बिहार के श्रमिकों ने रिस्पना में जाम लगाकर किया प्रदर्शन
देहरादून में सोमवार की सुबह बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए श्रमिकों ने देहरादून-हरिद्वार मार्ग पर रिस्पना में जाम लगाकर प्रदर्शन किया. हालांकि, कुछ ही देर बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने उनको तितर बितर कर दिया. प्रदर्शन करने वाले श्रमिकों में 95 फीसदी बिहार के थे. ये सभी श्रमिक सिर्फ और सिर्फ घर जाना चाहते हैं. उनकी मांग थी कि सरकार उनको घर भेजे. कैमरा देखते ही ये श्रमिक नीतीश कुमार मुर्दाबाद के भी नारे लगाने लगे .
लॉकडाउन फेज वन और फेज टू के बाद लॉकडाउन फेज थ्री में कुछ रियायत मिलने के बाद इन श्रमिकों को उम्मीद थी कि उन्हें कुछ काम धंधा जरूर मिल जाएगा. इसी उम्मीद में ये श्रमिक रोज सुबह घरों से निकलकर सड़क किनारे आ जाते हैं. लेकिन अब कोरोना के डर से कोई भी काम देने को तैयार नहीं. इन्ही श्रमिकों में से एक दीपक कुमार का कहना है कि अब जेब में एक रुपया भी नहीं बचा. अभी तक लोग खाना बांट भी रहे थे, लेकिन अब वो भी बंद हो गया. ऊपर से कमरे का किराया भी देना होता है. ये सब बिना काम धंधे के संभव नहीं है. बस सरकार अब घर भेज दे.
श्रमिक मंगल सिंह बिहार सरकार से बेहद खफा है
श्रमिक मंगल सिंह बिहार सरकार से बेहद खफा है. उसका कहना है कि नीतीश कुमार कुछ नहीं कर रहे हैं. तमाम राज्य अपने लोगों को निकाल रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार हमारी सुध नहीं ले रहे हैं. बिहार सरकार ने कहा था कि हम प्रदेश में फंसे लोगों के खाते में पैसे डालेंगे. मंगल सिंह का कहना है कि इस उम्मीद में खाता भी खुलवाया, लेकिन कोई पैंसा नहीं आया.
करीब 40 हजार से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं
उत्तराखंड में ऐसे करीब 40 हजार से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं. 25 हजार के आसपास श्रमिक रिलीफ कैम्पों में हैं, जो अपने घरों को जा रहे थे और रास्ते में पकड़ लिए गए. इनमें से अधिकांश मजदूर असंगठित क्षेत्र के हैं.उत्तराखंड सरकार श्रमिकों के खाते में लॉकडाउन फेज वन में हजार-हजार रुपए डाल चुकी है और लॉकडाउन फेज टू का भी हजार-हजार रुपए और देने का वायदा किया है. लेकिन, इसका लाभ सिर्फ उन्हीं श्रमिकों को मिलेगा जो श्रम विभाग में रजिस्टर्ड हैं. शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि सरकार धीरे-धीरे लोगों को भेजने का काम कर रही है. बिहार सरकार से ट्रेन भेजने की बातचीत चल रही है.