6,50,000 किट (गुआंज़ौ) Guangzhou चीन हवाई अड्डे से आज भारत भेजा गया :जाने क्या है ये किट
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट और आरएनए एक्सट्रैक्शन किट सहित कुल 6,50,000 किट चीन के गुआंज़ौ हवाई अड्डे से भारत भेजा गया। इसकी जानकारी चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिश्री के हवाले से दी गई
VON SPECIAL NEWS: कोरोना वायरस को हराने के लिए भारत सरकार युद्धस्तर पर जुटी हुई है। लगातार टेस्ट सैंपल लिए जा रहे हैं, इनकी जांच जारी है। कोविड-19 को हराने के लिए सख्त दिशा-निर्देशों का पालन हो रहा है। संयुक्त पत्रकार वार्ता में रोजाना कोविड-19 से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी, आवश्यक दिशा-निर्देश और सूचनाएं लोगों तक पहुंचाई जा रही हैं। 16 अप्रैल यानी गुरुवार को हुई प्रेस वार्ता में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिचर्स (ICMR) के डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एंटीबॉडी टेस्ट का जिक्र किया। उन्होंने तफसील से इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस टेस्ट का हर क्षेत्र में इस्तेमाल का फायदा नहीं है। इसे केवल हॉटस्पॉट वाले इलाके में इस्तेमाल किया जाएगा। आइए आपको बताते हैं कि आखिर रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट है क्या और कैसे काम करता है?
पहले एंटीबॉडी के बारे में समझते हैं (a blood protein produced in response to and counteracting a specific antigen. Antibodies combine chemically with substances which the body recognizes as alien, such as bacteria, viruses, and foreign substances in the blood.)
किसी के शरीर में जब विषाणुओं का प्रवेश होता हैं तो उनसे लड़ने के लिए शरीर कुछ शस्त्र तैयार करता है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में एंटीबॉडी कहते हैं। विषाणु के आकार से ठीक विपरित आकार की एंटीबॉडी खुद-ब-खुद शरीर में तैयार होकर वायरस से चिपक जाती है और उसे नष्ट करने का काम करती है। एंटीबॉडी कई प्रकार के होते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक खून में मौजूद एंटीबॉडी से ही पता चलता है कि किसी शख्स में कोरोना या किसी अन्य वायरस का संक्रमण है या नहीं। यानी एंटीबॉडी शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करती है।
(A type of HIV antibody test used to screen for HIV infection. A rapid HIV antibody test can detect HIV antibodies in blood or oral fluid in less than 30 minutes.)
कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने क्लस्टर और हॉटस्पॉट इलाकों में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट करने का फैसला किया था। इस ब्लड टेस्ट में मरीज के खून का सैंपल लिया जाता है। आसान भाषा में कहे तो अंगुली में सुईं चुभोकर खून का सैंपल लेते हैं, जिसका परिणाण भी 15 से 20 मिनट में आ जाता है। इसमें यह देखते हैं कि संदिग्ध मरीज के खून में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी काम कर रही है या नहीं। अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए जेनेटिक टेस्ट किया जाता है, जिसमें रूई के फाहे की मदद से मुंह के रास्ते से श्वास नली के निचले हिस्सा में मौजूद तरल पदार्थ का नमूना लिया जाता है। लॉकडाउन के दौरान एंटीबॉडी टेस्ट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि इसका इस्तेमाल उनलोगों की पहचान के लिए किया जा रहा है, जिनमें कोरोना का खतरा है।
सेरोलॉजिकल टेस्ट और एंडीबॉडी टेस्ट क्या है?
(Serological tests work on blood samples rather than nasal swabs. These types of test for coronavirus are being developed by a number of labs around the world. The Blood of someone who has been exposed should be full of antibodies against the virus. It’s the presence, or absence, of such antibodies that the new tests measure. Among those developing such tests are researchers at the Icahn School of Medicine in New York City, led by Florian Krammer.)
How does it work?
To make their version of a test, the Icahn team produced copies of the telltale “spike” protein on the virus’s surface. That protein is highly immunogenic, meaning that people’s immune systems see it and start making antibodies that can lock onto it. The test involves exposing a sample of blood to bits of the spike protein. If the test lights up, it means that you have the antibodies.
To check their results, the team inspected blood samples collected before covid-19 came out of China this year, as well as blood from three actual coronavirus cases. According to Krammer, the test can pick up the body’s response to infection “as early as three days post symptom onset.”
एंटीबॉडी टेस्ट को ही सेरोलॉजिकल टेस्ट कहा जाता है। किसी संक्रमण के लक्षण को पहचानने में एंटीबॉडी को तीन-चार दिनों तक का वक्त लगता है, क्योंकि मानव शरीर एंटीबॉडी प्रोटीन को तभी पैदा करता है जब शरीर में कोई संक्रमण होता है। आईसीएमआर के मुताबिक खांसी, जुकाम आदि के लक्षण दिखने पर पहले 14 दिनों के लिए क्वारंटीन किया जाता है और उसके बाद एंटीबॉडी टेस्ट होता है। यदि रैपिड एंटीबॉडी ब्लड टेस्ट निगेटिव आता है तो मरीज का आरटी-पीसीआर (RT-PCR) टेस्ट होगा। यदि उसके बाद यदि रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो इसका मतलब कोरोना संक्रमण है। इसके बाद शख्स को प्रोटोकॉल के अनुसार आइसोलेशन में रखा जाएगा, उसका इलाज होगा और उसके संपर्क में आए लोगों को खोजा जाएगा। सेरोलॉजिकल टेस्ट जेनेटिक टेस्ट के मुकाबले काफी सस्ता होता है। सेरोलॉजिकल टेस्ट में रिवर्स-ट्रांसक्रिप्टेस रीयल-टाइम पोलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) के जरिए बहुत ही कम समय में रिजल्ट मिल जाता है।
‘रैपिड जांच के लिए जनता आग्रह न करें’
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के डॉ. रमन आर गंगाखेड़कर ने कहा, हमारे पास चीन की दो कंपनियों से कुल पांच लाख रैपिड जांच किट आई हैं। इन दोनों की जांच का तरीका अलग है। ये एंटी बॉडी की जांच के लिए हैं। ये रैपिड एंटी बॉडी जांच किट कोरोना की शुरुआती जांच के लिए बल्कि सर्विलांस के लिए उपयोग में लाई जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर की संयुक्त प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच के लिए लोगों को लैब पर ही निर्भर रहना होगा, आम जन इस रैपिड टेस्ट की मांग न करें। इसका इस्तेमाल कोरोना की जांच के लिए नहीं बल्कि महामारी के प्रसार का पता लगाने के लिए किया जाता है।
इसके साथ ही डॉ. रमन ने कहा कि देश में हम 24 लोगों की जांच कर रहे हैं तब एक मरीज पॉजिटिव आ रहा है। Japan में यह आंकड़ा 11.7 जांच में एक पॉजिटिव का और इटली में हर 6.7 लोगों की जांच पर एक पॉजिटिव है। वहीं, अमेरिका में यह 5.3 और ब्रिटेन में 3.4 है।