उत्तराखंड में आइसीटी योजना से उच्च शिक्षा को भी उम्मीदें

देहरादून,VON NEWS:  बगैर भवनों के चल रहे और शिक्षकों, पुस्तकों, अच्छी लाइब्रेरी जैसी बुनियादी संसाधनों की कमी से जूझ रहे सरकारी डिग्री कॉलेजों को सेटेलाइट के जरिए शिक्षा ने उम्मीद की नई रोशनी जगा दी है। उच्च शिक्षा को ये नई राह दिखाने का काम स्कूली शिक्षा ने किया है। “सरकारी” इंटर कॉलेजों में सेटेलाइट के माध्यम से संचालित वर्चुअल क्लास के प्रयोग से उत्साहित उच्च शिक्षा महकमा भी इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेगा। राज्य सरकार इस अहम योजना को राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तीसरे फेज में प्रस्तावित करने जा रही है।

रूसा के फेज-एक और फेज-दो में उत्तराखंड को अच्छी मदद पाने में कामयाब रहा है। रुसा फेज-एक में तीन विश्वविद्यालयों, 33 सरकारी डिग्री कॉलेजों के लिए मदद हासिल हुई। रूसा फेज-दो के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए दो विश्वविद्यालयों और 22 कॉलेजों के लिए बजट राज्य को मिला।

अब सरकार की नजरें अगले वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अधिक मदद पाने पर टिकी हैं। हालांकि अभी तक मंत्रालय की ओर से रूसा से संबंधित बैठक और उसकी प्रस्तावित रूपरेखा को लेकर गाइडलाइन जारी नहीं हुई है।

राज्य सरकार की ओर से उच्च शिक्षा को मदद हासिल करने के लिए वार्षिक कार्ययोजना का खाका तैयार किया जा रहा है। सरकार सूचना संचार प्रणाली (आइसीटी) का उच्च शिक्षा में इस्तेमाल करने की इच्छुक है। सरकार के पास इसकी वाजिब वजह है।
दरअसल राज्य के कुल 105 सरकारी डिग्री कॉलेजों में तीन चौथाई से ज्यादा पर्वतीय जिलों में हैं। इन जिलों में बड़ी तादाद में कॉलेजों के पास अपने भवन तक नहीं हैं। किराए के भवनों में चल रहे कॉलेजों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता की कवायद बेमायने साबित हो रही है। हालांकि रूसा-एक और रूसा-फेज दो में केंद्रीय मदद से बड़ी संख्या में कॉलेजों के पास अपने भवन होंगे। भवन निर्माण कार्यों के लिए सरकार धनराशि जारी कर चुकी है।

 

अब रूसा फेज-तीन में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए आइसीटी के ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि आइसीटी योजना को इसरो के माध्यम से संचालित करने पर विचार किया जा रहा है। प्रारंभिक तौर पर इसरो ने  “सरकारी कॉलेजों को मदद देने पर हामी भरी है। उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव आनंद बर्धन ने भी इस संबंध में इसरो को पत्र लिखा है। रूसा के तहत कॉलेजों में अच्छी लाइब्रेरी खासतौर पर ब्लॉक के कॉलेजों में अच्छी लाइब्रेरी मुहैया कराने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही दुर्गम और दूरदराज सरकारी कॉलेजों से शिक्षकों का पलायन रोकने को आवासीय भवन बनाने पर विचार किया जा रहा है।

व्यावसायिक कॉलेज समेत चार भवनों को नौ करोड़ 

प्रदेश में आने वाले दिनों में सरकारी डिग्री कॉलेजों की सूरत बदली नजर आएगी। कॉलेजों के भवन जल्द बने, इसके लिए सरकार ने रूसा से आवंटित धनराशि तुरंत कॉलेजों को जारी कर रही है। इस कड़ी में सरकारी व्यावसायिक कॉलेज पैठाणी को निर्माण कार्यों के लिए अवशेष 7.80 करोड़ रुपये जारी किए हैं। अन्य तीन कॉलेज भवनों के लिए 1.84 करोड़ से ज्यादा धनराशि दी गई है।

उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव आनंद बद्र्धन ने उक्त चार कॉलेज भवनों के निर्माण कार्यों के लिए धनराशि आवंटित की है। पौड़ी जिले के पैठाणी स्थित व्यावसायिक कॉलेज के भवन निर्माण कार्य की कुल लागत 25.67 करोड़ है। इसमें से अवशेष 20.47 करोड़ में से 7.80 करोड़ राशि शासन ने उच्च शिक्षा निदेशक को जारी की है। इस धनराशि का इस्तेमाल 31 मार्च, 2020 तक करने के निर्देश दिए गए हैं। व्यावसायिक कॉलेज भवन निर्माण कार्य में प्राइमरी स्टील का प्रयोग करने के निर्देश दिए गए हैं।

इसी तरह राजकीय डिग्री कॉलेज सोमेश्वर को 51.46 लाख, राजकीय कॉलेज गंगोलीहाट को 85.70 लाख और राजकीय कॉलेज कांडा को 47.06 लाख रुपये की किस्त जारी की हैं। तमाम निर्माण कार्यों के लिए प्रयुक्त रेत, बजरी, रोड़ी, सीमेंट, सरिया व अन्य सामग्री का समय-समय पर एनएबीएल प्रयोगशाला में परीक्षण कराने के निर्देश दिए गए हैं। शासनादेश के मुताबिक निर्माण कार्यों का तृतीय पक्ष गुणवत्ता नियंत्रण कार्य नियोजन विभाग कराएगा।

यह भी पढ़े

‘दिल्ली में एक और 1984 नहीं होने देंगे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button