देश का नाम इंडिया से भारत करने की याचिका / चीफ जस्टिस बोबडे की छुट्‌टी के कारण सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, अभी अगली तारीख तय नहीं

  • दिल्ली के किसान नमह ने ये याचिका लगाई थी, उनका कहना है कि इंडिया नाम अंग्रेजों ने दिया था
  • याचिकाकर्ता का तर्क- देश के असली नाम भारत को ही मान्यता दी जानी चाहिए

नई दिल्ली. देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई टल गई।इस याचिका पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ को सुनवाई करनी थी, लेकिन मंगलवार को सीजेआई की छुट्‌टी के कारण इसे टाल दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए अभी अगली तारीख तय नहीं की है।
दिल्ली के किसान नमह ने जनहित याचिका दायर कर संविधान के आर्टिकल-1 में बदलाव की मांग की है। इसी के जरिए देश को अंग्रेजी में इंडिया और हिंदी में भारत नाम दिया गया था।

इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच में होनी है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इंडिया नाम हटाने में भारत सरकार की नाकामी अंग्रेजों की गुलामी का प्रतीक है। देश का नाम अंग्रेजी में भी भारत करने से लोगों में राष्ट्रीय भावना बढ़ेगी और देश को अलग पहचान मिलेगी।

देश के इतिहास को भुलाना नहीं चाहिए: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता का कहना है कि प्राचीन काल से ही देश को भारत के नाम से जाना जाता रहा है। लेकिन, अंग्रेजों की 200 साल की गुलामी से मिली आजादी के बाद अंग्रेजी में देश का नाम इंडिया कर दिया गया। देश के प्राचीन इतिहास को भुलाना नहीं चाहिए। इसलिए देश के असली नाम भारत को ही मान्यता दी जानी चाहिए।

‘1948 में संविधान सभा में भी इंडिया नाम का विरोध हुआ था’
याचिकाकर्ता का कहना है कि अंग्रेज गुलामों को इंडियन कहते थे। उन्होंने ही देश को अंग्रेजी में इंडिया नाम दिया था। 15 नवंबर 1948 को संविधान के आर्टिकल-1 के मसौदे पर बहस करते हुए एम. अनंतशयनम अय्यंगर और सेठ गोविंद दास ने देश का नाम अंग्रेजी में इंडिया रखने का जोरदार विरोध किया था। उन्होंने इंडिया की जगह अंग्रेजी में भारत, भारतवर्ष और हिंदुस्तान नामों का सुझाव दिया था। लेकिन उस समय ध्यान नहीं दिया गया। अब इस गलती को सुधारने के लिए कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे।

देश का नाम भारत ही लिखा और बोला जाना चाहिए: आचार्य विद्यासागर
जैन संत आचार्य विद्यासागर भी इंडिया नाम को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। भारत को भारत कहा जाए, ये बात वे अपने प्रवचनों में कहते रहे हैं। वे 2017 से देशव्यापी अभियान भी चला रहे हैं। कुछ दिनों पहले ‘भारत बने भारत’ नाम से एक यू-ट्यूब चैनल भी शुरू किया गया है।

आचार्य कहते हैं कि जब हम मद्रास का नाम बदल कर चेन्नई कर सकते हैं, गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम कर सकते हैं तो इंडिया को हटाकर भारत करने में क्या दिक्कत है? श्रीलंका जैसा छोटा सा देश पहले सीलोन के नाम से जाना जाता था, अब श्रीलंका के नाम से जाना जाता है, तो हम क्यों गुलामी के प्रतीक इंडिया को थामे हुए हैं। हमें भी अपने गौरवशाली भारत नाम को अपनाना चाहिए।

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