कोरोना वायरस पर आज तक की सबसे बड़ी जानकारी :

VON NEWS DEHRADUN: चूंकि कोरोना वायरस एक नया वायरस है। और भारत में अभी तक थोड़े से लोग इससे ग्रस्त पाये गये हैं तथा उनको भी 14 दिन तक एकांत में रख कर इस वायरस से मुक्त हो जाने पर ही उन्हें घर जाने दिया जा रहा है इसलिए आधिकारिक तौर पर किसी भी आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सक को अभी तक ऐसे रोगियों की चिकित्सा का अवसर उपलब्ध नहीं हो पाया है। इसलिए विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की औषधियों का इस वायरस पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहना संभव नहीं है।

इसलिये   सोशल मीडिया  पर कोरोना वायरस की चिकित्सा का दावा करने वाले नुस्खों पर कितना भरोसा किया जा सकता है यह आप स्वयं तय कर सकते हैं।

अब मैं आपको वायरस से बचने का सामान्य आयुर्वेदिक उपाय बताता हूं।
मैं यह दावा तो नहीं कर रहा कि इस आयुर्वेदिक उपाय से आप कोरोना वायरस से भी बच सकते हैं लेकिन इस आयुर्वेदिक उपाय से बहुत सारे वायरस से होने वाले बुखार जुकाम एवं खांसी से बचा जा सकता है। शायद कोरोना वायरस से भी।
आयुर्वेद के ऋषियों ने इस तरह की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बहुत पहले ही एक सुरक्षा कवच का निर्माण किया था। जो कि न सिर्फ बेहद सस्ता है, बल्कि उसके और भी बहुत से फायदे हैं।
उस सुरक्षा कवच का नाम है-
” प्रतिमर्श नस्य”।
सरसों के तेल को आग  पर थोड़ा सा पका लें और फिर ठंडा करके एक शीशी में रख लें।
अब सुबह के समय अपने हाथ की छोटी उंगली को नाखून की जड़ तक उस तेल में डुबो कर उसे किसी एक नथुने (nostril) में अंदर की ओर डालकर नाक में तेल लगा लें। फिर उस उंगली को दुबारा तेल में उसी तरह डुबाकर, दूसरे नथुने में वैसे ही तेल को लगा लें। याद रखें तेल नाक के भीतर लगाना है, बाहर नहीं।

अब 1 मिनट के लिये बिना तकिया (pillow)

लगाये लेट जायें।

अब आप ये जान लीजिये कि आपने प्रतिमर्श नस्य का कवच पहन लिया है।

अब आप अपना रोजमर्रा के काम शुरू कर सकते हैं।
दरअसल नाक के भीतर लगाया गया यह तेल नाक की अंदरूनी सतह पर एक परत बना देता है, जिसके कारण कोई भी वायरस, बैक्टीरिया या पराग कण नाक की अंदरूनी सतह को स्पर्श ही नहीं कर पाते इसलिये वे आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाते। और अगली सुबह जब आप नाक साफ करते हैं तो ये सभी कीटाणु और धूल आदि बाहर निकल जाते हैं।
नवजात शिशु से लेकर गर्भवती महिलाओं और वृद्ध तक सभी लिंग और आयु के लोग इस उपाय का प्रयोग कर सकते हैं।
ये कवच हवा में फैले खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया के साथ-साथ धुवाँ , धूल, और हवा में मौजूद नमी से नाक और गले में होने वाली एलर्जी से भी आपको बचाता है ।
बस इतना ध्यान अवश्य रहे कि सरसों का तेल शुद्ध होना चाहिए। इसके लिए अपने खेत में पैदा हुई सरसों का तेल अच्छा है परंतु यदि ये उपलब्ध न हो तो किसी अच्छे भरोसेमंद ब्रांड का सरसों तेल भी इस्तेमाल किया जा सकता है। परंतु खुला तेल बिल्कुल भी न खरीदें।
इसके साथ साथ आप अपनी रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाने के लिए गिलोय और आँवला का सेवन भी कर सकते हैं।
कुछ भी खाने के पहले साबुन से हाथ धोना न भूलें। आँखों, नाक तथा मुँह को छूने से पहले हाथों को साबुन से जरूर साफ करें।
दिन भर काम-काज के बाद शाम को अपने स्मार्टफ़ोन को भी साफ करना न भूलें। इसके लिये आप हल्के गीले रूमाल में 2-4 बूंद कोई एंटीसेप्टिक सोल्यूशन लगा कर स्मार्ट फोन को साफ करें।
कोरोना वायरस से घबरायें नहीं, क्योंकि पूरी दुनिया में अभी तक कोरोनावायरस से पीड़ित 48000 लोग अब तक इस वायरस से मुक्त हो चुके हैं।

