सुभारती गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यालय की अनुमति,फीस,काउंसलिंग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर
सुभारती गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यालय की अनुमति, फीस, काउंसलिंग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर
देहरादून : पूर्व में देश भर के 300 छात्रों का भविष्य एवं 2 साल ख़राब करने वाले श्री देव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज के ही मॅनॅजमेन्ट ने अब नए नाम से दुबारा वही कहानी शुरू कर दी है और अब खेल और बड़े स्तर पर खेला जा रहा है
आपको बता दे कि पूर्व में 2016 से 2019 तक सुभारती मेडिकल कॉलेज में 300 छात्रों को न तो पढ़ाया गया और न ही इस कॉलेज की परीक्षाएं हो पाई और अंत में खुद की ही हाई कोर्ट में विवादित रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के नाम से परीक्षा करवाकर अरबो रूपये की रकम छात्रों से हड़प ली गयी और फर्जी मार्कशीट थमा दी गयी
देखिये मार्कशीट :
जब छात्रों और अभिभावकों को फर्जीवाड़ा का पता चला तो उन्होंने माननीय सुप्रीम कोर्ट की शरण ली और ऐसा देश के इतिहास में पहली बार हुआ की माननीय न्यायमूर्ति ने डाइस से बैठे बैठे ही डी जी पी उत्तराखंड को निर्देश दिए की मै जब लंच के बाद वापिस सीट पर आउ तब तक कॉलेज सील हो जाना चाहिए और हुआ भी ऐसा ही
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माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने जब उत्तराखंड सरकार से इस कॉलेज के बारे में रिपोर्ट मांगी तो उत्तराखंड सरकार के 3 IAS OFFICERS के आदेश एवं प्रिंसिपल देहरादून मेडिकल कॉलेज के शपथ पत्र तथा सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड राज्य के अपर महाधिवक्ता जे के सेठी एवं जितेंदर कुमार भाटिया द्वारा स्टेटस रिपोर्ट इस कॉलेज के सम्बन्ध में दाखिल की गयी और लिखा की कई केस एवं विवाद इस कॉलेज के विभिन्न न्यायालयों में लंबित है और इन्होने जमींन के पर्व स्वामियों को पूर्ण भुगतान नहीं किया है और बैंको में सम्पत्ति बंधक है और एग्रीमेंट के मुताबिक शर्तो का पालन नहीं किया और बैंको का लोन अदा नहीं किया है
और हम आपको बता रहे है की वास्तव में ये हालत आज की तिथि यानी 28 फरवरी 2022 तक भी वही है
बाद में इस रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार पर दबाब बढ़ा और क्यूंकि अनिवार्यता प्रमाण पत्र यानी कॉलेज START की एनओसी तत्कालीन सरकार ने घूसखोरी के चलते दी थी तो 2019 की सरकार को उन छात्रों को राज्य के मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट करना पड़ा और राज्य के ईमानदार और नेक छवि वाले निदेशक एवं तत्कालीन सचिव ने सुभारती कॉलेज और ट्रस्ट को अटैच करके 1 अरब 33 करोड़ की पेनल्टी इन पर लगाई जिसमे से अभी इनसे 72 करोड़ वसूलना बाकी है and Laibility of Privious Students also due in Crores.
इसके आलावा सभी जमीनं भूमि भवन बैंको में पर्व स्वामियों के नाम से बंधक है बैंको के सिम्बॉलिक कब्जे में है और डीआरटी उत्तराखंड में वाद लंबित है
कैसे हुआ अबकी बार फर्जीवाड़ा :
किसी भी राज्य में मेडिकल कॉलेज खोलने हेतु राज्य के चिकित्सा शिक्षा निदेशालय द्वारा गठित कमिटी की निरिक्षण रिपोर्ट और निदेशालय की संस्तुति की आवश्यकता होती है और उसके बाद शाशन उस रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज खोलने हेतु अनिवार्यता प्रमाण पत्र यानी एनओसी जारी करने की संस्तुति मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली हाई पावर कमिटी में रखता है उसके बाद हाई पॉवर कमिटी की संस्तुति के बाद सरकार एनओसी यानी अनिवार्यता प्रमाण पत्र या एलओआई जारी करती है
इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ जबकि निरीक्षण भी हुआ और 6 सदस्यों की कमिटी ने , निदेशक और तत्कालीन सचिव अमित सिंह नेगी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा की न तो इनके नाम से जमींनं है न ही अस्पताल क्रियाशील है और इनसे राज्य सरकार को धोखाधड़ी के एवज में 72 करोड़ भी वसूलना बाकी है
देखे रिपोर्ट एवं पत्र :
परन्तु सचिवालय में बैठे उत्तराखंड के 3000 करोड़ के एनएच घोटाले के आरोपित अधिकारी पंकज कुमार पांडेय ने निदेशालय की रिपोर्ट का संज्ञान लिए बिना और बिना हाई पावर कमिटी में प्रकरण को रक्खे इस संस्था को पुनः एनओसी यानि अनिवार्यता प्रमाण पत्र या एलओआई जारी कर दिया : देखे पत्र :
