राष्ट्रीय पदक हासिल करने के लिए अल्ट्रा मैराथन में प्रतिभाग करेंगे अरुण, जानिए

कानपुर,VON NEWS: हौसला बुलंद हो तो किसी भी मंजिल को प्राप्त करने की ओर कदम बढ़ाए जा सकते हैं। धनकुट्टी निवासी अरुण कुमार शुक्ला ने इस कहावत को वास्तव में चरितार्थ किया है। राष्ट्रीय स्तर पर हुई अल्ट्रा मैराथन प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर इस ओर कदम बढ़ा दिए। अल्ट्रा मैराथन खेल में शहर के पहले खिलाड़ी के रूप में पहचाने जाने वाले अरुण अब पुणे व सिंहगढ़ अल्ट्रा मैराथन की तैयारी में जुटे हुए हैं। इसमें बेहतर प्रदर्शन के आधार पर उनका चयन दक्षिण अफ्रीका में होने वाली अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा के लिए होगा।

कई अल्ट्रा मैराथन दौड़ में कर चुके प्रतिभाग

लगभग तीन वर्ष पहले वल्र्ड आयरनमैन खिलाड़ी व पड़ोसी प्रणय द्विवेदी को देखकर 45 वर्षीय अरुण ने खेल में पहचान हासिल करने के लिए अल्ट्रा मैराथन को चुना। शुरुआती दिनों में एक से दो किमी दौड़ को निरंतरता बनाए रखने वाले अरुण ने हार नहीं मानी और लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे। कड़ी मेहनत व सही मार्गदर्शन ने सपनों को उड़ान दी। कई अल्ट्रा मैराथन प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर अपनी छाप छोडऩे वाले अरुण ने प्रतियोगिता दर प्रतियोगिता अपने प्रदर्शन में सुधार जारी रखा। अरुण ने टाटा अल्ट्रा मैराथन दौड़ में आठवां व कोल्हापुर मैराथन में छठवां स्थान हासिल कर राष्ट्रीय फलक पर छाने के लिए जोर-अजमाइश शुरू कर दी।

स्वजन और दोस्तों ने भी बढ़ाया हौसला 

अरुण का मानना है कि उम्र के इस पड़ाव पर खड़े पहाड़ों पर दौडऩा कठिन था। ऐसे में स्वजन के साथ व दोस्तों की टोली ने हौसला बढ़ाया। सही डाइट व प्रतिदिन अभ्यास ने शरीर को मजबूती दी। पिता दिनेश चंद्र शुक्ल व मां कुंती शुक्ला के साथ पत्नी श्वेता ने साथ देकर मुझे बढ़ाया।

पिता को देखकर बेटियों ने शुरू किया खेलना 

बड़ी बेटी कल्याणी व छोटी अंविता ने भी खेलों में रूचि दिखाना शुरू किया। पिता को देखकर स्कूली स्तर पर हुई एथलीट में बेटियां पदक हासिल कर रहीं हैं।

क्या होती है अल्ट्रा मैराथन 

यह पहाड़ों पर होने वाली एक प्रकार की दौड़ होती है। इसमें धावक को पहाड़ पर खड़ी चढ़ाई पर दौडऩा होता है। आमतौर पर धावक को 25 किमी. चढऩा और 25 किमी. उतरना होता है।

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