मधुमेह रोगियों के लिए आयी नई तकनीक

VON NEWS अब मधुमेह रोगियों के इलाज  के लिए एक नई तकनीक आ रही है. शोधकर्ताओं ने एआई तकनीक से कृत्रिम अग्नाशय बनाया है जो मधुमेह रोगियों के लिए इंसुलिन खुराक में सुधार कर सकता है. वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि दुनिया में पहली बार इस प्रकार के अग्नाशय का निर्माण हुआ है. जब हमारे शरीर के अग्नाशय में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है. इस स्थिति को मधुमेह कहा जाता है. इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है. इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को ऊर्जा में बदलने का होता है.

यह नई एआई तकनीक पूर्ण सुरक्षा के साथ प्रत्येक व्यक्ति के रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए सर्वोत्तम इंसुलिन खुराक की सिफारिश कर सकती है. इसे में आने वाले समय में यह तकनीक मधुमेह रोगियों के लिए वरदान साबित हो सकती है. जिस प्रकार दुनिया भर में मधुमेह तेजी से फैल रहा है उसमें ये बेहद सहायक साबित होगी. आजकल बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी मधुमेह के शिकार हो रहे हैं. दुनियाभर में मधुमेह के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है

 जागरुकता की कमी से बढ़ रहा 

डा‍यबिटीज (मधुमेह) में शुगर नियं‍त्रण और इससे जुड़ी बीमारियों को लेकर लोगों की जानकारी बेहद कम है. इस बाबत कराये गए एक अध्‍ययन से पता चला है कि 40 फीसदी लोगों को शुगर के सामान्‍य स्‍तर का पता नहीं है. यही नहीं डायबिटीज के लिए हर तीन महीने में करवायी जाने वाली औचक जांच यान एचबीएवनसी के बारे में केवल दस फीसदी लोग ही जानते हैं. बीमारी की कम जानकारी की वजह से डायबिटीज के करीब 50 फीसदी मरीज दिल की बीमारी के करीब हैं.

डायबिटीज प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रहे एक अध्‍ययन के अनुसार 30 से 40 साल की उम्र के 45 फसदी लोग डा‍यबिटीज से पहले की अवस्‍था यानी प्री डायबिटीज को गंभीरता से नहीं लेते हैं. यह वह स्थिति होती है जब साधारण जांच में शुगर का स्‍तर सामान्‍य से अधिक पाया जाता है.

शुगर नियंत्रण को  लेकर लोग गंभीर नहीं रहते हैं. डायबिटीज प्रबंधन की जानकारी दस प्रतिशत मरीजों को भी नहीं है. यही कारण है कि डायबिटीज की पहचान होने के पांच से आठ साल के अंदर मरीजों को दिल की धमनियों की बीमारी हो जाती है.

अध्‍ययन में पाया गया कि वर्ष 2008 में डायबिटीज के लिए पंजीकृत 50 प्रतिशत मरीज दिल की बीमारी के करीब हैं. इनके खून में साधारण कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर अधिक देखा गया, जबकि 67 प्रतिशत को इस बात की जानकारी नहीं है कि डायबिटीज उनके शादीशुदा जीवन को भी प्रभावित करती है.

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