विकासनगर रजिस्ट्री दफ्तर/SDM ऑफिस घोटाला: MDDA से नक्शा कैसे पास हुआ ? मुख्यमंत्री जी ये भी चौंकाने वाले सबूत लीजिये SIT जांच तो पहले भी हुई थी
MDDA कोई भी नक्शा पास करने से पहले शपथ पत्र लेता है कि यदि कोई कोर्ट या विवाद हुआ हुआ तो नक्शा निरस्त कर दिया जायेगा तो इस मामले में जब कि शाशन ने स्वयं ही स्वीकार किया हुआ है कि सिविल केस , स्वामित्व विवाद लंबित है तो नक्शा कैसे पास हुआ और पास हुआ तो अब यह तथ्य जानकारी में आने पर निरस्त क्यों नहीं किया जा रहा ??
सुभारती मेडिकल झाजरा घोटाला Part -2 SDM, तहसीलदार मौन क्यों ? हाई कोर्ट के निर्देश पर बनाई शासन की कमेटी ने गलत रिपोर्ट दी /धामी सरकार के खिलाफ षड्यंत्र में शामिल खंडूरी के ख़ास और OSD रहे अरुणेंद्र सिंह चौहान क्या शामिल है ?”कृषि”, पट्टे और SC की जमीन पर MDDA से नक्शा कैसे पास हुआ ? और अभी तक SDM और तहसीलदार ने कारवाही क्यों नहीं की ?
देहरादून : हालांकि जिलाधिकारी सोनिका जब शासन में अपर सचिव ,चिकित्सा शिक्षा के पद पर तैनात थी तो उनके पास सुभारती से संबंधित जांच गई थी,परंतु क्योंकि वो उस समय उनके ही विभाग के शीर्ष अधिकारी के विरुद्ध थी, तो उन्होंने जांच से मना कर दिया था कि उन्होंने लिखा कि जांच गलत संदर्भित की गई है, ये प्रकरण याद दिलाता है कि जिलाधिकारी सोनिका को सुभारती घोटाले की जानकारी है और आशा की जा रही है कि वे तत्काल भ्रष्टाचार को लगाम लगाएंगी ।
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वॉयस ऑफ नेशन ने पिछले दिनों मेरठ, उत्तरप्रदेश से उत्तराखंड में आकर 3 हत्याओं के आरोपी एवं 35 अपराधिक मुकदमों एवं सीबीआई द्वारा IPC SECTION 302,120 B आरोपित अतुल भटनागर एव उनके पार्टनर यशवर्धन रस्तोगी द्वारा किया गया सबसे बड़ा मेडिकल फर्जी वाड़ा उजागर किया था जिसमें नकली आदमी खड़ा करके गोल्डन फॉरेस्ट, नदी,पट्टे,एवं उत्तराखंड सरकार की जमीन की रजिस्ट्री करवाई गई थी और यही नहीं फर्जी पट्टे विनिमय , नकली कागज बना कर राज्य सरकार से एमबीबीएस खोलने के लिए अनिवार्यता प्रमाण पत्र हासिल किया गया तथा फर्जीवाड़ा करके रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के नाम से कोर्ट में विवादित जमीन पर केबिनेट,विधान सभा को गुमराह कर पास करवाई है ।
सुप्रीम कोर्ट ने भी सुभारती के फर्जीवाड़ा कें चलते पहले भी 2016 से 2019 के 300 छात्रों को राज्य के मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट करने के आदेश दिए क्योंकि अनिवार्यता प्रमाण पत्र तो राज्य सरकार जारी करती है जिसमे यह लिखा होता है कि भविष्य में किसी भी फर्जीवाड़ा या गड़बड़ के चलते राज्य सरकार छात्रों की जिम्मेदारी लेगी और इसीलिए राज्य सरकार की बदनामी भी होती है । अभी तक 4 साल बीतने पर भी राज्य के मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे 300 छात्रों को पढ़ाने का जो बोझ राज्य सरकार पर 97 करोड़ रुपए पड़ा ,उसके भी पैसे सुभारती ने राज्य सरकार को नही भरे यही कारण है कि सब खामोश है और इतने बड़े भ्रष्टाचार के बावजूद भी अपर सचिव रहते अरुणेंद्र सिंह चौहान ने यह नहीं कहा ये तक नही कहा कि पहले पिछले पैसे 97 करोड़ पूरे जमा करो उल्टा आयुष्मान योजना से तत्समय इस बंद हॉस्पिटल को 4 करोड़ का भुगतान कैसे हुआ यह बड़ी जांच का विषय है और मात्र एक शपथ पत्र लेकर एनओसी जारी कर दी और वो भी एनएमसी के नए फॉर्मेट में नही बल्कि पुराने फॉर्मेट में क्योंकि नए फॉर्मेट में सबकी पोल खुल जाती । सुभारती ने 17 बीघा ग्राम समाज की जमीन कब्जाई हुई थी जिस पर काफी आंदोलन चला ।
