गोरखपुर में एक भाई ने अपनी बहन को फावड़े से काट डाला, पढ़े पूरी खबर
गोरखपुर,VON NEWS: गांव के युवक से प्रेम करना एक युवती को भारी पड़ा। युवती ने अपने प्रेमी द्वारा भेजे गए सिंदूर को अपनी मांग में लगा लिया। इससे आक्रोशित उसके भाई ने अपनी सगी बहन का गला काट डाला। मामला गोरखपुर के चिलुआताल थाना क्षेत्र का है। हत्या के बाद उसने यूपी 112 पर फोनकर सूचना दी और पुलिस के आने तक शव से कुछ दूरी पर बैठा रहा। पुलिस युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो आरोपित युवक घर के एक कमरे के दरवाजे पर बैठा था। कुछ ही दूरी पर भूसे वाले कमरे में 16 वर्षीय बहन का लहूलुहान शव और खून से सना फावड़ा पड़ा हुआ था। किशोरी के गले पर गहरे घाव थे। आरोपित ने पुलिस को बताया कि वह तीन भाइयों में सबसे बड़ा है। एक बहन की शादी हो चुकी है। छोटी बहन की गांव के एक युवक से दोस्ती थी। दोनों अक्सर फोन पर बातें करते थे। उसे यह पसंद नहीं था। युवक से बहन की दोस्ती की चर्चाओं के कारण वह खुद को अपमानित महसूस कर रहा था। इसीलिए 20 दिनों से अपनी दुकान पर नहीं जा रहा था। गुरुवार को पिता बाहर गए थे। छोटा भाई और मां भी नहीं थे। मौका पाकर उसने बहन की हत्या कर दी।
चौकीदार की तहरीर पर मुकदमा दर्ज
चिलुआताल के प्रभारी निरीक्षक नीरज राय ने बताया कि चौकीदार की तहरीर पर धारा 302 व 201 आइपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।
न थी उम्मीद कि अपना ही खून ले लेगा बेटी की जान
घटना के बाद युवतील की मां रह-रहकर बेहोश हो जाती है। इस चिंता में बुरा हाल है कि एक तरफ बेटी गई तो दूसरी तरफ बेटा उसकी हत्या में सजा भुगतेगा। उम्र भर अब पूरे परिवार का गम उन्हें सालता रहेगा।
मां विलाप करती है और कहती है कि गांव का एक व्यक्ति उसकी बेटी की हत्या कराना चाहता था। उसे नहीं पता था कि उसका बेटा ही बेटी को मार डालेगा। बेटी की मौत से पिता भी टूट गए हैं। बताया कि इसी नवरात्र में वह उसे साढू के यहां से लेकर आए थे। पुलिस के मुताबिक मृतका अंजनी के शरीर पर तीन से अधिक घावों के निशान हैं।
किशोरी एक इंटर कालेज में 11वीं की छात्रा थी। घटना के बाद नायब तहसीलदार राधेश्याम गुप्ता व विधि विज्ञान प्रयोगशाला गोरखपुर की टीम ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया।
दोस्त ने दिया था सिंदूर व मंगलसूत्र
किशोरी अपनी मौसी के घर से नवरात्र में आई थी। उसके दोस्त ने उसे सिंदूर व मंगलसूत्र भेजा था। उसे वह पहन रही थी। घर वाले इसका विरोध कर रहे थे, फिर भी वह नहीं मानी।