प्रवासियों को लाये…. पर संभल के ….गांव में फैल न जाए कोरोना वायरस…
“जिन वाहनों में इन लोगों को घरों को भेजा जा रहा है उनमें भीड़ से कुछ भी फर्क नहीं पड़ता क्योंकि सभी की मेडिकल जांच हो चुकी है….ARTO
अल्मोड़ा. उत्तराखंड में दो लाख से ज़्यादा लोग वापस अपने घर आने के लिए तैयार हैं और हज़ारों की संख्या में लोगों की वापसी शुरु हो गई है लेकिन ज़रूर एहतिहात न बरती जाने के वजह से प्रदेश में कोरोना वायरस, कोविड-19, फैलने का ख़तरा बढ़ता जा रहा है. यह चिंताजनक इसलिए है क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण के लिहाज से शांत पड़े प्रदेश में प्रवासियों के लौटने के साथ ही फिर से कोविड-19 संक्रमण के केस सामने आए हैं. इसके बावजूद प्रशासन संसाधनों की कमी का रोना रोते हुए ज़रूरी ऐहतिहात बरतने से बच रहा है. ऐसे में कई ग्राम प्रधानों ने डीएम को पत्र लिखकर गांवों में क्वारंटीन किए जाने की व्यवस्थाएं नहीं होने का के बारे में बताया है और ऐसे सभी लोगों को सार्वजनिक भवनों में रुकवाने की मांग की है.
अल्मोड़ा ज़िले में ही अन्य राज्यों से अभी तक 2200 लोग अपने घरों को लौट गए हैं जबकि 15000 प्रवासियों ने वापस आने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है. अल्मोड़ा में तो लोगों की सिर्फ़ मेडिकल जांच कर उनके घरों को भेजा जा रहा है.
गुरुग्राम से लौटे लाल सिंह ने बताया कि प्रवासियों को जिन वाहनों में लाया जा रहा है वहां सोशल डिस्टेंस का ध्यान नहीं रखा जा रहा. बस में क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाया जा रहा है. अल्मोड़ा पहुंचने के बाद भी उन्हें गांवों तक भेजने के बजाय आधे रास्ते तक ही पहुंचाने का इंतज़ाम किया जा रहा है जबकि सोशल डिस्टेंस का पालन पूरी प्रक्रिया में नहीं किया गया.
‘सोशल डिस्टेंसिंग की ज़रूरत नहीं’
एआरटीओ केएस पलडिया ने कहा कि कोशिश की जा रही है कि सोशल डिस्टेंस का पालन करवाया जाए लेकिन वाहनों की संख्या कम होने के कारण कुछ दिक्कतें आ रही हैं. जिन वाहनों में इन लोगों को घरों को भेजा जा रहा है उनमें भीड़ से कुछ भी फर्क नहीं पड़ता क्योंकि इन सभी की मेडिकल जांच हो चुकी है.
स्थानीय ड्राइवर खीम सिंह ने कहा कि जब हम टैक्सी लेकर बाजार में जा रहे है तो पुलिस और प्रशासन सिर्फ़ 50 फीसदी ही सवारी लेकर जाने दे रहे है जबकि प्रवासियों को लाने के लिए क्षमता से अधिक लोगों को रोजवेज़, निजी बसों और टैक्सियों में भेजा जा रहा है.