उत्तराखंड में नए शैक्षणिक सत्र में हल्का होगा बस्ते का बोझ,जानिए

देहरादून,VON NEWS: नए शैक्षणिक सत्र से उत्तराखंड में भी सरकारी और निजी स्कूलों के लाखों विद्यार्थियों के बस्ते का बोझ कम हो जाएगा। इसके लिए कवायद शुरू हो गई है। शिक्षा निदेशालय ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से स्कूल बैग का भार कम करने के लिए दिए दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करवाने के लिए सभी जिलों को आदेश जारी कर दिया है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में रटने से ज्यादा जोर सीखने पर दिया गया है। इसी को देखते हुए नई शिक्षा नीति में कक्षावार छात्र-छात्राओं के बैग का वजन भी निर्धारित किया गया है। अब पहली कक्षा से लेकर 10वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के बस्ते का वजन उनके शारीरिक वजन का 10 फीसद से ज्यादा नहीं होगा। वहीं, प्री-प्राइमरी के बच्चों के लिए बैग लाना अनिवार्य नहीं होगा। स्कूल बैग का भार जांचने के लिए प्रधानाचार्यों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को यह व्यवस्था सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में प्रदेश में अपर निदेशक प्राथमिक शिक्षा वीएस रावत ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों और जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर नए सत्र से केंद्र सरकार के निर्देशों को पूरी तरह अमल में लाने का निर्देश दिया है। अपर निदेशक प्राथमिक शिक्षा ने बताया कि इस संबंध में जल्द ही अधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक भी की जाएगी।

नियम का सख्ती से लागू होना जरूरी

दून के अभिभावकों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से लगभग हर साल बस्ते को लेकर दिशा-निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन स्कूलों में इन्हें लागू नहीं किया जाता। बच्चों के बस्ते का बोझ इतना अधिक होता है कि उसे उठाने में बड़ों की भी हालत खराब हो जाए। नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट राइट़्स के अध्यक्ष आरिफ खान ने कहा कि उनकी एसोसिएशन कई दफा बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने की मांग उठा चुकी है

अब नई शिक्षा नीति के माध्यम से यह नियम लागू होने की उम्मीद है। लेकिन, यह तभी संभव होगा जब इसका सख्ती से पालन कराया जाए। वहीं, चकराता रोड स्थित पूजा शर्मा ने बताया कि उनका बेटा एक निजी स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ता है। हर विषय की मुख्य और सप्लीमेंट्री किताबें इतनी हो जाती हैं कि बस्ता अपने आप ही भारी हो जाता है। पूरी कॉपी-किताब न दें तो स्कूल में बच्चे को डांट पड़ती है।

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