राज्य सरकार ने किसानों के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए!

VON NEWS: इस वर्ष राज्य सरकार ने किसानों के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए। पं.दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना में बिना ब्याज के किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे ऋण की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रूपए कर दिया गया है। अब राज्य के किसान और काश्तकार अपनी जरूरतों के लिए तीन लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के ले सकते हैं। इसी प्रकार स्वयं सहायता समूह पांच रूपए तक का ब्याज मुक्त ऋण का लाभ ले सकते हैं।

पहले यह ऋण की सीमा कम थी। योजना प्रारम्भ होने से अभी तक 4 लाख से अधिक किसानों और 1330 समूहों को 2062 करोड़ रूपए का ऋण वितरित किया जा चुका है। प्रदेश में पहली बार गन्ना किसानों का 100 प्रतिशत भुगतान, किया गया है। वन्यजीवों से फसलों की सुरक्षा के लिए व्यापक कार्ययोजना पर काम शुरू किया गया है। इसमें 4 वानर रेस्क्यू सेेंटरों की स्थापना, 125 किमी जंगली सूअर रोधी दीवार, 50 किमी सोलर फेंसिंग, 13 किमी हाथी रोधी दीवार, 250 किमी हाथी रोधी खाईयों का निर्माण शामिल है। जंगली जानवरों से खेती की सुरक्षा के लिए 94 गांवों में 101 किलोमीटर घेरबाड़ की गयी है। इस काम को और बढ़ाया जा रहा है। कैम्पा के तहत लगभग 10 हजार वनरक्षक तैनात किए जाएंगे।

केवल 1 रूपए में ग्रामीण घरों में पानी का कनेक्शन

वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एक और बड़ा जनहितकारी फैसला लिया। ग्रामीण घरों को पीने के पानी का कनेक्शन केवल 1 रूपए में दिया जा रहा है जो कि पहले 1360 रूपए था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के हर घर को नल से जल के मिशन को प्रदेश में तेजी से आगे बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। जल जीवन मिशन के काम को प्राथमिकता से लिया गया है। स्वयं प्रधानमंत्री जी उत्तराखण्ड में ग्रामीण घरों में केवल 1 रूपए में पानी का कनेक्शन देने और कोरोना काल में भी हजारों परिवारों को पानी का कनेक्शन देने पर इसकी सराहना की है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री ने शहरी क्षेत्रों में भी गरीब परिवारों को केवल 100 रुपये में पानी का कनेक्शन देने का निर्णय लिया है जो कि पहले 6000 रुपये था।

गुड गर्वनेंस के लिए ई गर्वनेंस

वर्ष 2020 की शुरूआत एक बड़ी पहल के साथ हुई। आठ जनवरी को प्रदेश मंत्रीमण्डल की पहली ई-केबिनेट बैठक हुई। राज्य में ई-आफिस की प्रक्रिया में भी तेजी लाई गई। सचिवालय के लगभग सभी अनुभागों में ई-आफिस शुरू किया जा चुका है। 3773 फाईलें ई-आफिस के माध्यम से बना दी गई हैं। सचिवालय के साथ ही 27 विभाग ई-आफिस प्रणाली के अन्तर्गत आ चुके हैं। देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर व ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी कार्यालयों में ई-आफिस प्रणाली शुरू। राज्य के हर न्याय पंचायत से ई-पंचायत सेवा उपलब्ध कराने वाला उत्तराखण्ड देश का तीसरा राज्य बन गया है। इसी प्रकार सी.एम.डैशबोर्ड ‘उत्कर्ष’: 205 की-परफोरमेंस इंडिकेटर के आधार पर लगभग सभी विभागों की महत्वपूर्ण योजनाओं की मुख्यमंत्री जी द्वारा रीयल टाईम माॅनिटरिंग की जा रही है। सी.एम. हैल्पलाईन ‘1905’ में अभी तक 35 हजार से अधिक शिकायतकर्ताओं की समस्याओं का 24 घण्टे से लेकर एक सप्ताह के भीतर समाधान किया जा चुका है। सेवा का अधिकार के तहत वर्ष 2017 तक केवल 10 विभागों की 94 सेवाएं आती थी, जिन्हे कि वर्तमान सरकार ने बढ़ाकर 27 विभागों की 243 सेवाएं किया है।

हेल्थ सिस्टम को मजबूती और कोरोना से जंग

कोराना काल में राज्य में हेल्थ सिस्टम को काफी मजबूत किया गया है। राज्य में  पर्याप्त संख्या में कोविड अस्पताल, आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, आक्सीजन सपोर्ट बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। वर्ष 2017 में जहां प्रदेश में केवल 3 जनपदों में आई0सी0यू0 थे वहीं अब राज्य के सभी  जनपदों में आई0सी0यू0 स्थापित किए जा चुके हैं। अब अन्य उप जिला और बेस अस्पतालों में भी आई.सी.यू बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राज्य के जिला अस्पतालों में आक्सीजन पाईपलाईन की व्यवस्था की जा रही है। अप्रैल माह में ई-संजीवनी ओपीडी की शुरूआत की गई। 03 राजकीय मेडिकल कालेज (देहरादून, श्रीनगर तथा हल्द्वानी) संचालित हैं और 04 (अल्मोड़ा, रुद्रपुर, हरिद्वार तथा पिथौरागढ़) का कार्य गतिमान है। अटल आयुष्मान योजना में लगभग 40 लाख लोगों के गोल्डन कार्ड और 2 लाख 12 हजार मरीजों को निःशुल्क उपचार, जिन पर 203 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया गया है।

