एक दिन के नवजात को नाली में फेंका,
मंदसौर/शामगढ़ VON NEWS: . आंखें खोलने से पहले ही एक दिन के मासूम ने दुनिया देख ली। दरअसल, रविवार शाम कोई उसे “मस्जिद” के पास नाली में फेंक गया। रोने की आवाज सुन रहवासी एकत्र हुए, लेकिन उसे उठाने की किसी ने हिम्मत तक नहीं जुटाई। इसी बीच हब्बन आपा (75) ने कागज की सहायता से नवजात को बाहर निकाला। उसे अस्पताल में भर्ती कराया। 6 संतानों को जन्म देने वाली हब्बन अम्मा ने बच्चे को गोद लेने की भी इच्छा जताई।
“शामगढ़ अस्पताल” के बीएमओ डॉ. राकेश पाटीदार ने बताया कि अस्पताल लाते समय बच्चे की हालत नाजुक थी। थोड़ी-सी देर बच्चे की जान का खतरा बन सकती थी। उसके हाथ-पैर नीले पड़ने लग गए थे। ऑक्सीजन देकर प्राथमिक इलाज किया। आईसीयू की सुविधा के लिए 108 एम्बुलेंस की सहायता से नवजात को जिला अस्पताल भेजा। जहां डॉक्टरों ने चेकअप के बाद उसे भर्ती किया। नवजात अब पूरी तरह स्वस्थ है।
बच्चों को समर्पित करने के जिले में हुए दो मामले
तत्कालीन बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने बताया कि दिसंबर 2016 में महिला के पहले से 5 बच्चे थे। घरेलू हिंसा के तहत उसने बच्चे नहीं रखने की बात कही थी। दूसरा मामला नवंबर 2017 का है। इसमें महिला 7 साल से विधवा थी। उसने गर्भधारण कर लिया। सामाजिक बुराइयों से बचने के लिए उसने बच्चे को जन्म देकर शिशु स्वागत केंद्र पर समर्पित किया।
“सीसीटीवी” कैमरे में नजर आए संदिग्ध लोग
केंद्रीय दत्तकग्रहण अभिकरण (कारा) एक पोर्टल है। शिशु गृहों में निवासरत बच्चे इस पर अपलोड होते हैं। गोद लेने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होता है। प्रतीक्षा सूची अनुसार कारा के माध्यम से बच्चे आवंटित हाेते हैं। शामगढ़ थाना एसआई गौरव लाड़ ने बताया मसजिद सहित आसपास के सीसीटीवी कैमरों की जांच की है। इसमें 2 महिलाएं व एक पुरुष दिखाई दे रहे हैं। जल्द खुलासा करेंगे।
अनचाही संतान को कर सकते हैं समर्पित
जेजे एक्ट में यह प्रावधान है कि कोई बच्चे को समर्पित कर सकता है। जिले में 38 शिशु स्वागत केंद्र हैं। जहां बगैर पहचान और कारण बताए बच्चे को छोड़ा जा सकता है। किसी नवजात की जान लेना गंभीर अपराध है। विशेषज्ञों के मुताबिक कोई मां इतनी क्रूर नहीं होती जो बच्चे को फेंक दे। महिला कहीं न कहीं सामाजिक बुराइयों की शिकार होगी। वह अविवाहित या विधवा हो सकती है।
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