1.75 लाख चाहते हैं घर वापसी… 18 हज़ार अब तक पहुंचे : उत्पल कुमार सिंह

देहरादून. कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन और नौकरियों पर संकट की वजह से पौने दो लाख प्रवासी उत्तराखंडी वापस अपने घर आना चाह रहे हैं. शुक्रवार दोपहर तक अन्य राज्यों से 18156 प्रवासियों को वापस लाया जा चुका है. प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने आज फ़ेसबुक लाइव में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि दूसरे राज्यों से उत्तराखण्ड आने के लिए 1,75,880 प्रवासियों ने पंजीकरण कराया है. इनमें से 18156 लोगों को लाया जा चुका है. अगले 3 दिन में गुड़गांव से 8700 लोगों को लाने के प्लान पर काम किया जा रहा है. अहमदाबाद, सूरत, पुणे के साथ ही केरल से भी प्रवासी लोगों को लाने के लिए ट्रेन के बारे में रेल मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों से बात हुई है. कंट्रोल रूम के कॉल सेंटर में 45 हजार से अधिक कॉल रिसीव की गई हैं.

ऋण, अनुदान की व्यवस्था 

मुख्य सचिव ने कहा कि जो प्रवासी उत्तराखण्ड लौट कर आ रहे हैं, राज्य सरकार को उनके रोज़गार की भी चिंता है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री स्वरोज़गार योजना को मंज़ूरी दी गई है. इसमें निर्माण और सेवा क्षेत्र में अपना काम करने के लिए ऋण व अनुदान की व्यवस्था की गई है. इसी प्रकार और भी अनेक योजनाओं पर विचार किया जा रहा है.

मुख्य सचिव ने बताया कि उत्तराखण्ड में फंस गए दूसरे राज्यों के 20 हजार लोगों ने वापस अपने राज्य जाने के लिए पंजीकरण कराया है, इनमें से 4780 को भेज दिया गया है.
दिव्यांग कर्मचारियों को कार्यालय न बुलाएं

प्रदेश में कोविड-19 के एक्टिव केस 17 रह गए हैं. आज 06 कोरोना संक्रमित व्यक्ति ठीक हो गए हैं. राज्य में कोरोना के मामले, दोगुना होने की दर में लगातार सुधार हो रहा है. अब यह दर बढ़कर 96 दिन हो गई है. राज्य में कोविड-19 में रिकवरी रेट 74 प्रतिशत है. प्रदेश में एक समय कंटेनमेंट जोन 21 हो गए थे जो कि अब घटकर सात रह गए हैं. इनमें 5 देहरादून, एक हरिद्वार और एक ऊधम सिंह नगर में हैं. इस प्रकार राज्य में कोविड-19 को नियंत्रित करने के प्रयास सफल हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दिव्यांग कर्मचारियों को सामान्य परिस्थितियों में सरकारी कार्यालयों में न बुलाने के निर्देश दिए हैं. मुख्य सचिव ने बताया कि लॉकडाउन-3 में सरकारी कार्यालयों को खोला गया है. इनमें अधिकारियों व कर्मचारियों की उपस्थिति के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. महिला कर्मचारी जो गर्भवती हैं या जिनके 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं, को सामान्य परिस्थितियों में कार्यालय आने से छूट दी गई है. इसी प्रकार 55 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारियों को भी सामान्य परिस्थितियों में नहीं बुलाया जा रहा है.

उद्योग संचालन की मंज़ूरी

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में जिलों से 307 कार्यों को अनुमति दी गई है. इसमें 16600 कार्मिकों व श्रमिकों का नियोजन होगा. इसके अलावा 4747 उद्योगों को संचालन के लिए अनुमति दी गई है. इनमें 1 लाख 75 हजार श्रमिकों का नियोजन होगा. इनमें से बहुत सी इकाइयों ने काम शुरू कर दिया है.

ग्रामीण अंचलों में स्वयं सहायता समूहों विशेष तौर पर महिला स्वयं सहायता समूहों ने विषम परिस्थितियों में भी उल्लेखनीय काम किया गया है. 3580 स्वयं सहायता समूहों जिनके 12000 से अधिक सदस्य हैं, द्वारा 11 लाख मास्क तैयार कर संस्थाओं को उपलब्ध कराए गए हैं.

कोविड-19 में जरूरतमंदों को सहायता पहुंचाने में बहुत से स्वयं सहायता समूह सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं. बहुत से स्वयं सहायता समूह, आर्थिक गतिविधियां कर रहे हैं. ऊधमसिंहनगर जिले के पहानिया में 600 से अधिक महिलाएं मूंज घास से हस्तशिल्प में काम कर रही हैं.

फ़ायर सीज़न में स्थिति बेहतर

मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में वनों में फ़ायर सीजन है. मौसम आदि कारणों से पिछले वर्ष की तुलना में स्थिति कहीं अधिक बेहतर है. पिछले वर्ष इस समय तक वनाग्नि के 298 मामले आए थे जिसमें 351 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई थी. इस वर्ष 18 मामले वनाग्नि के सामने आए हैं. इससे 11 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है. लगभग 6700 फायर वाचर की ड्यूटी लगी हुई है.

गर्मियों के सीजन में पानी के सम्भावित संकट को देखते हुए विभागीय स्तर पर तैयारी की गई है. 801 ग्रामीण व 347 शहरी बस्तियों को सम्भावित पेयजल संकट वाली बस्तियों के रूप में चिन्हित की गई हैं. यहां पेयजल आपूर्ति के लिए टैंकर आदि का उपयोग किया जा रहा है. 31 मई तक जलमूल्य व सीवर मूल्य की वसूली स्थगित की जा चुकी है साथ ही इस अवधि का सरचार्ज भी नहीं लिया जाएगा.

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