लगाने में सुभारती मेडिकल कॉलेज वालों की मदद क्यों की ? आज 7 साल हो गए हाई कोर्ट में केस अर्जेन्सी एप्लीकेशन लगाकर जल्दी सुनवाई क्यों नहीं करवाई ? और अरुणदृ सिंह चौहान तुम्हारा लिखा भी झूठा साबित हो गया की बैंको में भूमि बंधक नहीं है क्यूंकि बैंक वालो ने RTI में जवाब दे दिया की पूरी भूमि बंधक है तो अब अमिताभ बच्चन का डायलॉग याद आता है कि तेरा क्या होगा कालिया ?
सुनने में आया कि सचिवालय में कार्यरत विधि विभाग में अधिकारी की पत्नी के माध्यम दबाब डलवाकर काम करवाते हो ? तुमको उसका प्रमाण दे दिया तो क्या होगा ? सचिवालय के न्याय विभाग के अधिकारियो से सांठ गाँठ करके न्यायालयों दबाव बनवाते हो ? सचिवालय के न्याय विभाग में जो भ्र्ष्टाचार तुमने चला रक्खा है उसको बताये क्या जनता को ? पत्रावलियों में उलटी सीधी रिपोर्ट लिखवाते हो उसका खुलासा कर दे तो ? और जो मंडाविया का 1000 करोड़ का ऋषिकेश वाला खेला चल रहा है तुम्हारे तत्वाधान में वो बताये ? वकील ,कोर्ट जमीन, सेटिंग सब धरी रह जाएगी भैया जी । सीधा मोदी जी के पास जाऊंगा बताने ।
पूछता है नेशन
सीधे साधे सही तरीके से नम्रता से मुख्यमंत्री धामी काम करते हुए हजम नहीं होते तुमको जो विरोधी खेमे को फंडिंग करवा रहे हो दिल्ली में ? मुख्यम्नत्री बदलने के लिए ? शर्म नहीं आती ? कभी लखनऊ का खेला ,कभी सारंगी का खेला , कभी अपने आका का खेला ? कभी दिल्ली वाले भूषण का खेला ? कितना मुँह मारते हो जगह जगह ?
पूछता है नेशन
मंत्री धन सिंह रावत सुभारती पर एफआईआर और ADM को राज्य सरकार में निहित करने के आदेश देते है और तुम जाकर आदेश रुकवाते हो क्यों ? ओह !! ! तुम्हारा तो हिस्सा पत्ती है !
तभी इतने बड़े मंत्री जिन पर 6 विभाग है उसके आदेश रद्दी कि टोकरी में घूम रहे है क्यूंकि तुम आगे जाकर सब रुकवा देते हो इसलिए मंत्री को लोग मंत्री नहीं मान रहे 225 पोस्टल बैलेट वाले वोटो से जीते थे बड़ी मुश्किल से वो भी तुम जैसे लोगो के कारण नहीं तो १०००० ग्रेड से जीतते
सुनो सुनो सुनो…….. ये मंत्री पिछले 2017 में जब जीते थे तो भ्रस्टाचार पर क्या बोले थे…….आप भी सुनिए…. और दूसरी बार जितने और उसी विभाग के मंत्री बनने पर वही समस्या आज भी है बरक़रार है …… अब क्या बोलेंगे मंत्री जी ? क्यूंकि अरुणेंद्र सिंह जैसे अधिकारी इनके साथ थे जिन्होंने इन्हे कुछ करने ही नहीं दिया।