गांव का कोरोना कंट्रोल मैनेजमेंट, सतर्क हैं और सकारात्मक भी

गाजियाबाद VON NEWS:Positive India: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे पर हापुड़ से ठीक पहले बायीं ओर करीब पचास कदम की दूरी पर एक बुजुर्ग अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थे। तीन छोटे बच्चे पेड़ के नीचे खटिया और कुर्सी पर बिखर कर बैठे थे। शायद पुराने किस्सों की चर्चा छिड़ी थी। पास ही महिलाएं कंडे पाथ रहीं थीं। यह नजारा है सोमवार को मसूरी गांव का, जो एनएच 9 के किनारे बसा है।

हां वही, जहां से दो दिनों तक बड़ी संख्या में घर लौटने वालों का काफिला गुजरता रहा। जहां एक तरफ देूश ही नहीं दुनिया भर में कोरोना की चर्चा है, डर है और भविष्य को लेकर आशंका है। वहीं इस गांव में ही नहीं आसपास के कई गांवों में नजारा अलग था, लोग सावधान दिखे और मिजाज सकारात्मक था।

विदेशी ऐसी बीमारियां लाते हैं : नोएडा मोड़ से लालकुआं के पास पहली बेरिकेडिंग मिली। पुलिस ने हमारा मास्क और दस्ताने चेक किए, वजह पूछकर जाने की अनुमति दी। मसूरी गांव में धान काट रहे प्रेमपाल से मिले। कोरोना का जिक्र छिड़ते ही बोल पड़े, विदेशी शहरों में आते हैं, वही ऐसी बीमारियां लाते हैं। गांव में बाहरी लोग कम ही आते हैं। बीमारी की खबरों के बाद से तो गांव के लोग भी अब बाहर नहीं जाते हैं। बीमारी बढ़ती, उससे पहले ही दिल्ली में पढ़ रहीं दोनों बेटियों को गांव बुला लिया था। गांव के एक व्यक्ति को भेजकर जरूरी सामान जनता कर्फ्यू से पहले ही जुटा लिया था। पास ही कंडे पाथ रहीं मोमिना और परवीन एक दूसरे से थोड़ा हटकर बैठी थीं। कोरोना से कैसे बचाव कर रही हैं, पूछने पर बोलीं – अभी तक सर्दियों में गर्म पानी पीते थे, अब दोबारा शुरू कर दिया है। सफाई रखते हैं और खाने में साग सब्जी और दूध बढ़ा दिया है।

शारीरिक दूरी को लेकर सचेत : मसूरी से निकलकर अच्छेजा गांव पहुंचे। यहां एक समूह अपने-अपने दरवाजे पर बैठकर बतिया रहा था। दरअसल, शारीरिक दूरी रखते हुए एक सजग नागरिक का किरदार निभा रहे थे। कोरोना शब्द कहते ही जयपाल सिंह बोल पड़े – हम लोग अपनी सुरक्षा के प्रति खुद ही सजग हैं। पिछले दो दिनों में गुजरने वालों को पानी पिलाया और गांव वालों की सुरक्षा के प्रति भी सतर्क हैं। बताया कि गांव के राजवीर का लड़का लखनऊ से साइकिल चलाकर दो दिन पहले गांव पहुंचा तो उसकी जांच के लिए हेल्पलाइन नंबर पर कॉल की गई। दिल्ली में रह रहीं हफ्ते भर पहले आईं इमराना के बच्चे की तबीयत खराब होने पर उसकी भी सूचना दी गई।

सेहतमंद खाने के आगे कोई वायरस नहीं टिकता : कई किमी आगे गांव अटूटा मिलता है जहां एक बुजुर्ग के रूप में ऊर्जा का सजीव उदाहरण मिलता है। कोरोना पर चर्चा को तवच्जो ही नहीं देते, कहते हैं सेहतमंद खाने के आगे कोई वायरस नहीं टिकते। यहीं निशा अपनी बेटी के साथ कंडे लेने आईं थीं। कहती हैं टीवी पर बताए जाने वाले सारे उपाय कर रहे हैं। पड़ोस के गांव टिहरी में खेत में पालक काट रहे लोगों का एक समूह मिला। सभी दूर दूर बैठे थे और वहां मौजूद बच्चा मास्क पहने था। कोरोना से लड़ाई के सवाल पर विनोद कहते हैं कि हम अपना ध्यान रख रहे हैं लेकिन समाज के प्रति भी जिम्मेदारी हैं। साफ-सफाई करके सब्जी बंद घरों में रह रहे लोगों तक पहुंचानी है। पहले गाजियाबाद तक जाते थे अब तिलकवां पर ये सब्जियां पहुंचानी है। गांव की ही सीमा कहती हैं कि डरने की कोई बात नहीं बस सावधान रहें। समय तो बीत ही जाता है। हमारा तो कढ़ाई बुनाई में दिन गुजरता है, बाकी समय खेतों पर कटता है।

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