COVID-19 उत्तराखंड में 50000 बेड की आवश्यकता होगी आने वाले 2 महीने में : बड़ा खुलासा
उत्तराखंड में 50000 बेड की आवश्यकता होगी आने वाले 2 महीने में : बड़ा खुलासा
देहरादून : VONNEWS(मनीष वर्मा) : दिल्ली में जब से उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने घोषणा की है कि 31 जुलाई तक कोरोना के 5,00,000 लाख मरीज हो जाएंगे तब से खलबली मच गई है और जब विश्लेषण किया गया तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खुद कमान संभालने मैदान में आना पड़ा और इसी वजह से 2 बड़ी बैठक दिल्ली के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, एल जी सहित स्वास्थ्य महकमा व एमसीडी के अधिकारियों के साथ कि गयी यही नही अमित शाह ने स्वयं एलजेपी अस्पताल का दौरा भी किया व सभी टीम आने वाले खतरे से निबटने के लिए लगी हुई है ।
अब बात करते है उत्तराखंड की
उत्तराखंड में आज की स्तिथि की गणना की जाए तो 44044 कोविड टेस्ट सभी तक किये गए है जिसमे 36884 टेस्ट नेगेटिव आये है व 4136 की रिपोर्ट आनी बाकी है मरीजों की संख्या 2023 पार कर गयी है व 27 लोगो की इससे मृत्यु हो चुकी है तथा कोविड पोसिटिव की दर 10% के लगभग रही है और यही प्रतिशत दर से गणना की जाय और मुख्यमंत्री की कल की घोषणा जिसमे प्रत्यर्क व्यक्ति के टेस्ट होने की बात की जाए तो आने वाले 2 महीने में कोरोना के सीवियर मरीजों की संख्या 5000 और उसका 10 गुना यानी 50000 ऐसे मरीज होंगे जो संदिग्ध कोरोना मरीज होंगे और आंकड़ा 50000 तक पहुँच गया तो उसके हिसाब से व्यवस्थाएं भी करनी होंगी । कहते है कि भविष्य की गणना वर्तमान के ट्रेंड के आंकलन करने से होती है और यही आंकलन भविष्य की विपदाओं से रक्षा भी करता है जैसे कि देश ही नही दुनिया भी आंकलन कर अपनी तैयारी कोरोना से निबटने हेतु कर रहे है ।
कोरोना के उपचार के लिए अधिकृत अस्पतालों में जहां आइसोलेशन बेड बढ़ाए जा रहे हैं, वहीं आइसीयू की भी क्षमता बढ़ानी होगी ।
कितने बेड कहाँ है ?
देहरादून में ही वर्तमान समय में पांच अस्पतालों में 2075 बेड कोरोना के मरीजों के उपचार के लिए आरक्षित हैं। जबकि वेंटिलेटर सहित 74 आइसीयू बेड की व्यवस्था है। जिससे अगले एक माह के भीतर और बढ़ा दिया जाएगा। तकरीबन दो हजार आइसोलेशन बेड व 215 आइसीयू बेड केवल कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित होंगे।
किस प्रकार के मरीज होते है कोरोना में ।
कोरोना के 3 प्रकार के मरीज होते है
1.वो मरीज जिनमे लक्षण की पहचान नही होती व टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाते है व एकदम सामने आते है
2. वो मरीज जिनमे प्राथमिक लक्षण होते है
3.वो सीवियर मरीज जिनमे कोरोना के लक्षण है व इलाज के लिए आई सी यूं व वेंटीलेटर की जरूरत होती है ।
क्या है उत्तराखंड की वर्तमान व्यवस्था ।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य महकमें के एक बड़े अधिकारी से चर्चा करने पर यह पता चला कि वर्तमान में 825 कोरोना बेड्स ही मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध है व 1500 से 2000 बेड की व्यवस्था महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में की गई है । और निजी क्षेत्र के व अन्य व्यव्यस्था को भी जोड़ ले तो भी लगभग कुंल मिलाकर हो 18009 बेड ही हो पा रहे है ।
बाकी का क्या होगा ? कहाँ करेंगे व्यव्स्था ?
अब यदि ऊक्त तथ्यों आंकलन करें तो यह निष्कर्ष निकलता है कि उत्तराखंड में बाकी बेड की व्यवस्था नही है व तत्काल बाकी बिस्तरों का तत्काल प्रबंध करना होगा ।
क्या है उपाय व सुझाव
जब उत्तराखंड में 2 से 3 करोड़ श्रद्धालुओ की व्यवस्था हरिद्वार कुम्भ में हो सकती है तो सरकार क्यों नही एक रिहर्सल कर लेती ?
