शहडोल अस्पताल में पांच और बच्चों की मौत, जानें क्या है इसकी वजह?

VON NEWS: जबलपुर के शहडोल जिला अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम ले रहा है। पिछले 60 घंटे में यहां पांच और बच्चों ने अपना दम तोड़ दिया है। अलग अलग बीमारियों की वजह से और समय से पहले बच्चे की डिलीवरी होने के कारण मौतें हो रही हैं। इनमें दो से ग्यारह दिन की दो बच्चियों समेत एक सवा महीने की बच्ची और सात व ढाई महीने के दो बच्चियां शामिल है। शहडोल में लगातार बच्चों की मौत होने से एक बार फिर पूरे भोपाल में हड़कंप मच गया है, जिसके चलते राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक छवि भारद्वाज ने ऑनलाइन मीटिंग की।

इस मीटिंग में स्वास्थ विभाग से आला अधिकारियों और उप संचालक को शामिल किया गया था। शासन स्तर पर हुए रिव्यू के दौरान पता चला कि बच्चों को मौत के पीछे का कारण मैदानी अमला है। सूत्रों के मुताबिक रिव्यू में माना गया है कि अगर मैदानी अमला सचेत होता और बच्चो को सही समय पर अस्पताल पहुंचाता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। इधर बच्चों की मौत के मामले में डिप्टी डायरेक्टर की अगुवाई में जांच करने गई स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शुक्रवार को शासन को अपनी रिपोर्ट भेजी।

हास्पिटल में है इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी

जानकारी के मुताबिक, इस रिपोर्ट में शहडोल जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ न होने और इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए मेडिकल कॉलेज में नवजात शिशु गहन चिकित्सा को खोलने का सुझाव दिया है। साथ ही जिला चिकित्सालय में पीडियाट्रीशन को भी जल्द शुरू करने को कहा है।

डेथ रेट कम करने के लिए चलाया जाएगा जागरुकता अभियान

जांच की रिपोर्ट आने के बाद मिशन संचालक छवि भारद्वाज ने स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले को फिर से ट्रेनिंग देने का आदेश दिया है। जो कोरोना संक्रमण की वजह से ठप्प पड़ गया था। उन्होंने निर्देश दिया है कि आशा, उषा कार्यकर्ता व

एनएनएम के लोग बीमार पड़े बच्चों पर खास नजर रखें और जो बच्चा बीमार पाया जाए उससे सही वक्त पर हॉस्पिटल पहुंचाए।  मिशन संचालक ने मैदानी अमला को खुद के साथ अपने बच्चो के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने को कहा है। अगले महीने फिर से मामले का रिव्यू लिए जाएगा।

20 पर्सेंट से अधिक है डेथ रेश्यो

शहडोल जिले अस्पताल में बच्चों की मौत का करना पता लगाने के लिए रीवा के डिप्टी डायरेक्टर डीएन पाठक के नेतृत्व में एक जांच टीम अस्पताल पहुंची। अस्पताल में जांच करते वक्त टीम को पता चला कि अस्पताल में बच्चों का डेथ रेश्यो 20 पर्सेंट से अधिक है।

वहीं, एसएनसीयू में डेथ का ओवरऑल परसेंटेज 17 से 18 और पीआईसीयू में 18 पर्सेंट पाया गया है। पीआईसीयू में चार  के जगह मात्र एक डॉक्टर और वह भी कथित तौर से छुट्टी पर था, उसके छुट्टी पर होने की जांच को गंभीरता से लिया जा रहा है। टीम ने इस बात कि भी गहराई से जांच की कि 4 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर जिला अस्पताल से अटैच हैं। तो उनका लेबर रूम , पीआईसीयू और एसएनसीयू में राउंड द क्लॉक बने रहना कैसे पॉसिबल है? जांच दल ने अस्पताल के नर्स को फिर प्रोटोकॉल ट्रेनिग देने को कहा है।

ऐसे सामने आया मामला

शहडोल जिला चिकित्सालय में 60 घंटे के भीतर पांच और बच्चों को मौत हुई है। बुधवार को दो बच्चों की मौत, गुरुवार को दो बच्चों को मौत और शुक्रवार को एक और बच्चे की मौत हुई। इन बच्चों मौत के मामले से बचने के लिए अस्पताल ने इस बात को सार्वजनिक नहीं की।

जब शुक्रवार को एक बच्चे को निजी अस्पताल गंभीर हालत से जिला अस्पताल लाया गया। बच्चे की नाजुक हालत देख सिविल सर्जन सामने आए, तब तक शाम को  बच्चे की मौत हो चुकी थी। सिविल सर्जन ने पांच बच्चों की मौत की पुष्टि की और बताया कि एक दिसंबर को डिंडोरी से आई 11 महीने बच्ची की मौत बुधवार एस एन सी यू में हुई थी। फिर इसी दिन एस एन सी यू  में एक दिन में 2 बच्चियों की मौत हुई थी।

 

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