SC का केंद्र और राज्यों को निर्देश- 15 दिन में सभी प्रवासी मजदूर घर पहुंचाए जाएं
नई दिल्ली. प्रवासी मजदूरों के मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्टमें सुनवाई हुई. प्रवासी कामगारों की दुदर्शा पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्यों को निर्देश दिए हैं कि सभी प्रवासियों को 15 दिन में घर पहुंचाया जाए. कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों को रिकॉर्ड पर लाना है कि वे कैसे रोजगार और अन्य प्रकार की राहत प्रदान करेंगे. प्रवासियों का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए.
4,200 से अधिक ‘विशेष श्रमिक ट्रेन’ चलाई गईं : सरकार
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इन प्रवासी कामगारों की दयनीय स्थिति का स्वत: संज्ञान लिए गए मामले की वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये सुनवाई के दौरान अपनी मंशा जाहिर की. इस बीच, केंद्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि इन प्रवासी श्रमिकों को उनके पैतृक स्थान तक पहुंचाने के लिए तीन जून तक 4,200 से अधिक ‘विशेष श्रमिक ट्रेन’ चलाई गयी हैं.
1 करोड़ से ज्यादा लोगों को घर पहुंचाया गया: सरकार
मेहता ने कहा कि अभी तक एक करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है और अधिकांश ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार में खत्म हुई हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें बता सकती हैं कि अभी और कितने प्रवासी कामगारों को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है ओर इसके लिए कितनी रेलगाड़ियों की जरूरत होगी. इस मामले में अभी सुनवाई जारी है.
शीर्ष अदालत ने 28 मई को निर्देश दिया था कि अपने पैतृक स्थान जाने के इच्छुक सभी प्रवासी कामगारों से ट्रेन या बसों का किराया नहीं लिया जाए. न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि रास्ते में फंसे श्रमिकों को संबंधित प्राधिकारी नि:शुल्क भोजन और पानी मुहैया कराएंगे.