2024 जीतना है तो भाजपा का यह हो सकता है फार्मूला। सिफारिश और सेटिंग से मंत्री पद देना पढ़ सकता है भारी।
धामी की अग्नि परीक्षा
2024 जितना है तो भाजपा का यह हो सकता है फार्मूला। सिफारिश और सेटिंग से मंत्री पद देना पढ़ सकता है भारी।
देहरादून /दिल्ली वॉयस ऑफ़ नेशन ( मनीष वर्मा ) आजकल चार चर्चाये सब ओर सुर्खिया बटोर रही है जिनमे पहली केंद्रीय मंत्री मंडल में फेर बदल , दूसरा 2024 के लोकसभा चुनाव , तीसरा उत्तराखंड में मंत्री मंडल फेरबदल और चौथा उत्तराखंड मुख्यमंत्री की खिलाफत कौन अंदर के लोग कर रहे है, आम चर्चाओं में है
जैसा कि सर्वविदित है कि कांग्रेस पार्टी में कई गुट सक्रिय रहते है और एक दूसरे कि काट करने से नहीं चूकते है जिसका उदहारण हरीश रावत एन्ड कंपनी का स्टिंग ऑपेरशन है ,ठीक उसी तरह चर्चाये है कि भाजपा में भी कई गुट सक्रीय है जैसा कि निशंक,खंडूरी,त्रिवेंद्र, सरकार में देखने को मिला ही था।
उस दौर में जहां एक ओर निशंक को खंडूरी ने खिंच कर गद्दी से हटवाया तो “खंडूरी है जरुरी” का नारा दिया तो गया पर खंडूरी को निशंक गुट ने हरवा दिया गया तो दूसरी ओर त्रिवेंद्र के “घुर विरोधियों” और अपनों ने ही त्रिवेंद्र को दुश्मनो से सांठ गाँठ कर केस में फाँस कर बदलवा दिया जबकि त्रिवेंद्र के ब्यूरोकेट चाणक्य बहुत चतुर और समझदार थे और उनकी वजह से ही त्रिवेंद्र ने हारते हारते भी लम्बी पारी खेली क्यूंकि कुछ तिवारी सरकार में रहे चाणक्य भी उनके लिए काम कर रहे थे,जिनको धामी ने कान के कच्चो की सुनकर अपना विरोधी समझ लिया जबकि वो ही पार्टी के असली हितेषी और चाणक्य है ।
धामी का उदहारण तो सबके सामने है कि सिटींग मुख्यमंत्री को ” बड़े बुजुर्गो ” के साथ साजिश करके कुछ ब्यूरोकेट ने मिलकर हरवा दिया पर मोदी जी कि युवा सोच के चलते धामी हार कर भी जीत गए और दुबारा अपना परचम लहरा दिया परन्तु जिन्होंने धामी के खिलाफ षड़यंत्र किया था उनमे से एक आज भी दिल्ली के एक ख़ास ब्यूरोकेट के साथ मिलकर उत्तराखंड कि सत्ता को ” पूरी तरह ” से अपने हाथों में लेना चाहते है और दूसरे महोदय जो मुख्य्मंत्री बनने का सपना देख रहे है जगह जगह यात्राएं करके “संघ” का फेवर लेकर ” जुगाड़ ” में लगे रहते है, इसे धामी कि इंटेलिजेंस कि नाकामयाबी कहे या अच्छे सलाहकारों का न होना, कि धामी को कुछ पता ही नहीं रहता कि क्या हो रहा हे और उन्हें पूजा पाठ, हवन, अनुष्ठान कि जरुरत क्यों पढ़ रही है ? जबकि उन्हें जरुरत अच्छे और विश्वाशपात्र सलाहकारों कि है जिन्हे पूर्व में घटित घटनाक्रम और राजनीतिक हालातो कि जानकरी हो, हालांकि धामी अपने आप में बड़े चाक चौबंद,सुलझे हुए खिलाडी जरूर है पर एक कहावत है कि पद के स्तर का अनुभव होना भी बहुत बड़ी बात है और ” पुराने ” खिलाडी इसकी दुहाई देकर केंद्रीय आकाओ को भृमित करने में लगे रहते है।
एक कहावत है कि ” खुदा हुस्न देता है तो नजाकत आ ही जाती है “ इसी प्रकार धामी ने मुख्यमंत्री होते हुए चुनाव हारने के बाद काफी कुछ जानने का प्रयास तो किया और बहुत से विषयो पर उन्होंने उपलब्धि भी हासिल कि पर उनके चुनाव हराने वालो का मामला ठन्डे बस्ते में चला गया क्यूंकि कुछ “खिलाड़ियों ” और ब्यूरोकेट ने ” नूरा कुश्ती ” की पर धामी उसको आज तक समझ नहीं पाए,क्यूंकि वही लोग ” उन ” पुराने लोगो की सेवा में भी रह चुके थे