तत्काल कुम्भ क्षेत्र में टैंट व्यव्यस्था करवाते हुए महाराणा प्रताप मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर 15 से 20000 बेड की व्यवस्था हरिद्वार में की जा सकती है और कुम्भ के लिये आए बायो टॉइलट आदि लगवाते हुए बेहतर व्यव्यस्था बनाई जा सकती है पास ही रुड़की भी है तो सारे टेस्ट व बायो वेस्ट आदि वहां भेजे जा सकते है औऱ बाहर से जो ट्रेन से हरिद्वार आ रहे है उनको भी वही क्वारेन्टीन किया जा सकता है तो पहाड़ में कोरोना चढ़ेगा ही नही ।
क्या होती है TRIAGE व्यव्यस्था ?
कोरोना का सिस्टम इसी TRIAGE व्यव्यस्था पर काम करता है जिसका मतलब है कि कोरोना के मरीज का आंकलन किस प्रकार किया जाए ? यानी जिसमे कोरोना के प्रारंभिक लक्षण मिलते है तो उसको सीधा आई सी यूं या मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में नही भेजा जाता उस मरीज कों प्रारम्भिक चिकित्सा व निगरानी में रखा जाता है व लक्षण कम होने अथवा समाप्त होने पर प्रारंभिक सेन्टर से ही इलाज करते हुए ठीक करके वापिस भेज दिया जाता है
दूसरे वो मरीज जिनमे ज्यादा लक्षण है उन्हें मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में इलाज दिया जाता है जब तक वो ठीक नही हो जाते व तीसरे वो मरीज जो गंभीर स्तिथि में है उनको तत्काल आई सी यूं में रखा जाता है व वेंटिलेटर आदि सुविधा दी जाती है ।
कैसे होगा मैनेजमेंट ?
इस मैनेजमेंट में स्वास्थ्य सचिव,स्वास्थ्य महानिदेशक ,निदेशक चिकित्सा शिक्षा व एन आर एच एम, जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी, एस डी एम,तहसीलदार, पटवारी,सहित स्वास्थ्य विभाग की टीम बनानी होगी जो सारे पहलुओ पर काम करेगी जिससे समय रहते समस्त उचित प्रबंध किए जा सके ।
क्या उत्तराखंड तैयार है ?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री अपने दिन रात की मेहनत व विभिन आरोप प्रत्यारोपों को भी बड़ी विनम्रता से झेलते हुए स्वयं कोरोना से निजात पाने हेतु व उचित व्यवस्थाओं हेतु मोनिटरिंग कर रहे है व दैनिक रूप से जरूरी दिशा निर्देश दे रहे हैं व उम्मीद है कि इस पर भी उन्होंने चिंतन कर लिया होगा अन्यथा आज से ही इसके लिए समस्त इंतेजाम करने के निर्देश दे दिये जायें तो 2 माह के भीतर जब वह स्टेज आएगी तो यह सभी इंतेजाम तैयार हों चुके होंगे ।
क्या क्या व्यव्यस्था करनी होंगी ?
बेड के साथ – साथ अन्य प्रारंभिक स्वास्थ्य सुविधाएं ,भोजन हेतु मैस व सबसे महत्वपूर्ण CCTV कैमरा जिससे स्वास्थ्य कर्मी मरीजों पर नजर रख सके कम से कम एक्सपोज हो । और वही पर एम्बुलेंस व एयर एम्बुलेंस तैयार रहे जिससे यदि किसी मरीज की गंभीर स्तिथि आई सी यू व वेंटीलेटर की जरूरत हो तो उसको तुरन्त TRIAGE प्रणाली के आधार पर उचित स्थान/हॉस्पिटल पर ट्रांसफर कर दिया जाए । हरिद्वार में पी ए सी बटालियन भी है उसका भी सुरक्षा की दृष्टिगत उपयोग किया जा सकता है व जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक भी चुस्त दुरुस्त है जिनमे कार्य करने की क्षमता दिखाई देती है वही दीपक रावत ,हरवीर सिंह आदि तेज तर्रार अधिकारी भी मौजूद होने के साथ जी जान से काम मे जुटे डी आई जी अरुण मोहन जोशी व आई जी अजय रौतेला भी अनुभवी के रूप में बैठे है जो इस काम को बखूबी निभा सकते है
कितने है वेंटिलेटर अभी ?
वर्तमान में उत्तराखंड में 120 से 150 वेंटिलेटर ही उपलब्ध है व आज ही घोषणा हुई है कि 120 और केंद्र से प्राप्त होंगे जबकि कम से कम गणना भी करे तो ऊक्त विवरण व आंकलन के आधार पर 500 वेंटिलेटर उपलब्ध होना बहुत जरूरी है औऱ इसके लिए तत्काल व्यव्यस्था करनी होगी ।
यही फार्मूला यदि रुद्रपुर या राम नगर व इस तरफ विकासनगर /चकराता में भी अपना लिया जाए तो पहाड़ से आने वाले मरीजों के लिए भी आसानी हो जाएगी और इसी तर्ज पर सेंटर बनाये जा सकते है साथ ही बहुत कुछ जनता पर भी निर्भर करता है यदि जनता सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क का प्रयोग करे तो काफी बसहव सम्भव है और उत्तराखंड कोरोना से जीत सकता है ।