सुप्रीम कोर्ट ने देश में COVID-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में मामले दायर करने की परिसीमा अवधि बढ़ाने का आदेश दिया ।

सुप्रीम कोर्ट ने देश में COVID-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में मामले दायर करने की परिसीमा अवधि बढ़ाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया, “दिनांक 23.03.2020 के आदेश को बहाल किया जाता है। साथ ही बाद के आदेश दिनांक 08.03.2021, 27.04.2021 और 23.09.2021 की निरंतरता में यह निर्देश दिया जाता है कि सभी न्यायिक या अर्ध-न्यायिक कार्यवाही के संबंध में किसी भी सामान्य या विशेष कानूनों के तहत निर्धारित परिसीमा 15.03.2020 से 28.02.2022 तक की अवधि को निम्नलिखित के प्रयोजनों के लिए परिसीमा से बाहर रखा जाएगा।”

आगे के निर्देश इस प्रकार हैं, 2. नतीजतन, 03.10.2021 को शेष परिसीमा अवधि, यदि कोई हो, 01.03.2022 से उपलब्ध हो जाएगी। 3. ऐसे मामलों में जहां परिसीमा 15.03.2020 से 28.02.2022 के बीच की अवधि के दौरान समाप्त हो गई होगी, शेष परिसीमा की वास्तविक शेष अवधि के बावजूद, सभी व्यक्तियों की 01.03.2022 से 90 दिनों की परिसीमा अवधि होगी। यदि 01.03.2022 से प्रभावी परिसीमा की वास्तविक शेष अवधि 90 दिनों से अधिक है, तो वह लंबी अवधि लागू होगी।

यह आगे स्पष्ट किया जाता है कि 15.03.2020 से 28.02.2022 तक की अवधि को भी मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 23 (4) और 29A, वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम,2015 की धारा 12A और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के प्रावधान (बी) और (सी) और कोई अन्य कानून, जो कार्यवाही शुरू करने के लिए सीमा की अवधि (अवधि) निर्धारित करते हैं, के तहत निर्धारित अवधि की गणना में शामिल नहीं किया जाएगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) द्वारा दायर एक आवेदन के तहत स्वत: संज्ञान मामले में परिसीमा अवधि बढ़ाने के अनुरोध को स्वीकार किया।

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने देश में COVID-19 मामलों की बढ़ती संख्या के बीच मौजूदा स्थिति को देखते हुए न्यायिक और अर्ध-न्यायिक कार्यवाही के संबंध में वैधानिक परिसीमा अवधि बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर किया था। भारत के महान्यायवादी केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन की याचिका का समर्थन किया। 23 मार्च, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 स्थिति का स्वत: संज्ञान लेने के बाद पहली बार परिसीमा अवधि बढ़ाने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च, 2021 को, 14.03.2021 से परिसीमा अवधि विस्तार को समाप्त कर दिया था, यह देखते हुए कि COVID-19 की स्थिति में सुधार हुआ है। हालांकि, अप्रैल 2021 में COVID-19 की दूसरी लहर के सामने आदेशों को पुन: बहाल किया गया था। इसे 2 अक्टूबर, 2021 से से 23 सितंबर के आदेश द्वारा वापस ले लिया गया था। परिसीमा अवधि बढ़ाने का क्रोनोलॉजी 23.03.2020 : सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक परिसीमा अवधि 15.03.2020 से बढ़ा दी। 08.03.2011: सुप्रीम कोर्ट ने 15.03.2021 से परिसीमा अवधि बढ़ाने के आदेश को वापस लिया; 15.03.2020 से 14.03.2021 तक की अवधि को परिसीमा से बाहर रखा गया 27.04.2021 : सुप्रीम कोर्ट ने 23.03.2020 के आदेश को बहाल करके परिसीमा अवधि बढ़ाई; 14.03.2021 की अवधि को अगले आदेश तक परिसीमा से बाहर रखा गया है 23.09.2021 : सुप्रीम कोर्ट ने 02.10.2021 से परिसीमा विस्तार को वापस लिया; 15.03.2020 से 02.10.2021 तक की अवधि को परिसीमा से बाहर रखा गया 10.01.2022 : सुप्रीम कोर्ट ने परिसीमा विस्तार को बहाल किया; 15.03.2020 से 28.02.2022 तक की अवधि को परिसीमा से बाहर रखा गया

वरिष्ठ अधिवक्ता रजनीश कुमार गुप्ता ने बताया कि जिस प्रकार अदालतों में रिविजन ,अपील ,या 138 नेगोशिएब इंट्रूमेंट एक्ट आदि में 30 दिन या 45 दिन या 90 दिन की समय सीमा होतीं हैं और कोविड के चलते वो समय पर दाखिल नही हो पाए तो इस आदेश से वो समय सीमा के बाहर जाकर माननीय न्यायालय द्वारा प्रदत्त निर्धारित समय सीमा में जाकर दाखिल किए जा सकते हैं ।

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