विदेश में नौकरी / लीगल तरीके से विदेश जाना ही सेफ, अवैध एंट्री से पैसा बर्बाद व जेल भी
- स्टूडेंट्स वीजा से विदेश में स्टडी करने जा सकते हैं, इसके लिए आईईएलटीएस और पीटीई होना जरूरी, वर्क भी कर सकते हैं
अम्बाला. स्टूडेंट्स वीजा से विदेश में स्टडी करने के लिए जा सकते हैं। इसके लिए आईईएलटीएस और पीटीई होना जरूरी है, ताकि इंग्लिश बढ़िया हो। इसके बाद संबंधित देश की यूनिवर्सिटी से ऑफर लेटर आने पर एंबेसी में दस्तावेज जमा कराने होते हैं। फिर हायर एजुकेशन के लिए जा सकते हैं। इसके लिए उम्र 18 से 26 साल तक है। अम्बाला में लगभग 40 इंस्टीट्यूट इमीग्रेशन के हैं जो स्टडी वीजा लगवाते हैं। स्टडी के साथ वर्क भी किया जा सकता है। विदेश में साल भर में चार माह की जो अलग अलग छुट्टियां होती हैं उनमें हररोज वर्क कर स्टूडेंट्स अपना खर्च निकाल लेते हैं। इसके बाद पोस्ट स्टडी वीजा मिलता है और उसके बाद परमानेंट रेजिडेंसी (पीआर) मिलने की संभावना है।
वर्क वीजा से भी विदेश में की जा सकती है नौकरी
वर्क वीजा से भी विदेश में नौकरी की जा सकती है। इसके लिए काम में स्किल्ड होना जरूरी है। अगर विदेश में किसी कंपनी, अस्पताल को एंप्लाॅई की जरूरत होती है और उसे अपने देश में स्किल्ड कर्मी नहीं मिलते, वह बाहर से लोगों को बुला सकती है। इसलिए जॉब में काबिल होना जरूरी है। या इंडिया के अलावा अन्य देश में कंपनी के ऑफिस हैं तो वहां कर्मी का ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके लिए ऑफर लेटर जरूरी है।
टूरिस्ट वीजा से भी जा सकते हैं विदेश
टूरिस्ट वीजा से भी विदेश जा सकते हैं। टूरिस्ट से देश की जीडीपी में बढ़ोतरी होती है। वह घूमने के लिए जो खर्च करते हैं। वह देश का रेवन्यू होता है। टूरिस्ट वीजा के लिए सही सेटल्ड होना जरूरी है। इसलिए इनकम टैक्स रिटर्न देखी जाती है। विदेश की एंबेसी रिटर्न देखने के बाद विश्वास होने के बाद ही वीजा देती है कि व्यक्ति घूमने के बाद वापस अपने देश आ जाएगा। अगर उसे लगता है कि टूरिस्ट वीजा लेने के बाद आदमी गायब हो जाएगा तो वीजा नहीं दिया जाता। इसके अलावा इमिग्रेशन हिस्ट्री भी देखी जाती है कि कहीं वह किसी देश से डिपोर्ट तो नहीं हुआ है। अगर किसी के बच्चे बाहर सेटल हैं और अपने माता पिता को बुला रहे हैं तो उन्हें टूरिस्ट वीजा आसानी से मिल जाता है।
पीआर मिलने में लगते हैं 8 माह से 2 साल
परमानेंट रेजिडेंसी भी मिल सकती है, लेकिन इसमें 8 माह से दो साल का वक्त लग जाता है। अगर किसी देश में किसी प्रोफेशन की जरूरत है और उस देश में उसकी शॉर्टेज है तो अन्य देशों से नर्सेस, डॉक्टर, फार्मास्युटिकल स्टाफ तो वह देश सीधा पीआर के लिए बुलाते हैं। इसमें प्वाइंट बेस्ड सिस्टम होता है और इसके लिए हाई स्किल्ड पर्सन होना चाहिए।