हिमाचल बढ़ाएगा ट्राउट फिश उत्पादन बढ़ती मांग पूरी करने के लिए!

VON NEWS: महानगरों में बढ़ रही हिमाचली ट्राउट फिश की मांग पूरी करने के लिए मत्स्य पालन विभाग प्रदेश में इसका उत्पादन बढ़ाएगा। ट्रायल के तौर पर हरनोड़ा पंचायत के कसोल गांव में कोलडैम जलाशय में करीब 23 हजार ट्राउट का बीज डाला है। एक माह में इसका 150 ग्राम से ज्यादा वजन हो गया है। ट्रायल सफल रहा तो प्रदेश के सभी बड़े जलाशयों में भी बीज डाला जाएगा, जिससे सैकड़ों मीट्रिक टन उत्पादन बढ़ जाएगा।

विभाग के अनुसार कोलडैम का तापमान अनुकूल है। रेनबो प्रजाति की ट्राउट को कुल्लू और मंडी में 15 माह का समय लगता है, वहीं बिलासपुर के कोलडैम में इसे तैयार होने में 7 से 8 महीने लगेंगे। मत्स्य पालन विभाग के निदेशक सतपाल मेहता ने बताया कि कोलडैम में तापमान ट्राउट फिश के लिए अनुकूल है। इसलिए यह यहां सात माह में तैयार हो जाएगी।

अगर ट्रायल सफल रहा तो प्रदेश के अन्य जलाशयों में भी इसे तैयार करने की संभावनाएं खोजी जाएंगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, किन्नौर, सिरमौर और शिमला में ट्राउट फिश पालन किया जा रहा है। सूबे में ट्राउट फिश का सालाना उत्पादन करीब 600 मीट्रिक टन है। मंडी की ट्राउट फिश न केवल प्रदेश बल्कि दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है।

ट्राउट फिश के फायदे

ट्राउट मछली में ओमेगा थ्री फैटी एसिड नामक तत्व होता है जो बहुत अच्छा पोषक तत्व है। इसमें विटामिन डी होता है। स्वस्थ दिल के लिए ट्राउट बहुत ही बेहतर है। स्वाद और पौष्टिकता में ट्राउट सबसे अलग है। बड़े-बड़े फाइव स्टार होटलों में भी इनकी मांग है।

ट्राउट मत्स्य पालन में एक लाख और बढ़ा अनुदान

प्रधानमंत्री संपदा मत्स्य योजना में ट्राउट उत्पादन के तहत सरकार ने प्रति इकाई अनुदान राशि को एक लाख रुपये तक बढ़ा दिया है। 3 लाख रुपये तक की यूनिट पर अब सामान्य परिवारों को 40 प्रतिशत की दर से 1.20 लाख, महिला एवं अनुसूचित जाति और जनजाति परिवार को 60 प्रतिशत की दर से 1.80 लाख रुपये तक का अनुदान टैंक निर्माण को मिलेगा।

 

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