तकनीक के दौर में हथियार की तरह हो रहा है सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल

VON NEWS: इंटरनेट ब्रॉडबैंड और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं आज भारत के लोगों की जीवन-रेखा बन चुकी है। यह न केवल सूचनाएं प्राप्त करने और सोशल मीडिया के साथ-साथ संचार का साधन है, बल्कि उससे भी अधिक बड़ी अभिव्यक्ति के आजादी की सहायक है। आज के समय में वैचारिक और सूचना के आदान-प्रदान के लिए समुदायों और समाज के विभिन्न समूहों को आपस में जोड़ने हेतु सोशल मीडिया का प्रचलन बहुत बढ़ गया है। वाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक आदि कुछ लोकप्रिय साधन हैं जिन मंचों पर कुछ ऐसे कार्यकर्ता सक्रिय रहते हैं, जो सरकार, समाज और मीडिया पर नियंत्रण रखने की दृष्टि से समय-समय पर उनकी आलोचना में भी पीछे नहीं हटते। ऐसे कार्यकर्ता किसी घटना से जुड़कर उस पर तुरंत सुधारात्मक रवैया, न्याय या निष्पक्षता के लिए प्रतिकार, प्रतिशोध और दंड जैसे साधनों को अपनाए जाने पर जोर देने लगते हैं।

वैसे तो मीडिया सूचनाओं तथा आंकड़ों को संरक्षित व संप्रेषित करने का उपकरण है। मीडिया का कार्य सूचनाओं का एकत्रीकरण करना तथा उससे सभी को पारदर्शिता पूर्ण अवगत कराना है। सरकारी क्रियाकलापों तथा सामाजिक क्रियाकलापों को उजागर करना भी मीडिया का कार्य है। वैसे तो मीडिया सरकार को कार्यो के प्रति तथा उनके द्वारा किए गए वादों के प्रति कटिबद्धता को दिखाने के लिए मजबूर करती ही है, साथ ही उनके द्वारा किए गए सभी आधे-अधूरे कार्यो की सच्चाई को भी जनता तक पहुंचाती है। मीडिया का सबसे बड़ा योगदान लोकतंत्र में होता है, जो प्राय: विकास को प्रेरित करता है। इसीलिए कहा जाता है कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा बड़ा आधार स्तंभ होता है।

हथियार” की भांति इस्तेमाल हो रहा सोशल मीडिया 

मीडिया की ही एक शाखा सोशल मीडिया है जो आज टेक्नोलॉजी के युग में अलग-अलग रूपों में हमारे सामने आ रही है। आज फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम इत्यादि ऐसे माध्यम हैं जो लोगों को एक-दूसरे के मित्र तो बनाते ही हैं, साथ में इसकी लत लोगों में इस कदर लग जाती है कि फिर वो बच्चा हो या बूढ़ा या जवान सभी उसमें इस कदर चिपके होते हैं, जैसे गुड़ में मक्खियां। बहरहाल, हमारे लोकतंत्र ने हमें एक आजादी दी है, वो है अभिव्यक्ति की। हम अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र हैं। इंटरनेट और सोशल मीडिया एक जरिया है जहां लोग अपने विचार रख सकते हैं, पर आजकल लोग इसे हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी स्वतंत्रता के नाम पर महिलाओं के बारे में अभद्र टिप्पणी करना, लोगों का अपशब्द कहना, उन पर फिकरे कसना, उनका मजाक उड़ाना, ये सब आम हो गया है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल आज इंसान अभिव्यक्ति की आजादी से कहीं आगे बढ़कर करता जा रहा है, जो एक खतरा बन चुका है। आज सोशल मीडिया से मित्रता की संधि करते-करते लोग उस पराकाष्ठा को भी पार कर गए हैं जो एक दूसरे के प्राण तक लेने से नहीं कतराते हैं।

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