हल्द्वानी कारागार में चल रही अनोखी कक्षा, पढ़े पूरी खबर

VON NEWS: जेल या कारागार वह जगह है जिसकी अंधियारी कोठरियों में गुनाहों का प्रायश्चित किया जाता है। हल्द्वानी जेल इससे कहीं आगे है। यहां की कोठरियों में शिक्षा की मशाल जल रही है। यहां बंदियों की बाकायदा कक्षाएं चलती हैं, उनमें नियमित उपस्थिति दर्ज होती है। पढ़े-लिखे बंदियों को अनपढ़ और कम पढ़े लिखे बंदियों को पढ़ाने का जिम्मा सौंपा गया है। जेल में अभी करीब 90 बंदी पढ़ाई कर रहे हैं।

कुमाऊं की हल्द्वानी जेल में विभिन्न मामलों में 18 वर्ष से 55 वर्ष तक के करीब 1325 लोग बंद हैं। कुछ अनपढ़, कुछ साक्षर तो कुछ इंटर और स्नातक किए हुए हैं। वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज कुमार आर्या ने बंदियों के लिए नई पहल की। पढ़ने के इच्छुक बंदियों को साक्षर करने के लिए नियमित कक्षाओं का संचालन शुरू कराया। जेल के अलग-अलग अहाते में प्रतिदिन 12 बजे से लेकर तीन बजे तक तीन घंटे की कक्षा होती है।

इन कक्षाओं में 90 बंदी इमला के अलावा गणित, अंग्रेजी, पंजाबी, बंगाली, उर्दू भाषा भी सीख रहे हैं। इसमें 18 से 21 साल तक के करीब 30 बंदी अलग से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कक्षा में बंदियों की हर रोज उपस्थिति होती है। इसके लिए बाकायदा उपस्थिति रजिस्टर भी रखा हुआ है। बंदियों का टेस्ट भी लिया जाता है।
नियमित कक्षाओं का संचालन

मदद कर रही कुछ स्वयं सेवी संस्थाएं

बंदियों को पढ़ने में कुछ स्वयं सेवी संस्थाएं भी मदद कर रही हैं। जो समय समय पर किताबें, पेंसिल, कॉपी आदि उपलब्ध करा देती हैं। बंदियों के अध्ययन के लिए बाकायदा एक पुस्तकालय भी तैयार है, जहां धार्मिक किताबों के अलावा विज्ञान, समाचार पत्र और पत्रिकाएं भी रखी गई हैं।

एक प्रधानाचार्य और बाकी शिक्षक

पढ़ाने वाले शिक्षक स्नातक तक पढ़े हैं। प्रधानाचार्य हैं शंकर तो गणित राजेंद्र सिंह पढ़ाते हैं। इसके अलावा मनीष अंग्रेजी, अनुपम बंगला, जगतार पंजाबी और नावेद उर्दू सिखा रहे हैं। इसके अलावा बंदियों को इमला लिखवाई जाती है और सामान्य ज्ञान भी पढ़ाया जाता है।

 

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