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अब बात करते है 2024 को जीतने के फॉर्मूले की
गाहे बगाहे कई जीत कर आये विधायकों में यह मर्म दिल में है कि उन्होंने पार्टी को भारी बहुमत दिलवाया और ज्यादा वोटो से जीतने के बाद भी उन्हें मंत्री मंडल में जगह नहीं दी गयी परन्तु क्या कहे जनाब यहाँ भी “सेटिंग”और आकाओ का वरद हस्त लेना पड़ता है और जो बेचारे भारी वोटो से जीत कर आये वही आज सबसे पीछे खड़े है और उनकी जगह 500 वोटो से जीतकर आये भी मंत्री मंडल में जगह लेकर 5 – 5 महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे है और जांच और आरोप भी देखे तो लम्बी फेहरिस्त है परन्तु गाँधी जी के आदर्शो को सिर्फ ” चमक ” और ” दमक ” दिखा रहे मंत्री अपने ही मुख्यमंत्री और आकाओ कि आँख में धूल झोंकने के सिवा और कुछ नहीं कर रहे है।
आइये आपको दिखाते है कि वर्तमान में कौन सा विधायक ” कितने वोटो ” से जीत कर आया और कौन कितने वोटो से जीत कर ” मंत्री मंडल में जगह पाया ” और जो भारी मतों से जीते उनकी क्या स्तिथि है आखिर वो भी किसी लोकसभा क्षेत्र में आते ही है।
उक्त तथ्य देखने से कुछ ज्यादा कहने कि आवश्यकता नहीं है और स्वयं में उक्त तालिका में प्रदर्शित है कि अगले लोकसभा चुनाव में जनता अपने विधायक को विधान सभा में दिए गए बहुमत लेकर क्या निर्णय लेने वाली है और यह भी सत्य है कि सभी भारी बहुमत से जीतने वालो को जगह नहीं दी जा सकती क्यूंकि नियम को भी देखना है पर बात सम्मान और जनता कि रजामंदी कि है और लोकसभा चुनाव जितना है तो भाजपा को इस बिंदु पर ध्यान देना होगा कि
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“कई ” बार सत्ता के सुख भोग चुके ” सदस्यों के स्थान पर अन्यो को भी मौका देना चाहिए क्यूंकि बपौती तो सिर्फ जनता कि होती है एक व्यक्ति कि नहीं, तभी लोकतंत्र में जीत संभव है अन्यथा आपको बता दे कि भाजपा कि टिहरीसीट ” रानी साहिबा” के कम जनसम्पर्क और कार्यो की कम उपलब्धि के चलते, पौड़ी सीट ” विश्व में प्रसिद्ध हुए फटी जीन्स प्रकरण ” और ” मुख्यमंत्री पद हटाने ” के चलते, हरिद्वार सीट कम जनसम्पर्क, केन्दीय कैबिनेट से हटाने,मोदी जी नाराजगी के चलते, और अल्मोड़ा सीट भी नाम मात्र जन सम्पर्क के चलते ” खतरे ” में है सिर्फ नैनीताल से आज के हालातो में अजय भट्ट ही जीतते नज़र आ रहे है।
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कम लिखे को अधिक समझे और सांसदों को रिपीट करना है तो जनता के निकट भेजे, भ्रष्टम को बदले या ठन्डे बस्ते में बैठाये और मुख्यमंत्री जी अभी से ही बढ़िया एवं अनुभवी राजनीतिक सलाहकार रखे,अपंनी मीडिया मैनेजमेंट टीम को दुरुस्त करें नहीं तो लोकसभा सीट पर सही परिणाम नहीं आने पर आपके “घुर विरोधियो” कि लाटरी लगनी तय है। और यह बात सत्य है की जिनको जो सरकार बनाने के समय जो मंत्री मंडल का वादा किया था वो पूरा हो चूका है और अपने तो “अपने” ही होते है, उनको पार्टी में बने रहने और पार्टी की मजबूती के लिए और पा चुके सम्मान के बदले कुछ बलिदान तो देना ही होता है ।
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डीके कोटिया और अरुणेंद्र सिंह चौहान की जुगलबंदी सरकार को करोडो और अरबो का चूना और अपनी खास मुख्यमंत्री को लाने के लिए फण्ड की व्यवस्था
सरकार की निरिक्षण टीम झूटी या स्वस्थ्य सचिव ?
