क्वारंटाइन किए गए हजारों लोगों पर नजर

COVID-19 के खतरे को देख क्वारंटाइन किए गए लोगों की मूवमेंट पर नजर रखने के लिए पुलिस ने इनके मोबाइल में एक सॉफ्टवेयर डाउनलोड किया है. इसके जरिए इन लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है.

देहरादून. COVID-19 की लड़ाई में प्रशासन के लिए सबसे ज्यादा मुसीबत क्वारंटाइन किए गए लोगों को उनके घरों या क्वारंटाइन कैंप या सेंटर पर रोकना है. ऐसे हजारों लोगों पर एक साथ कैसे नजर रखी जाती है? कैसे यह सुनिश्चित किया जाता है कि इतनी बड़ी संख्या में मौजूद लोगों में से कोई अपने घर से चुपके से निकलकर बाहर न चला जाए? जवाब है टेक्नोलॉजी. उत्तराखंड में पुलिस इसके लिए आधुनिक तकनीक का सहारा ले रही है, जिससे क्वारंटाइन किए गए लोग प्रशासन और पुलिस की आंखों में धूल न झोंक सकें.

यहां से रखी जा रही नज़र

देहरादून में ही कई ऐसे मामले सामने आए हैं कि क्वारंटाइन किए गए लोग सेंटर से भाग खड़े हुए या अपने घरों से बेवजह शहर में निकल रहे हैं. इसलिए इन हजारों लोगों पर नजर रखने के लिए पुलिस ने इनके मोबाइल पर एक सॉफ्टवेयर डाउनलोड किया है. इसके जरिए इन लोगों के हर मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है.

उत्तराखंड सरकार के इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी (ITDA) में स्मार्ट सिटी कन्ट्रोल रूम CCTV का मॉनिटरिंग रूम है. इस रूम में एक बड़ी स्क्रीन लगी है, जिसमें क्वारंटाइन लोगों की मूवमेंट की गतिविधि पर नजर रखी जाती है. इस सॉफ्टवेयर की वजह से देहरादून में क्वारंटाइन के नियमों को तोड़ना आसान नहीं रह गया है.

कैसे पकड़े जाते हैं लोग

क्वारंटाइन किए गए लोग अपने घरों से बाहर निकलते हैं, तो उनकी लोकेशन इस स्क्रीन में नजर आ जाती है. लाल, बैंगनी और नीले रंगों से क्वारंटाइन किए गए व्यक्ति की लोकेशन का पता चलता है. लाल रंग किसी के बाहर जाने का संकेत होता है. जैसे ही कोई शख्स क्वारंटाइन सेंटर से बाहर जाता है, कंट्रोल रूम इसकी सूचना पुलिस को दे देता है. पुलिस तुरंत मौके पर पहुंचकर उसे वापस भेज देती है.

धोखा देना आसान नहीं 

ITDA के इस कंट्रोल रूम में ही स्मार्ट सिटी का कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. यहां कोविड-19 ट्रैकर के अलावा पर्यावरण पर भी नजर रखी जाती है. यहां राजधानी में गैसों के रिसाव और प्रदूषण पर भी नज़र रखी जाती है. राजधानी के उन अस्पतालों, जिनमें कोविड-19 मरीज़ों का इलाज किया जा रहा है और क्वारंटाइन सेंटर पर भी कंट्रोल रूम के जरिए नजर रखी जा रही है. स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम में पूरे देहरादून जिले पर सीसीटीवी से नजर रखी जाती है.

देहरादून के जिलाधिकारी और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सीईओ आशीष कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि ट्रैकिंग सॉफ़्टवेयर को धोखा देना आसान नहीं है. क्वारंटाइन किया गया व्यक्ति अगर अपना मोबाइल घर पर ही छोड़कर बाहर निकलता है तो आधे घंटे में ही पता चल जाता है कि वह फ़ोन के पास नहीं है. इस पर कंट्रोल रूम से संबंधित पुलिस थाने में सूचना दे दी जाती है और उसे वापस सेंटर पहुंचा दिया जाता है.

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