राज्य और जिला स्तर पर कोविड-19 वैक्सीन वितरण और भण्डारण के लिये टास्क फोर्स गठित की गई है। इसका आवश्यक डाटा संकलित किया जा चुका है, अन्य तैयारियां गतिमान हैं। 15 मार्च को राजधानी देहरादून में जब कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आया तो सूबे में सीमित स्वास्थ्य सुविधाएं थी। लेकिन जैसे-जैसे कोरोना का दौर आगे बढ़ा अडिग इरादों के साथ मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती की दिशा में कदम आगे बढ़ाने प्रारंभ किए। नतीजा, आज राज्य का स्वास्थ्य विभाग किसी भी तरह की स्थितियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

मार्च 2020 में जहां राज्य भर में कुल आईसोलेशन बेड्स की संख्या 1200 ही थी तो वह कई गुना बढ़कर 31505 तक पहुंच गई। जब कोरोना आया तो केवल हल्द्वानी की लैब में ही इसकी जांच की सुविधा थी, लेकिन समय बढ़ने के साथ आज राज्य की 13 सरकारी जबकि 15 प्राइवेट लैबों में कोरोना संक्रमण की जांच का कार्य किया जा रहा है। प्राइवेट लैब में जांच के शुल्क को निर्धारित किया गया है। दिसंबर 2020 में राज्य के विभिन्न अस्पतालों में कुल 710 वेंटिलेटर स्थापित किए जा चुके हैं जबकि मार्च में इनकी संख्या महज 116 थी।

इसी तरह आईसीयू बेड से लेकर आक्सीजन सपोर्ट बेडों की संख्या आज कई गुना बढ़ चुकी है। कोविड संक्रमण से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 11 डेडिकेटेड कोविड अस्पताल, 27 कोविड हेल्थ सेंटर व 422 कोविड केयर सेंटरों का निर्माण किया है। कोविड काल में 476 डाक्टरों को तैनात किया गया। जांचों की संख्या में काफी बढ़ोतरी की गई है।

प्रति मिलियन सेम्पल की संख्या 143852 है जबकि भारत में यह संख्या 120368 है। उत्तराखण्ड में पाॅजिटीवीटी प्रतिशत 5.34 जबकि भारत में 6.25 है।

कोरोना काल में राज्य सरकार ने प्रवासियों सहित प्रदेशवासियों को राहत पहुंचाने का हर सम्भव प्रयास किया। 61.94 लाख लाभार्थियों को पांच किलो चावल और एक किलो दाल का निःशुल्क वितरण किया गया। प्रवासियों को निःशुल्क राशन दिया गया। बिना राशन कार्ड वालों को भी राशन उपलब्घ कराया गया। लाॅकडाउन में प्रवासियों को निःशुल्क वापस लाया गया। 50 हजार से अधिक आंगनबाड़ी और आशा कार्यकत्रियों को कोरोना वारियर्स के रूप में बेतहर कार्य करने हेतु 02-02 हजार रुपये की सम्मान राशि दी गई। मनरेगा में 7 लाख 66 हजार से अधिक श्रमिकों को रोजगार दिया गया इनमें 01 लाख से अधिक नये पंजीकृृत श्रमिक हैं। पर्यटन, उद्योग, परिवहन, कृषि सहित तमाम क्षेत्रों को रियायतें दी गईं। पर्यटन व्यवसाय में पंजीकृत सवा 2 लाख गाइड, राफ्टर, पोर्टर और परिवहन विभाग में पंजीकृत 25 हजार आटो ई-रिक्शा संचालकों को सहायता राशि प्रदान की गई।

धरातल पर उतरीं महत्वपूर्ण परियोजनाएं

राजनीतिक नेतृत्व की दृढता व इच्छा शक्ति से किस तरह से सालों से अधर में लटके काम समय बद्धता से पूरे किए जा सकते हैं, डोबरा चांठी पुल इसका बड़ा प्रमाण है। आज डोबरा चांठी पुल का निर्माण कार्य पूरा होने से 3 लाख से ज्यादा की आबादी लाभान्वित हो रही है। इसी प्रकार मुनि की रेती, ऋषिकेश में 48 करोड़ की लागत से बने 346 मीटर लम्बे जानकी सेतु को भी लोकार्पित किया जा चुका है।

पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लॉक में भैरवगढ़ी ग्राम समूह पम्पिंग पेयजल योजना से इलाके के 75 गांवों और तोक को पानी मिलने लगा है। देहरादून में सूर्यधार झील लोकार्पित की जा चुकी है। सौंग बांध परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है। इससे देहरादून शहर व आसपास के क्षेत्रों की वर्ष 2050 तक की अनुमानित आबादी को ग्रेविटी आधारित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।

इस वर्ष ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में भी तेजी आई है। न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया गया है। उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ में बी.आर.ओ द्वारा निर्मित 08 पुलों का लोकार्पण किया गया। इन सभी पुलों का सामरिक दृष्टि से तो महत्व है ही, स्थानीय लोगों को भी इसका बहुत लाभ मिलेगा। पिथौरागढ़ में इन पुलों की लम्बे समय से मांग थी। है। प्रधानमंत्री जी ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के शुरू होने से उत्तराखण्ड से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं।

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