नानाजी देशमुख के विचारों की प्रासंगिकता आज भी कायम
VON NEWS: राष्ट्र के उत्थान के लिए अपने “जीवन” को समर्पित करने वालों की चर्चा होते ही एक नाम हमारे सामने आता है ‘भारत रत्न’ नानाजी देखमुख का। नानाजी देशमुख आज भी प्रासंगिक हैं तो उसका सबसे बड़ा कारण है उनका सामाजिक जीवन में नैतिकता और राष्ट्र सेवा के लिए संकल्पबद्ध होकर कठिन परिश्रम करना। उनके राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन की शुरुआत संघ के स्वयं सेवक के रूप में हुई थी।
संघ के प्रचारक के साथ वह जनसंघ के “संस्थापक” सदस्यों में थे। आपातकाल के बाद देश में हुए लोकसभा चुनाव के उपरांत नानाजी देशमुख उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। बतौर सांसद उन्होंने अनेक उल्लेखनीय कार्यों को अंजाम दिया। नानाजी ने बिना किसी भेदभाव के ग्रामीण अंचलों में शिक्षा और स्वास्थ्य की बुनियादी समस्याओं को दूर करने का काम किया।
यह बात सर्वविदित है कि उन्होंने ग्रामीण विकास का एक ऐसा आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया जिसमें ग्रामीण भारत स्वावलंबन की तरफ अग्रसर हुआ। जैसे नानाजी ने गोंडा और चित्रकूट के पास सैकड़ों गावों की तस्वीर को बदल दिया। बीती सदी के आठवें दशक में समुद्री तूफान से “ओडिशा” और आंध्र प्रदेश के बड़े इलाके में मची भयंकर तबाही के बीच वहां जाकर लोगों की मदद करने के साथ-साथ अनेक गावों का पुनर्निर्माण करने का कार्य उन्होंने सफलतापूर्वक किया। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नानाजी देशमुख के ग्रामीण विकास से प्रेरणा लेते हुए ऐसे अनेक कार्यों की शुरुआत की है जिसमें नानाजी के विचारों की गहरी छाप दिखती है। मोदी सरकार ने देश के सभी गांवों में बिजली की सुविधा पहुंचाई, खादी की बिक्री आज अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है, आयुष्मान योजना के माध्यम से पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज लोगों का हो रहा है।
ऐसे कई किस्से हैं जिसमें नानाजी ने अपने अदम्य साहस से कई गावों की तस्वीर बदली। नानाजी ने कई ऐसे कार्य शुरू किए जिनका उद्देश्य ग्रामीण आबादी का उत्थान करना था। उन्होंने गरीबी दूर करने के लिए “कृषि, ग्रामीण“ स्वास्थ्य, ग्रामीण शिक्षा के साथ कुटीर उद्योग को भी बढ़ावा देने की दिशा में भगीरथ प्रयास किया। किसानों की दशा सुधारने के लिए उन्होंने एक योजना की शुरुआत की जिसका उद्देश्य था ‘हर हाथ को काम और हर खेत में पानी’। चित्रकूट परियोजना के अंतर्गत नानाजी ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के पांच सौ से अधिक गांवों के पुनर्निर्माण करके एक अमिट छाप छोड़ी।
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