मीडिया सलाहकार ने अपनो पर ही सवाल खड़े किए ।
- देहरादून : आज मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार ने अपनी ही सरकार को बेचारी और लाचारी कह कर कटघरे में खड़ा कर दिया और सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गए ।
हुआ यूं कि आज मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने भावनाओ के अभिभूत होकर पहली बार अपनी मीडिया सलाहकार की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए एक पोस्ट प्रकाशित की जिसके स्क्रीन शॉट यहां प्रकाशित किये जा रहे है :-
व रमेश भट्ट के लेख में प्रमुख अंश यह है :-
लेकिन सोशल मीडिया पर मीम बनने लगते हैं, गालियां दी जाती हैं, सरकार पर सवाल नहीं उठाया जाता बल्कि सीधे मुख्यमंत्री पर प्रहार किया जाता है। यह ट्रेंड केवल इस मुद्दे पर ही नहीं है। पिछले कुछ समय से कुछ स्वयम्भू पत्रकार, छुटभैये नेता, चाटुकार और सोशल मीडिया पर भेड़चाल चलने वाली नासमझों की फौज एक सोची समझी साजिश के तहत त्रिवेंद्र के खिलाफ एजेंडा चलाते जा रहे हैं।
आगे मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट लिखते है कि ……
” हैरानी तब होती है जब पूरा शासन प्रशासन आंख मूंद कर बैठा है। मुखिया के खिलाफ लोग अंट शंट लिखते हैं और सब चुप रह जाते हैं। न तो मुख्य सचिव, न गृह सचिव, न तो पुलिस विभाग और न ही खुद को सरकार का करीबी बताने वाले सरकार के फैसलों के समर्थन करते। सवाल ये है कि मुखिया को अपशब्द कहने वालों पर एक्शन क्यों नहीं हुआ? क्या किसी और राज्य में ऐसा हो सकता था? क्या इसके पीछे किस गिरोह की साजिश है, इसका पर्दाफाश नहीं होना चहिए? “
यह था मुख्यमंत्री मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट के लेख का अंत का पैराग्राफ ।
अब बात करते है इस लेख के विश्लेषण की …..
अपनी सरकार के अधिकारियों,मुख्य सचिव,गृह सचिव,पुलिस विभाग,और खुद को सरकार का करीबी बताने वाले (करीबियों) यानी 5 सांसदों,13 जिला पंचायत अध्यक्षो,70 दायित्वधारी,58 विधायको को ,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ,महामंत्री, संगठन मंत्री आदि सबको कटघरे में खड़ा करना यह संकेत देता है कि मुख्यमंत्री कार्यालय की भी कहीं नही चल रही है तभी दुसरो से दरियाफ्त की जा रही है । इसका मतलब क्या है ?कही मुख्यमंत्री कार्यालय किसी के कब्जे में तो नही ? क्या मुख्यमंत्री कार्यालय कोई और चला रहा है ? या कोई सोची समझी साजिश है ईमानदार छवि के संवेदनशील मुख्यमंत्री को बदनाम करने की ?
क्योंकि इस लेख से यह तो स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री कार्यालय व सलाहकारो में सब कुछ ठीक ठाक शायद नही चल रहा वरना इतने अहम पद पर बैठा शख्स ऐसी निम्न स्तर की बात कैसे लिख सकता है जिसे अपने पद की गरिमा व उसकी ताकत का भी न पता हो । मीडिया सलाहकार का ही यह फ़र्ज़ है कि वो मुख्यमंत्री के मीडिया मैनेजमेंट को देखे ,खबरों का संज्ञान ले,जनता में,मीडिया में क्या चल रहा है उसकी स्तिथि को भांप कर उस समय के देश,काल,परिस्तिथियों के अनुसार कार्य करे व जो लोग अपना विरोध कर रहे है उनसे संवाद करे,समय समय पर प्रेस वार्ता करे , छोटे -बड़े मीडिया से सीधा संवाद करे,भेदभाव को दूर करे,सूचना विभाग का सही सदुपयोग करे ।
पर यहां तो यह मीडिया सलाहकार ऐसे व्यक्ति को बनाया गया है जिसे कोई पत्रकार जानता ही नही व यह मीडिया सलाहकार ही पत्रकारों को नही जानते और शायद जानने की कोशिश भी नही करना चाहते अन्यथा आज विवश होकर इस प्रकार का लेख लिखने को मजबूर न होते उल्टा मीडिया से बढ़िया संवाद कर मुख्यमंत्री कार्यालय की इज़्ज़त में चार चांद लगा देते ।
शायद मीडिया सलाहकार यह समझते है कि फेसबुक और ट्विटर पर मैसेज डालना ही मीडिया सलाहकार का काम है और कुछ नही …हमारीं सम्मानित रमेश भट्ट जी को सलाह है कि महोदय चुनाव आने वाले है और अच्छे मीडिया सलाहकार का काम है कि हर क्षण चुस्त और दुरुस्त होकर कार्य करें । कम से कम कोरोना के चलते सब पत्रकारों को एक फ़ोन करके उनका दुख सुख ही पूछ लिया होता कि भाई कैसे हो चलो आर्थिक मदद न सही राशन को ही पूछ लिया होता यह नौबत न आती ।
देखना यह है कि स्वच्छ,निष्पक्ष व सम्वेदनशील छवि के ईमानदार मुख्यमंत्री इस तथ्य पर बहुत जल्दी क्या निर्णय लेते है ? ।