खेल-खेल में राजकुमार राव और नुसरत भरूचा ने लगायी दिलों में ‘छलांग’,जानिए
नई दिल्ली,VON NEWWS: हंसल मेहता की वेब सीरीज़ स्कैम 1992 को जितनी तारीफ़ मिली हैं, हाल में शायद ही किसी सीरीज़ को मिली होगी। देश को हिला देने वाले स्कैम की कहानी के बाद हंसल मेहता की स्पोर्ट्स-कॉमेडी फ़िल्म छलांग अमेज़न प्राइम वीडियो पर 12 नवम्बर को रिलीज़ हो गयी।
छलांग खेल-कूद को वक़्त की बर्बादी समझने वाले विचार को चुनौती देती है। जैसा कि फ़िल्म के क्लामैक्स में नायक मोंटु भावावेश में कहता है- अपने बच्चों को सचिन तेंदुलकर तो सबस बनाना चाहते हैं, लेकिन सचिन का मां-बाप कोई नहीं बनना चाहता। छलांग कॉमेडी, रोमांस और रोमांच के पड़ावों से गुज़रते हुए दर्शक को सोच की इसी मंज़िल पर पहुंचाती एक फील गुड फ़िल्म है।
छलांग तीन पात्रों महिंदर हुड्डा उर्फ मोंटु सर (राजकुमार राव), नीलिमा (नुसरत भरूचा) और आई एम सिंह उर्फ सिंह सर (मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब) की कहानी है। मोंटु हरियाणा के किसी कस्बे के सेकेंड्री स्कूल में पीटीआई का अस्थायी टीचर है। पीटीआई की नौकरी उसके लिए सिर्फ़ आमदनी का ज़रिया है। अपने पीरियड वो ख़ुशी-ख़ुशी दूसरे शिक्षकों को दे देता है। फिजिकल एजुकेशन की औपचारिक शिक्षा उसने नहीं ली है।
पिता कमलेश सिंह हुड्डा (सतीश कौशिक) एडवोकेट हैं। उन्हीं के कहने पर स्कूल की प्रिंसिपल (इला अरुण) ने बेरोज़गार मोंटु को पीटीआई की नौकरी दे दी। मोंटु ख़ुद भी उसी स्कूल में पढ़ा है और अपने टीचर मास्टर जी (सौरभ शुक्ला) से उसकी ख़ूब छनती है। मास्टर जी के अलावा मोंटु का एक और दोस्त डिम्पी (जतिन सर्ना) है, जो हलवाई है। वैलेंटाइन जैसे मौक़ों पर मोंटु कस्बे के पार्कों में जाकर प्रेमी-जोड़ों को पकड़कर संस्कृति की रक्षा करता है, जिसमें मास्टर जी और डिम्पी का सहयोग रहता है।
मोंटु की ज़िंदगी तब करवट लेती है, जब स्कूल में कम्प्यूटर टीचर नीलिमा की एंट्री होती है। नीलिमा उर्फ नीलू को देखते ही मोंटु के दिल के तार झनझना उठते हैं, मगर पहली ही मुलाक़ात में प्रेमी-जोड़ों के साथ मारपीट करने वाले मामले को लेकर मोंटु का इम्प्रेशन ख़राब हो जाता है। मगर, मोंटु मैडम से माफ़ी मांगकर दोस्ती कर लेता है। नीलू के साथ मोंटु का रिश्ता मजबूत हो ही रहा था कि सिंह सर की एंट्री होती है। सिंह सर को स्कूल में पीटीआई बनाकर भेजा गया है। सिंह ने प्रतिष्ठित स्पोर्ट्स स्कूल से फिजिकल एजुकेशन की पढ़ाई की है।
मोंटु को सिंह के सहायक के तौर पर काम करने को कहा जाता है, जो उसके ईगो को चोट पहुंचाता है। मगर, नीलू के समझाने पर वो सिंह के साथ काम करने को राज़ी हो जाता है। फिर एक दिन ऐसी घटना होती है, जिसके बाद मोंटु ख़ुद को बेहतर साबित करने के लिए सिंह को बच्चों की टीम बनाकर प्रतियोगिता करवाने की चुनौती देता है। जो जीतेगा, वही स्कूल का पीटीआई रहेगा। सिंह सर स्कूल में स्पोर्ट्स खेलने वाले बच्चों की टीम बना लेते हैं, जिससे मोंटु के सामने कोई विकल्प नहीं बचता तो वो ऐसे बच्चों को चुन लेता है, जिनके लिए ओलम्पिक्स से ज़्यादा ज़रूरी ओलम्पियाड है।