तराई में महिला तस्कर लगा रही युवतियों को ड्रग्स की लत, पढ़े पूरा मामला

काशीपुर,VON NEWS: तराई में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं का एक बड़ा तबका ड्रग्स का लती हो रहा है। इसकी एक बड़ी वजह महिला ड्रग्स तस्करों की फौज काे माना जा रहा है। यूपी-उत्तराखंड के  सीमावर्ती जिले रामपुर, बरेली और मुरादाबाद से नशे की खेप लाई जाती है और फिर कुमाऊं के कई जिलों में इसकी तस्करी होती है।

पुलिस ने ड्रग्स तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लंबे समय से अभियान चला रखा है। इसी अभियान के चलते बीते 2 साल के दौरान काशीपुर कोतवाली पुलिस ने 15 से ज्यादा महिला ड्रग तस्करों को जेल भेजा है।

आज के दौर में नशा समाज के लिए बहुत बड़ा अभिश्राप बन गया है। एक बहुत बड़ी विडंबना है कि युवाओं का एक हिस्सा ड्रग्स की चपेट में आ गया है।

नशे का यह काला कारोबार पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी कर रही हैं। इसका उदाहरण है बीते  2 साल के दौरान 15 से ज्यादा महिला तस्करों का काशीपुर पुलिस द्वारा जेल भेजा जाना। हाल ही के दिनों में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि युवाओं के साथ-साथ युवती या और महिलाएं भी नशे के दलदल में फंस रही हैं। तराई के साथ-साथ पहाड़ पर भी महिला ड्रग्स तस्करों ने अपना जाल फैला रखा है। वहां भी भारी मात्रा में युवतियों और महिलाओं को नशे का आदि किया जा रहा है। स्कूल, कालेज, कोचिंग में पढ़ने वाली मासूम छात्राओं को भी नशे के दलदल में घसीटा जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार सैकड़ों की संख्या में महिलाएं और युवतियां नशे की लत का शिकार हो चुकी हैं। पहले नशेड़ी महिलाओं के इक्का-दुक्का उदाहरण ही देखने को मिलते थे, लेकिन बीते 5 साल के दौरान जब से महिला तस्करों का दबदबा तस्करी के क्षेत्र में बढ़ा है, उसके बाद महिला तस्करों ने युवतियों और महिलाओं को अपने जाल में फांस कर उन्हें अपना ग्राहक बना लिया। यही कारण है कि इस दौरान नशे के दलदल में फंसी महिलाओं की संख्या काफी बढ़ गई है। हालांकि पुलिस ने इस दिशा में कई कड़े कदम उठाए हैं। जिसके तहत भारी संख्या में महिला तस्करों की गिरफ्तारी हुई है। अभियान अभी जारी है। पुलिस का दावा है कि पूरी तरह से नशे को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।

हर बार फंसती है छोटी मछली

नशे के कारोबार ने लिप्त हमेशा छोटी मछलियां ही फंसती आई हैं। मगरमच्छों तक पुलिस अक्सर नहीं पहुंच पाती है। शायद यही कारण है कि नशे का कारोबार घटने की जगह लगातार बढ़ता चला जा रहा है। छोटे-छोटे ड्रग पैडलर गिरफ्तार कर जेल भेजे जाते हैं, लेकिन मेन सप्लायर के गिरेबान तक पुलिस के हाथ अक्सर नहीं पहुंच पाते हैं। कई बार पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं। कहा जाता रहा है कि पुलिस अपना काम पूरी ईमानदारी से नहीं करती है। दूसरी ओर जेल गए ड्रग्स तस्कर कुछ ही दिनों में जमानत पर बाहर आ जाते हैं और दोबारा से तस्करी के धंधे में लिप्त हो जाते हैं। यह सिलसिला कब तक चलता रहेगा इसका जवाब पुलिस के पास नहीं है।

नशे की लत ने कई को बना दिया तस्कर

जिले में कई ऐसे उदाहरण भी हैं, जिनमें ड्रग्स की लत ने लोगों को ड्रग्स तस्कर बना दिया। शुरुआती दौर में लगी नशे की लत पूरी करने के लिए कई युवा खुद ही ड्रग्स की तस्करी में लिप्त हो गए। जिसके चलते तस्करों की संख्या दिन-व-दिन बढ़ती जा रही है। इस पर लगाम लगाने के लिए पुलिस की ओर से दावे तो किए जाते रहे हैं, लेकिन धरातल पर ड्रग्स तस्करों की बढ़ती हुई संख्या को नहीं रोका जा सका है।

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