वर्तमान मंत्री मंडल :
प्रेमचंद अग्रवाल: प्रेमचंद अग्रवाल निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रहे है. वे बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. वे तीन बार लगातार ऋषिकेश से चुनाव जीते हैं. इस बार भी वे 19087 वोटो से जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं.उनकी नाम इस बार सीएम रेस में लिया जा रहा था. इस दौरान ऋषिकेश से भाजपा विधायक व पूर्व विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने संस्कृत में शपथ ली. इससे पहले भाजपा विधायक प्रेमचंद अग्रवाल राज्य की चौथी विधानसभा के स्पीकर थे.
सौरभ बहुगुणा: पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा सितारंगज से विधायक हैं. वे लगातार तीन बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं. इस बार भी वे 7814 वोटो से जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं उन्हें पहली बार मंत्रिमंडल में जगह दी गई है.
रेखा आर्य: रेखा आर्य ने 2003 में राजनीति की शुरुआत की जब पहली बार जिला पंचायत सदस्य बनीं. 2012 में सोमेश्वर सीट से निर्दलीय लड़ा और दूसरे स्थान पर रहीं. बाद में कांग्रेस में शामिल हो गईं और 2014 का सोमेश्वर विधानसभा उपचुनाव जीत गईं. 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रेखा आर्या बीजेपी में शामिल हो गईं. बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचीं. बीजेपी ने उन्हें राज्य मंत्री बनाया. इस बार भी वे 5293 वोटो से जीत कर विधानसभा पहुंची हैं धामी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया. अब एक बार फिर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.
गणेश जोशी: गणेश जोशी 1976 से 1983 तक एक सैनिक के रूप में भारतीय सेना में रहे. . वे मसूरी से विधायक हैं. वे यहां से लगातार जीत दर्ज करते रहे हैं.इस बार भी वे 15325 वोटो से जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं धामी के पहले कार्यकाल में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था.अब एक बार फिर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.
धन सिंह रावत: 2017 में पहली बार विधानसभा पहुंचे. इस बार भी वे 587 वोटो से जीत कर श्रीनगर विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. उन्होंने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गणेश गोदियाल को मात दी. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से बीजेपी की सक्रिय राजनीति में आए धन सिंह रावत का नाम कई बार मुख्यमंत्री के संभावित उम्मीदवार के तौर पर सामने आता रहा है. पिछली सरकार में भी उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई थी.अब एक बार फिर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.
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सतपाल महाराज: चौबट्टाखाल सीट से सतपाल महाराज ने जीत दर्ज की है. वे 2017 में बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. इससे पहले तक वह कांग्रेस में थे. सतपाल महाराज आध्यात्मिक गुरु भी हैं. महाराज ने पहली बार 1989 में कांग्रेस के टिकट से पौड़ी गढ़वाल लोकसभा से चुनाव लड़ा था.इस बार भी वे 11430 वोटो से जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं अब एक बार फिर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.
सुबोध उनियाल: सुबोध उनियाल: पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी निभा चुके सुबोध उनियाल को एक बार फिर कैबिनेट में जगह दी गई है. वे 1798 वोटो से जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं नरेंद्र नगर विधानसभा सीट से जीतकर आये हैं. 2002 में अलग उत्तराखंड बनने के बाद सुबोध उनियाल को कांग्रेस प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी दी गई. वह 2012 में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे. 2017 चुनाव से पहले वह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे.
वॉयस ऑफ़ नेशन के अगले प्रसारण में पढ़े सबका लेखा जोखा ,,,,,जल्दी ही और बड़ा खुलासा………