देखिए मुख्य सचिव महोदय ऐसे है आपके स्टाफ अफसर और ऐसे घुमाते है जांच ।

देहरादून : सचिवालय में हाल ही में चर्चित रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी और सुभारती ट्रस्ट द्वारा किए नए फर्जीवाड़े के तहत राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे और स्टेट्स रिपोर्ट के खिलाफ जाकर सारे नियम कानून को ताक पर रख कर Essentiality Certificate जारी करने का मामला इतना तूल पकड़ चुका है कि अब मुख्य सचिव के यहां से शिकायत पर कृत कारवाही की RTI पर बड़ा विवादित उत्तर मिला है

इस RTI के जवाब मेंंंं मुख्य सचिव के लोक सूचना अधिकारी और स्टाफ अफसर ने यह लिखा है कि ” आपको सूचना उपलब्ध करवाने संबंधित आवेदन को स्वास्थ्य परिवार कल्याण से संबंधित होने के कारण सचिव स्वास्थ्य परिवार कल्याण को भेजा गया है ” जबकि उक्त मामला चिकित्सा शिक्षा का है परंतु इस मामले को लटकाने के लिए पत्रावली को घुमा दिया है की इस बीच आरोपियों को अपना खेल करने की छूट दे दी जाए । गजब है भाई ? क्या दिमाग रखते है आप ?

गजब का जवाब

दूसरा सबसे गंभीर मुद्दा यह है इस पत्र में की बिल्ली को दूध की रखवाली दी गई है यानी जिस विवादित IAS पंकज पांडे के खिलाफ शिकायत है उसकी जांच और शिकायत का निस्तारण भी उन्ही को दिया गया है । वाह साहब वाह क्या कार्यप्रणाली है आपके मातहतो की और ये तो नाम खराब करवा देंगे आपका पीएमओ में

दूसरी सुनिए…..लोक सूचना अधिकारी / उप सचिव सुनील सिंह , चिकित्सा शिक्षा से RTI मांगी गई जिसने उत्तर में उन्होंने 591 पेज हेतु 1192 रुपए जमा करवाने को कहा और RTI तैयार होकर उनके पास हस्ताक्षर होने को गई तो महोदय ने विवादित सुभारती ट्रस्ट और विवादित सचिव पंकज पांडे के दबाव में आज एक हफ्ते से RTI दबा कर रख दी है और फोन पर झूट बोला की RTI सचिव श्री अमित नेगी के पास गई है । सवाल यह है की RTI सूचना तैयार होने के बाद सचिव अमित नेगी को क्यों जायेगी ? इस संबंध में जब सचिव श्री अमित नेगी से पूछा गया तो उन्होंने बताया की मेरे पास ऐसी कोई फाइल लंबित नही है यानी झूठ की प्रकाष्ठा इतनी हो गई है की ईमानदार अधिकारी को भी फंसाने और उनका झूटा नाम लेकर फाइल दबाने से बाज नहीं आए सुनील सिंह , उप सचिव और लोक सूचना अधिकारी ।

अब सुनिए सुनील सिंह का इतिहास : 4 साल से स्वास्थ्य , परिवार कल्याण में निजी क्षेत्र को इतनी मलाई बांटी की अब आकार चिकित्सा शिक्षा में उप सचिव बन गए और इनकी और सुभारती ट्रस्ट की इतनी मित्रता है की इस प्रकरण में ये भी संलिप्त निकलेंगे क्योंकि नोट शीट पर फाइल मिलीभगत से इन्होंने ही चलाई और पूरा मामला से सम्बन्धित स्पष्ट नोट जैसे ,कोर्ट ,निर्णय,विवादित संपति,निदेशालय की आख्या आदि न देखा और न ऊपर भी नही लिखा । बस माल हजम ।

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