आइये जानते है UNICEF का क्या कहना है कोरोना वायरस के विषय में:

Unicef
The corona virus is large in size with a cell diameter of 400-500 micro, so any mask prevents its entry so there is no need to exploit pharmacists to trade with muzzles.

The virus does not settle in the air, but on the ground, so it is not transmitted by the air.

The corona virus, when it falls on a metal surface, will live for 12 hours, so washing hands with soap and water well will do the trick.

Corona virus when it falls on fabrics stays for 9 hours so washing clothes or exposing them to the sun for two hours is enough for the purpose of killing him.

The virus lives on the hands for 10 minutes so putting the alcohol sanitizer in the pocket is enough for the purpose of prevention.

If the virus is exposed to a temperature of 26-27°C, it will be killed, it does not live in hot areas. Also drinking hot water and exposure to the sun is good enough.
Stay away from ice cream and cold food is important.

Gargling with warm water and salt kills tonsils and prevents them from leaking into the lungs.

Adhering to these instructions is sufficient to prevent the virus.

 

कोरोना वायरस के कारणों पर शोध से चीन ने जो निष्कर्ष निकाले हैं वे परोक्ष रूप में भारतीय वैदिक संस्कृति का अनुमोदन करते हैं। जो कि इस प्रकार है :-

  •  हमारे प्राचीन ऋषियों ने वेदों के आधार पर शवों को अग्नि में जलाकर दाह संस्कार करने का विधान बनाया था।
    चीन ने घोषणा की है कि अगर शवों को जमीन में गाड़ देंगे, तो उनके शरीर में जो कोरोना वायरस या अन्य वायरस व बैक्टीरिया होते हैं वो जमीन में मिल जाएंगे और ये वायरस और बैक्टीरिया कभी नष्ट नहीं होंगे, बल्कि जमीन में ही फैलेंगे और जल तथा वायु को प्रदुषित करेंगे। शवों को जला देने से आग के जरिये वायरस और बैक्टीरिया सदा सदा के लिए ख़त्म हो जाते हैं। इसीलिए चीन ने घोषणा की है कि जितने भी लोग कोरोना वायरस से पीड़ित होकर मर रहे हैं, उन सभी का अंतिम संस्कार जलाकर ही किया जायेगा।
  • वेद और वैदिक सहित्य में शाकाहार को ही मनुष्य का भोजन कहा गया है। मांसाहार रोगों को बढ़ाने वाला और महापाप की श्रेणी में आता है।जिसका सेवन स्पष्ट रूप में वर्जित है।
    मांसाहार कितना खतरनाक होता है , इस बात की जानकारी चीन को ही नहीं सारे विश्व को कोरोना के कारण पता चली है। जिन प्राणियों को माँसाहारी खाते हैं वे कई प्रकार की घातक बीमारीयों से पीड़ित हो सकते हैं तथा उनके सेवन से मनुष्य उन बीमारीयों की चपेट आ सकता है यह बात कारोना वायरस ने सिद्ध कर दिया है। अब पूरे विश्व को शाकाहार को ही अपनाना होगा।
  • हमारे ऋषियों ने यज्ञ को सर्वश्रेष्ठ कर्म कहा है क्योंकि शुद्ध जल और वायु मनुष्य के लिए परम आवश्यक है। अग्नि में डाला गया घी एवं अन्य सामग्री वातावरण में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया को भी समाप्त करता है ।
    चीन अब भारत में अपनाई जाने वाली यज्ञ पद्धति से वायरस मिटाने पर विचार कर रहा है। क्योंकि मांसाहार त्याग कर वायरस से कुछ सीमा तक तो बच सकते हैं लेकिन जो वायरस वायुमंडल में फैल चुके हैं उनको समाप्त करने का उपाय यज्ञ ही है।
  • वैदिक संसकृति में आपसी मेल जोल में शारीरिक स्पर्श जैसे हाथ मिलाना या गले मिलना या चूमना आदि का कोई स्थान नहीं है। एक दुसरे से मिलने पर हाथ जोड़ कर नमस्ते करने का आदेश है। यह नियम हमारे ऋषियों की वैज्ञानिक व स्वास्थ्य की दृष्टि से उच्च कोटि सोच को दर्शाता है। अन्य अभिवादन के ढंग छूत रोग कारक है इसलिए हाथ जोड़कर नमस्ते करना ही स्वास्थ्य के लिए उचित है।
    आज चीन में लोगों को कोरोना वायरस से बचने के लिए शारीरिक स्पर्श से बचने के निर्देश दिये गये हैं। यह सब निर्देश वैदिक संस्कृति का ही समर्थन करते हैं।जिनको हमने करोड़ों वर्षों से अपनाया हुआ है।

