मुख्यमंत्री ,सतपाल को बुलाया जाना, चोबट्टा खाल की गणित और उप चुनाव करवाने हेतु विधान सभा का कार्यकाल आगे बढ़ाया जाना और नियम ?

मुख्यमंत्री ,सतपाल को बुलाया जाना, चोबट्टा खाल की गणित और उप चुनाव करवाने हेतु विधान सभा का कार्यकाल आगे बढ़ाया जाना । एक विचार ?


देहरादून/नई दिल्ली : वॉयस ऑफ नेशन  (मनीष वर्मा ) जैसा की 2 दिन हो गए और पूरे राज्य सहित देश में उत्तराखंड को लेकर उहापोह की स्तिथि बनी हुई है और इसका पटाक्षेप किस प्रकार होगा इसको लेकर सब अपने अपने कयास लगा रहे है पर इन सब में यक्ष प्रश्न यही आता है कि सतपाल महाराज को ही आलाकमान द्वारा सिर्फ क्यों बुलाया गया ? 


सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री की पुरानी ,अपनी और सुरक्षित सीट चोबट्टा खाल मानी जाती है और सतपाल महाराज ने उसे मुख्यमंत्री के लिए खाली करने से मना कर दिया था जिसको लेकर उहापोह की स्तिथि बनी और नौबत यहां तक आई की इस सीट को खाली करवाने के लिए हाईकमान को बीच में आना पड़ा । हालंकि सतपाल महाराज को पौड़ी की मुख्यमंत्री वाली सांसद की सीट इसके बदले देने की बात कही जा रही है क्योंकि वर्तमान में इस सीट को जितने के लिए उनसे ज्यादा कोई सक्षम नहीं है ,पर मुख्यमंत्री जब चुनाव जीत जायेंगे तब सीट से इस्तीफा देंगे और यही सूत्र बता रहे है कि कोई पेंच फस रहा है ।

संविधान की माने तो प्रत्येक विधान सभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाव होता है। आपातकाल के दौरान, इसके सत्र को बढ़ाया जा सकता है या इसे भंग किया जा सकता है। विधान सभा का एक सत्र वैसे तो पाँच वर्षों का होता है पर लेकिन मुख्यमंत्री के अनुरोध पर राज्यपाल द्वारा इसे पाँच साल से पहले भी भंग किया जा सकता है। विधानसभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया जा सकता है लेकिन एक समय में केवल छः महीनों के लिए। विधान सभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर भी भंग किया जा सकता है। राज्य विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी केन्द्रीय चुनाव आयोग की होती है
यानी देश में कोरोना आपातकाल के तौर पर ही डिक्लेयर है और इस आपातकाल को देखते हुए विधान सभा का कार्यकाल 6 माह बढ़ाया जा सकता है जिससे पीपल ऑफ रिप्रजेंटेशन एक्ट की धारा जो एक वर्ष से पहले कराए जाने वाले चुनाव को प्रभावित करने की बात कहती है ,उससे बाहर हो जायेगा और उप चुनाव करवाए जा सकेंगे जिसके तहत मुख्यमंत्री की राह के सब कांटे हट जाएंगे और प्रदेश में अस्थिरता की स्तिथि समाप्त हो जायेगी एयर विपक्ष को भाजपा का करारा जवाब भी मिलेगा

देश में चुनाव कराने संबंधित निर्णय तो राष्ट्रपति के निर्णय के तहत होता है और इस समय डबल इंजन को सरकार को सभी अधिकार प्राप्त है । क्योंकि राष्ट्रपति अनुच्छेद 324(2) में, भारत के राष्ट्रपति को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के अलावा निर्वाचन आयुक्तों की संख्या समय-समय पर निर्धारित करने के लिए भी सशक्त बनाता है। तथा 

 ” लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 57 में इस बारे में प्रावधान है. यदि चुनाव वाली जगह पर हिंसा, दंगा या प्राकृतिक आपदा हो, तो चुनाव टाला जा सकता है. इस बारे में फैसला मतदान केंद्र का पीठासीन अधिकारी ले सकता है. हिंसा और प्राकृतिक आपदा अगर बड़े स्तर पर हो यानी पूरे राज्य में हो, तो फैसला चुनाव आयोग ले सकता है. अभी के हालात आपदा वाले ही हैं. कोरोना वायरस के चलते भीड़ इकट्ठी नहीं हो सकती. ऐसे में कई चुनाव आगे बढ़ाए जा चुके हैं. “

अब देखना यह है कि आज क्या निर्णय लेकर मुख्यमंत्री देहरादून लौटते है

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