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सुभारती ने जो जमीन झाझरा में खरीदी उसमे कई खसरा नंबर की शासन से खरीदने की अनुमति नहीं है यहां तक जो जमीन खरीदने का शासन ने G.O . जारी किया उसमे स्पष्ट है कि न्यायालय में लंबित केसों में जमीन खरीदने की अनुमति नहीं है तथा पट्टे, ग्राम समाज से लगी, नदी से लगी, गोल्डन फॉरेस्ट से लगी,अनुसूचित जाति ,विनिमय, धारा 34, धारा 161 आदि की जमीन खरीद अनुमन्य नही है जबकि सुभारती की रजिस्ट्रीयो / सेल डीड की चेन ऑफ डॉक्यूमेंट की जांच की जाए तो पता चलेगा कि सारा का सारा फर्जीवाड़ा किया गया है और नकली लोग, पट्टे ,विनिमय, एससी और नदी,सरकार एवम गोल्डन फॉरेस्ट के बीच की जमीनों की रजिस्ट्री कागजों का हेर फेर करके ,तहसील /एसडीएम के यहां दोनो तरफ अपने आदमी खड़े करके ,नकली लोगो से पावर ऑफ अटॉर्नी लेकर तथा मरे हुए लोगो की पावर ऑफ अटॉर्नी बनाकर अथवा जो उत्तराखंड कभी आए ही नही उनकी पावर ऑफ अट्रोनी बनाकर रजिस्ट्री की गई है यहां तक की एक तरसेम नमक व्यक्ति को तीन अलग अलग अलग रूप में पेश कर रजिस्ट्री करवाई गई ।
विनोद कुमार वियोगी नामक व्यक्ति जो देहरादून आया ही नहीं उसकी भी फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बनाकर रजिस्ट्री करवाई गई ।
उत्तराखंड में पावर ऑफ अट्रॉनी से रजिस्ट्री 2002 में ही बैन हो गई थी जबकि सुभारती ने जिन रजिस्ट्रीयो को करवाया उनमें पूर्व में 2003 एवं 2004 की भी रजिस्ट्रीयां शामिल है
उक्त सभी तथ्यों के आधार पर जिलाधिकारी को, जिन्होंने चिकित्सा शिक्षा निदेशक के आदेशों से सुभारती अटैच किया हुआ है 97 करोड़ की देनदारी कें चलते शासन के G.O. के विपरीत कार्य एवं खरीद बिक्री करने के चलते एवम G.O. में उल्लिखित बिंदु के चलते तत्काल समस्त भूमि राज्य सरकार में निहित कर देनी चाहिए और कृषि भूमि पर कोर्ट में सिविल, स्वामित्व एवं अन्य वादों के चलते MDDA ने जो 3 महीने के लिए टेंपरेरी नक्शा पास किया उसको निरस्त कर देना चाहिए एवम ध्वस्ति करण की करवाही करनी चाहिए
देखिए एक ही तरसेम और फोटो अलग अलग जबकि असली तरसेम बहरीन में है और उसका पासपोर्ट :-
असली तरसेम ( बहरीन का पासपोर्ट ) एवम पंजाबी में हस्ताक्षर :
सिविल जज विकासनगर के यहाँ लंबित वादों को शाशन ने भी स्वीकार किया है तो और क्या सबूत चाहिए ? तो MDDA से नक्शा कैसे पास हुआ ?
लैंड फ्रॉड कमिटी कई महीने से मौन क्यों ? और सितम्बर 2022 से मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर की गयी शिकायत पर भी कोई कारवाही नहीं हुई है और पेंडिंग रखा जा रहा है जबकि आँखों से देखा और यहाँ सबूत छापा गया है और लैंड फ्रॉड कमिटी को सारे दस्तावेज दिए गए है
और इस रजिस्ट्री में फिलिप नाम का आदमी कोई और है
इसी प्रकार सुभारती और झाझरा भूमि घोटाले में संलिप्त माफियाओ सहित उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के चांसलर जितेंद्र जोशी पर भी अन्य मामलो कि SIT की जांच और FIR की कॉपी देखे :-
अब देखना यह है कि एक्शन में नज़र आ रहे ताबड़तोड़ मुआयना कर रहे धामी इस मुद्दे पर क्या आदेश देते है ?