सीबीआइ ने शुरू की मुन्ना बजरंगी हत्याकांड की जांच

लखनऊ,VON NEWS:  इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने बागपत जेल में हुई माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की हत्या का केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। बागपत जिला जेल में हत्या के इस मामले में आरोपित सुनील राठी पर सीबीआइ ने शिकंजा कसा है।

सीबीआई ने बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी हत्याकांड में दर्ज कराई गई एफआइआर को अपने केस का आधार बनाया है। हाईकोर्ट ने 25 फरवरी को मुन्ना बजरंगी हत्याकांड की सीबीआइ जांच का आदेश दिया था।

सीबीआइ जांच में अब बागपत जेल के भीतर हुई इस बहुचर्चित हत्याकांड से जुड़े राज खुलने के साथ ही जेल व पुलिस के कई अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ेंगी। हाईकोर्ट ने इस मामले में 20 अप्रैल को सीबीआइ से पहली प्रगति रिपोर्ट भी तलब की है।

बागपत जेल में नौ जुलाई 2018 को उच्च सुरक्षा बैरक में माफिया प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की सजायाफ्ता बंदी सुनील राठी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। झांसी में बंद मुन्ना बजरंगी को बागपत में पेशी के कारण बागपत जेल स्थानान्तरित किया गया था। बागपत जेल पहुंचते ही मुन्ना बजरंगी की हत्या हो गई थी।

जेलों की सुरक्षा को लेकर उठे बड़े सवालों के बीच ही शासन ने बागपत के तत्कालीन जेलर उदयप्रताप सिंह, डिप्टी जेलर शिवाजी यादव, हेड वार्डर अरजिंदर सिंह और वार्डर माधव कुमार को निलंबित कर दिया था। हत्यारोपित बंदी सुनील राठी का बागपत जेल में पूरा प्रभाव था और उसके मुलाकातियों व उनके द्वारा लाये जाने वाले सामान की तलाशी नहीं होती थी।

कारागार अधिकारियों की जांच में यह भी सामने आया था कि तत्कालीन जेलर को जानकारी थी कि सुनील राठी और मुन्ना बजरंगी दोनों शातिर अपराधी हैं, इसके बावजूद मुन्ना बजरंगी को सुनील राठी के अहाते में बंद किया गया था।

शासन ने बाद में तत्कालीन जेलर उदय प्रताप सिंह के अलावा हेड वार्डर अरजिंदर सिंह और वार्डर माधव कुमार को बर्खास्त कर दिया था। मुन्ना हत्याकांड के बाद कुछ सफेदपोशों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठे थे। हालांकि पुलिस जांच में किसी की भूमिका सामने नहीं आई थी।

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