आज चीन शव दाह संस्कार, शाकाहार, यज्ञ विज्ञान और भारतीय संस्कृति को अपना रहा है! वह दिन दूर नहीं जब पूरा विश्व भारतीय वैदिक संस्कृति को अपनाने को मजबूर होगा
*भारत में ऋषि- मुनियों ने जो नियम धर्म औरपरम्पराओं के आधार पर बनाये है वही सर्वश्रेष्ठ हैं और इनको अपनाने से ही हर रोग से बचा जा सकता है।

सीमेंस के कुछ प्रीकॉशन्स कोरोना वायरस के लिए:

क्या कहते है हमारे प्रधानमंत्री जी ……

*कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में अफवाहों से बचें और चिकित्सा सहायता लें: प्रधानमंत्री*

*हाथ जोड़कर नमस्ते कहने की आदत फिर से डालने का यही उचित समयः प्रधानमंत्री*
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के लाभार्थियों और जन औषधि केन्द्रों के स्टोर मालिकों के साथ, आज वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से बातचीत की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए, हर संभव कदम उठा रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत के पास अत्यन्त कुशल चिकित्सक और चिकित्सा संसाधन मौजूद हैं, साथ ही साथ नागरिकों के बीच इस संबंध में पूरी जागरूकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में सतर्क नागरिकों को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘जिन लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है, उन्हें आवश्यक निगरानी में रखा गया है। लेकिन यदि किसी व्यक्ति को अपने संक्रमित साथी के संपर्क में आने का संदेह है, तो उसे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। इसकी बजाय उसे अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। परिवार के अन्य सदस्यों के भी संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है, ऐसी स्थिति में उन्हें भी आवश्यक परीक्षण कराने चाहिए।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस के बारे में किसी भी प्रकार की अफवाहों से बचने का अनुरोध किया और सलाह दी कि केवल डॉक्टर का परामर्श लेना और मानना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘और हां पूरी दुनिया अब नमस्ते करने की आदत डाल रही है। यदि किसी कारणवश हमने यह आदत छोड़ दी है, तो हाथ जोड़कर नमस्ते करने की आदत दोबारा डालने का यह बिल्कुल उचित समय है।’

 

आइये जानते है देहरादून की मशहूर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर अर्चना क्या कहती है कोरोना वायरस के विषय में:

https://www.youtube.com/watch?v=jqn0jG7SXd0

https://www.youtube.com/watch?v=E8K8Qmxxn-w

 

यह भी पढ़े :

विधान सभा अध्यक्ष ने बजट सत्र की कार्यवाही से अवगत करवाया 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button