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उत्तराखंड में कार्यरत इस अधिकारी का उत्तराखंड कैडर अंतिम आवंटन 2008 के उपरांत वित्त विभाग,उत्तराखंड शाशन द्वारा 2009 की उत्तराखंड की वरिष्ठता सूची में नाम दिया गया तो उत्तर प्रदेश राज्य की वरिष्ठता सूचि 2012 में कैसे आया ? पढ़े पूरी खबर ।क्या है मामला ?

इससे इस बात की पुष्टि होती है कि अरुणेंद्र सिंह चौहान को आज तक उत्तराखंड में अंतिम आवंटन नहीं हुआ और आज भी उत्तर प्रदेश कैडर में ही नाम चल रहा है

उत्तराखंड : उत्तर प्रदेश से दो अधिकारियों ने आपसी सहमति के आधार पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड आवंटन मांगा पर दूसरा कभी उत्तराखंड आया नही और पहला अंतिम आवंटन तो दिखा रहा है पर भारत सरकार की अनुमति/एनओसी पत्रावली में नहीं है । तथा दोनों राज्यों एवं केंद्र की सहमति भी पत्रावली पर नहीं है 
दूसरा बड़ा सवाल यह है कि यदि 2008 में अंतिम आवंटन उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड हो गया और उत्तराखंड की वरिष्ठता सूची 2009 में नाम भी आ गया तो उत्तर प्रदेश राज्य के द्वारा अरुणेंद्र सिंह चौहान को  उत्तर प्रदेश राज्य की वरिष्ठता सूचि  वर्ष 2012 में 411 नम्बर पर कैसे दिखाया गया ?  यानी दाल में कुछ कही पर काला है या दाल ही काली है ।
देखे सरकारी आदेश :

यदि उक्त अधिकारी का अंतिम रूप से आवंटन वर्ष 2008 में उत्तराखंड राज्य में हो गया था और उत्तराखंड की वरिष्ठता सूचि 2009 में नाम आ गया था तो उत्तर प्रदेश राज्य के द्वारा अरुणेंद्र सिंह चौहान की उत्तर प्रदेश राज्य की वरिष्ठता सूचि 2012 में 411 नम्बर पर कैसे आया ?

इससे इस बात की पुष्टि होती है कि अरुणेंद्र सिंह चौहान को आज तक उत्तराखंड में अंतिम आवंटन नहीं   हुआ और आज भी इनका नाम उत्तर प्रदेश कैडर में ही चल रहा है

इसीलिए तात्कालिक सचिव राज्यपाल द्वारा उक्त अधिकारी को 2019 में उत्तर प्रदेश कार्यमुक्त करने के आदेश दिए और आज तक उक्त पर मुख्य सचिव ,उत्तराखंड शाशन /सचिव वित्त द्वारा कोई कारवाही नहीं कि गयी है

इसलिए इनकी मूल तैनाती पर इस प्रकार का सवाल उठाया जाना कोई आश्चर्य चकित वाली बात नहीं है एक आम आदमी भी उक्त प्रक्रिया पर अपने सवाल पूछ सकता है

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