बवाल के बाद आशियाना बचा न रोजगार, इसलिए छोड़ दिया शहर

नई दिल्ली,VON NEWS:  हिंसा और आगजनी से दहशतजदा सैकड़ों परिवार उत्तर पूर्वी दिल्ली के इलाकों को छोड़कर दूसरे स्थानों पर जाने लगे हैं। ये परिवार सदमे से नहीं उबर पा रहे हैं। यदि खुद को संभाल भी लिया तो घरों को जला दिए जाने से अब रहने के लिए कई परिवारों के सिर पर छत नहीं है।

उपद्रव के बाद बृहस्पतिवार को हालात में सुधार के बाद सड़कों पर भीड़ तो दिखी, लेकिन हर चेहरे से मायूसी और नाराजगी झलक रही थी। अधिकतर लोग सीधे घरों से अपने जरूरी सामानों के साथ घर छोड़कर बस अड्डा या रेलवे स्टेशन का रुख करते दिखे। बृजपुरी, खजूरी खास, करावल नगर समेत आसपास के इलाकों में पूरा दिन लोग दूसरे स्थानों पर जाते नजर आए।

12वीं की पढ़ाई छोड़कर परिजनों के यहां मुजफ्फरनगर रवाना हुए तौसिफ और उसके भाई आसिफ ने बताया कि वह अपने परिवार के 18 सदस्यों के साथ फिलहाल जा रहे हैं। उपद्रवियों ने घर जला दिया है। अब न तो रहने के लिए घर और न ही पैसे कमाने का कोई जरिया है।

बृजपुरी की बंद गली की दीवार को पार कर अपनी कार में ब्रीफकेस रखते हुए एक युवक ने बताया कि अब यहां रहने के लिए कुछ नहीं बचा है। नफीसा ने बताया कि हिंसा को देखकर अब यहां रहना ठीक नहीं है, पूरा परिवार डरा हुआ है।

रिश्तेदारों के घर कम से कम जिंदगी तो सलामत रहेगी। कई ऐसे परिवार दिखे जो हिंसा और आगजनी को देख इस कदर डरे हुए हैं कि अपने घर छोड़कर फिलहाल आसपास के इलाकों में रिश्तेदारों के घर रुख कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद निवासी शादाब ने बताया कि करीब दो साल से वह नौकरी कर अपने परिवार का गुजर बसर कर रहा था, लेकिन उपद्रव के इस माहौल के बाद तत्काल अपने परिवार और बच्चे के साथ घर लौट रहा है। उन्होंने बताया कि जिंदगी रही तो दोबारा कमाई कर लेंगे।

कामगार भी लौटे घर
जिन दुकानों को आग के हवाले किया गया वहां काम करने वाले कर्मियों के लिए न तो अब नौकरी है और न ही रहने खाने के लिए पैसे। उनकी भी मजबूरी हो गई कि अब दिल्ली में रहे भी तो क्यों? उपद्रव में दुकानदारों और कारोबारियों को करोड़ों का नुकसान होने के साथ-साथ कामगार अचानक सड़क पर आ गए हैं। कई दुकानों में काम करने वालों को रहने की जगह भी दी गई थी, लेकिन आग में जलने के बाद पैदा हुए हालात से जूझने की बजाय अपने घरों को लौटने लगे हैं।

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