ये वो पहला पत्र है जिसमे अंत में पुरानी 72 करोड़ की देनदारी भी चुकाने की बात कही गई है और एनएमसी को जब इस बारे में राज्य में मीडिया में प्रकशित खबर के बारे में बताया गया तो एनएमसी ने इनका आवेदन ख़ारिज कर दिया
देखे पत्र :
अब इन खिलाड़ियों ने नया खेल यह खेला की इस देनदारी वाले कोलम को हटाने के लिए इसी सचिव एवं अनु सचिव सुनील सिंह से मिल कर एक झूठा शपथ पत्र दिया की ये खुद ही इस देनदारी को देंगे और जब तक देनदारी पूरी नहीं हो जाती ये अपनी किसी संपत्ति को बंधक नहीं रखेंगे तथा कोई लोन नहीं लेंगे पर अकल पर पत्थर पड़े यहाँ के अधिकारियो ने इनकी साथ में लगी बैलेंस शीट को देखा ही नहीं और पुनः एलओआई जारी कर दिया
भला ऐसा तरीका सरकार सब उद्योगो वाले और व्यवारियो को दे दे की उन्होंने ने ही करोडो की देनदारी देनी हो और वो खुद ही अपनी निजी गारंटी एक 10 रुपये के शपथ पत्र पर दे , व्यापारी वर्ग कितना खुश होगा The Investigation of IAS Pankaj Pandey for this initiated by PMO, DOPT ,Cheif Secreatry , and State Vigilence dept at Secretariat. See letter
पर यहाँ तो नियम कानून सेटिंग वाले लोगो के लिए होते है और आम व्यक्ति के खिलाफ 10 हजार भी देनदारी सरकार के हो तो उसका खून चूस ले
अब बात इस कॉलेज की सम्बद्धता दर्शाई गयी रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी की :
जैसा की आपको ऊपर बता चुके है की रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी पहले ही बदनाम है फर्जी एमबीबीएस की डिग्री बाँटने के लिए तो अब भी इन्होने अपनी ही इस फर्जीवाड़ा करके बनाई हुई यूनिवर्सिटी से इस गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यलय की संबध्ता दिखाई हुई है
जबकि इस यूनिवर्सिटी की स्थापना को लेकर विवाद अभी माननीय उच्च न्यायलय नैनीताल में लंबित है क्यूंकि पूर्ववर्ती हरीश रावत की सरकार ने गलत तथ्यों के आधार पर और जमीनं पर स्टे लगे होने के दौरान ये यूनिवर्सिटी गलत कागजो और गलत तथ्यों के आधार पर पास की थी तो इसको चुनौती दी गयी है और माननीय चीफ जस्टिस के यहाँ से अपील स्वीकार हो कर सिंगल बेंच में लंबित है
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और इसमें यदि एडवर्स निर्णय आ गया तो छात्रों की फीस ,
मेहनत और डिग्री बेकार हो जाएगी और फिर वही सब आंदोलन ,धरना ,प्रदर्शन आदि होगा .
हालांकि पिछली बार छात्रों के भबिष्य से खिलवाड़ के लिए हरीश रावत जिम्मेदार थे तो अबकी बार ये कारनामा त्रिवेंद्र और तीरथ के राज में हो गया है
देखना अब यह होगा की आगे छात्रों का भबिष्य इतने गहरे षड्यंत्र के बीच बिना फीस कमिटी की बैठक हुए फिर एक बार सीधे २४ लाख के लगभग फीस देने पर भी होगा या एनएमसी और सरकार इस पर पुनविचार करेगी क्यूंकि नए मेडिकल कॉलेज की फीस कभी इतनी नहीं होती जितनी की 10 साल पुराने मेडिकल कॉलेज की हो और यहाँ तो 10 साल और विवादों से भरे कॉलेज की भी 24 लाख के लगभग निर्धारित कर दी है जिसमे 5 लाख तो सिक्योरिटी ही है वो भी ऐसे मेस और छात्रावास की जहा कई लोगो की जान गयी हो ,आत्महत्या हुई हो और खाने में कॉक्रोच साहित् हॉस्टल में पानी भर जाता हो
हालांकि इस संस्था को जारी किये गए अनिवार्यता प्रमाण पत्र एवं एलओआई को निरस्त करने की याचिका एक माह पूर्व से ही माननीय उच्च न्यायलय नैनीताल में लंबित है ,बावजूद उसके मामला न्यायालय में लंबित रहते एनएमसी से सांठ गाँठ करके यह कंडीशनल अनुमति लाइ गयी है
यानी की निचे से लेकर ऊपर तक सब कंडीशनल ही कंडीशनल और उत्तराखंड के अभिभावकों और छात्रों को लूटने की नई योजना बनाई गई है क्यूंकि 24 लाख वसूलने के लिए ही तो 150 सीट दी गयी और वर्तमान सी एम फीस कम करने की बात करते है क्या इस दिन के लिए ही यह राज्य बना था ?
देखिये माननीय उच्च न्यायालय का 24 जनवरी 2022 का आदेश :
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aअब देखना यह है की 2 मार्च को माननीय उच्च न्यायलय नैनीताल से इतने बड़े भ्रस्टाचार पर क्या फैसला आता है जिसकी पैरवी अभिभावकों एवं छात्रों के हित में वरिष्ठ अधिकवक्ता धर्मेदं बर्थवाल कर रहे है
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