- सी बी आई जांच हेतु जल्द ही आ सकती है देहरादून !
ED /INCOME TAX में चले रहे मामले
देहरादून/दिल्ली/मेरठ : महायाना त्थरेवदा वाजरायाना बुद्धिस्ट रिलीजियस एवं चैरिटेबल ट्रस्ट जिसका पूर्व नाम सुभारती के के बी चैरिटेबल ट्रस्ट अथवा जगत नारायण सुभारती चैरिटेबल ट्रस्ट है, की माननीय सर्वोच्च न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा MBBS कोर्स की अनुमति लेने के लिए धोखाधड़ी में सी बी आई के जांच के आदेश दिए थे व यह केस अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है,की अन्य शिकायतों के साथ ही जांच के अन्य पहलुओं को जांचने सुभारती के देहरादून ठिकानों पर भी जांच हेतु सी बी आई देहरादून आ सकती है व सुभारती के बार बार फर्जीवाड़े में सहयोग करने वालो पर भी IB और INTL का शिकंजा कस सकता है ।
सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार सी बी आई सुभारती के सभी पहलुओं पर जांच कर रही है क्यूंकि सी बी आई द्वारा सुभारती के अतुल भटनागर पर हत्या के मामले में उन्हें हत्यारा मानते हुए आरोप पत्र दाखिल किया गया है और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अतुल भटनागर की अंतरिम जमानत निरस्त कर दी है व अब अतुल भटनागर सुप्रीम कोर्ट से अरेस्ट स्टे पर बाहर है और किसी भी दिन सुप्रीम कोर्ट अरेस्ट स्टे खारिज कर सकता है ।
वहीं अतुल भटनागर की पत्नी मुक्ति भटनागर सहित अतुल भटनागर पर हाल 2 माह पूर्व एक अन्य पार्टनर हरिओम आंनद की हत्या का मामला मेरठ थाने में दर्ज हुआ है जिसमें दोनों पति पत्नी अरेस्ट स्टे पर है । यही नहीं सुभारती के संचालकों सहित यशवर्धन रस्तोगी पर उत्तराखंड समेत उत्तरप्रदेश में दर्जनों मुकदमे चल रहे है और और मेरठ सहित देहरादून के सैकड़ों Mbbs के छात्रों का भविष्य व उनके कई साल के खराब करने का आरोप सुभारती उर्फ MTVT ट्रस्ट (महायना थरेवदा वाजरायाना बुद्धिस्ट ट्रस्ट) पर है यानी बुद्धिस्ट को भी इन व्यक्तियों ने नहीं बख्शा और बुद्ध धर्म की आड़ में फर्जीवाड़ा करने का कारोबार और तेज़ कर दिया ।
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उत्तराखंड सरकार ने सुभारती पर 97 करोड़ का जुर्माना अभी 2019 में ही लगाया हुआ है और फिर भी उक्त समिति MBBS कोर्स की NOC हेतु बना दी गई है लगता है सुभारती 97 करोड़ बचाने के साथ जुगाड से NOC लेकर वापिस उत्तराखंड सरकार पर ही 97 करोड़ का वसूली का केस न डाल दे क्यूंकि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर केस डालना सुभारती की नीयत में शामिल है जैसे कि हाल ही में बिना राज्य सरकार की NOC व Essentially certificate लिए सुभारती वाले डेंटल काउंसिल और स्वास्थ्य मंत्रालय से नए BDS कोर्स कॉलेज की मंजूरी ले आए
अब राज्य सरकार ने डेंटल काउंसिल व स्वास्थ्य मंत्रालय सहित उत्तराखंड हाई कोर्ट को सूचित किया है कि राज्य सरकार ने नए डेंटल कॉलेज के लिए कोई अनुमति/NOC/ Essentially Certificate दिया ही नहीं है । और अब सुभारती हाई कोर्ट के माध्यम से सरकार पर जबरदस्ती काउंसलिंग करवाने हेतु दबाव बना कर याचिका लगाए बैठा है जबकि राज्य सरकार अपने महाधिवक्ता जे के सेठी , जे के भाटिया के माध्यम से तत्कालीन सचिव नितेश झा व राधा रतूड़ी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र/हलफनामा दे चुकी है कि सुभारती वाले इस ट्रस्ट या संपति के मालिक नहीं है और स्वामित्व व संपति का विवाद इसमें चल रहा है और MCI का नियम है कि विवादित संस्था ,संपति व ट्रस्टी को कोई अनुमति नहीं दी जा सकती । पढ़े एमसीआई का पूर्व आदेश :-
देखा जाए तो समिति बनाने की भी जरूरत क्या थी जब राज्य सरकार को सुभारती व उसके पिछले 6 बार से अलग अलग नाम बदल कर पत्रावलियां निरस्त हो चुकी है और जबकि राज्य सरकार के खिलाफ खुद ही सुभारती ने जगह जगह केस डाला हुआ हो और राज्य सरकार ने खुद ही सुभारती उर्फ mtvt ट्रस्ट से वसूली करनी हो । वहीं इनकम टैक्स ने भी अवैध व अघोषित 22 करोड़ व 18 करोड़ की सुभारती की एफ डी जब्त की हुए है जिसका केस भी अभी लंबित है
यहां फर्जीवाड़ा तेज़ करने का तात्पर्य यह है कि इस सुभारती के घपलेबाज संचालकों ने उत्तराखंड सरकार और छात्रों वी अभिभावकों के बीच इनकी पोल खुल जाने के बाद नए नाम से देहरादून में MBBS की NOC और ESSENTIALITY CERTIFICATE के लिए मुख्यमंत्री को गुमराह कर आवेदन किया जिसपर सचिव में एक अपर निदेशक डॉक्टर आशुतोष सायना की अध्यक्षता में समिति बना दी है
बरहाल जीरो टॉलरेंस बहुत सख्त दिख रहा है पर देखना की क्या यह रूप, रंग नाम बदलने की कवायद क्या सुभारती के पुराने धोखाधड़ी के मामले छुपा देगी या राज्य सरकार रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी (जों की कोर्ट से स्टे के चलते हरीश रावत सरकार ने पास हुई और धोखे से फर्जी कागजों को लगा कर बनी ) की तरह चुप रहेगी या फिर छात्रों व अभिभावकों के नए अंदाज़ में नया खिलवाड़ होगा जैसे कि पूर्व में भी सुभारती स्वयंभू MBBS की मार्कशीट तक जारी कर चुका है उसके बावजूद भी इनके आवेदन पर कमेटी बनाई जा रही है और इसी फर्जी वाडा कर चुकी यूनिवर्सिटी की संबद्धता दिखाई जा रही है और
सरकार अंधी बनी दुबारा से इन्हे रेवड़ी बांटने की तैयारी कर रही है कि आओ और और फिर दुबारा लूटो ।
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यहां बड़ा सवाल यह भी है कि UGC व राज्य सरकार के मानकों के अनुसार किसी यूनिवर्सिटी के संचालक BLACK LIST अथवा क्रिमिनल मुकदमें वाले नहीं होने चाहिए और न ही इनकम टैक्स के दोषी और न ही भारी कर्जदार होने चाहिएं पर रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी वह सब दोष है जो नहीं होने चाहिए फिर भी सरकार चुप क्यों ही ?