विकसित होंगे चौरासी कुटी व हर्षिल समेत पांच स्थल
71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में स्थित सुरम्य स्थल अब पर्यटकों को वन एवं वन्यजीव संरक्षण को प्रेरित करने के साथ ही स्थानीय निवासियों के लिए स्वरोजगार का जरिया भी बनेंगे।
इस कड़ी में ऋषिकेश की चौरासी कुटी व उत्तरकाशी के हर्षिल समेत पांच स्थलों को ईको टूरिज्म की दृष्टि से विकसित करने का निर्णय लिया गया है। राज्य वन्यजीव बोर्ड से हरी झंडी मिलने के बाद अब इस दिशा में कसरत शुरू कर दी गई है।
पर्यटन विभाग के सहयोग से इनके लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। प्रयास यह है कि नए साल में ये पांचों स्थल ईको टूरिज्म के नए केंद्र के रूप में वैश्विक स्तर पर पहचान बनाएं।
से देखते हुए राज्य के वन क्षेत्रों में ईको टूरिज्म पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वन विभाग की ओर से हाल में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में पांच स्थलों को इस दृष्टि से विकसित करने का प्रस्ताव रखा गया। विमर्श के बाद बोर्ड ने इस पर सहमति दे दी।
वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल के अनुसार जिन पांच नए स्थलों को ईको टूरिज्म के लिहाज से विकसित किया जाएगा, उनमें चौरासी कुटी (राजाजी टाइगर रिजर्व), हर्षिल, टिहरी झील से लेकर धनोल्टी तक के क्षेत्र के अलावा पिथौरागढ़ के मुनस्यारी के दो क्षेत्र चिह्नित किए जा रहे हैं।