कोरोना महामारी से लड़ने के लिए भारत ने दिखाई नेतृत्व क्षमता!

नई दिल्ली।VON NEWS: कोरोना महामारी के बीच जहां विश्व-स्तरीय अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता है और हर देश अपनी समस्या से ही पार पाने की कोशिशों में जुटा है, भारत ने नेतृत्व की क्षमता दिखाई है। ऐसे वक्त में जब ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी जैसे देशों के हाथ कांप रहे हैं और अमेरिका जैसी महाशक्ति ने यह कहते हुए हाथ खड़ा कर दिया है कि हालात बिगड़े तो बीस लाख अमेरिकियों की भी मौत हो सकती है।

देशव्यापी लॉकडाउन एक साहसिक निर्णय

ऐसे में वक्त से 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन जैसे साहसिक निर्णय के कारण ही भारत अब तक ऐसे स्थान पर खड़ा है कि आइसीएमआर आशावादी भरोसा जता रहा है। यह कह रहा है कि भारत में लोगों ने पूरा साथ दिया तो स्थिति बिगड़ने नहीं दी जाएगी। वहीं इस बुरे दौर में सामाजिक हालात और अर्थव्यवस्था को सहारा देने की योजना मे भी भारत ने नेतृत्व दिखाया है।

 

जी-7 और जी-20 में गरीबों की मदद के लिए भारत की पहल पर राहत योजना हुई घोषित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर ही पहले जी-7 और फिर जी-20 देशों की बैठक में यह बात सामने आई कि हमें सामूहिक रूप से इस आपदा से निपटना चाहिए तथा मानवीय मूल्यों पर पहले गौर करना चाहिए। जब देश के अंदर गरीबों की मदद की बात आई तो भारत ने ही पहल की। मोदी सरकार की ओर से 1.70 लाख करोड़ रुपये की राहत योजना की घोषणा की गई। उसके दूसरे दिन अमेरिका में ट्रंप सरकार ने भी 2 ट्रिलियन डालर की योजना की घोषणा की जो आकार मे तो भारत से बहुत बड़ी दिख सकती है।

ट्रंप की घोषणा में मोदी की सोच की झलक

दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में फर्क के लिहाज से यह अंतर दिखना लाजिमी भी है, लेकिन अगर सोच की बात की जाए तो ट्रंप की घोषणा में मोदी की सोच की झलक दिखती है। ट्रंप ने उसी तरह डायरेक्ट ट्रांसफर की बात की है जिसकी आधारशिला मोदी ने 2014 में पहली बार सरकार बनाने के साथ ही शुरू कर दी थी। या यूं कहा जा सकता है कि भारत में जन धन खाता , आधार और मोबाइल के जरिए एक ऐसा दूरगामी ढांचा खड़ा कर दिया था जिसके जरिए लोगों तक सीधी और तत्काल मदद पहुंचाने का रास्ता तैयार था।

अमेरिकी पैकेज में हर व्यक्ति को 1200 डालर की मदद

अमेरिकी पैकेज में सालाना 75 हजार डालर कमाने वाले व्यक्ति को 1200 डालर की मदद सीधे खाते में ट्रांसफर की जाएगी। अगर पति पत्‍‌नी की कमाई डेढ लाख डालर से कम है तो उन्हें 2400 डालर की मदद मिलेगी। प्रति बच्चा भी 500 डालर दिया जाएगा। यह सब कुछ सोशल सिक्योरिटी नंबर से जुड़ा होगा और उनके आयकर रिटर्न के अनुसार उनकी आमदनी के आधार पर तय होगा।

भारत में महिलाओ के बीस करोड़ जनधन खाते में आएंगे 1500 रुपये 

जबकि भारत में महिलाओ के बीस करोड़ जनधन खाते में तीन महीने के लिए कुल 1500 रुपये जाएंगे। मनरेगा मजदूरों की रोजाना मजदूरी में 20 रुपये की बढ़ोत्तरी, तीन करोड़ वरिष्ठ नागरिकों, विधवा, दिव्यांग के खाते में हजार रुपये, लगभग नौ करोड़ किसानों के खाते में दो-दो हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। आधार और जनधन खाता के कारण यह मदद सीधे बैंक में पहुंचेगी।

डाक्टरों व नर्सों के लिए 50-50 लाख का बीमा 

एक बड़ी मानवीय सोच उन डाक्टरों व नर्सों को लेकर दिखाई गई है जो कोरोना से सीधे जंग लड़ रहे हैं। उनके लिए 50-50 लाख के बीमा का इंतजाम किया गया है। अमेरिका में भारत के दूतावास के अधिकारियों की तत्काल प्रतिक्रिया यही थी कि अमेरिका सरकार भारत की तर्ज पर ही योजना लेकर आई है। सरकार की पहल पर ही आरबीआइ ने मध्यम वर्ग को भी ईएमआइ, लोन ब्याज दर में राहत दी है

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