राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने घोषणा की है कि वह शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए नए मेडिकल कॉलेजों, सीट वृद्धि या नवीनीकरण के लिए मंजूरी नहीं देगा

CBI has identified the accused health ministry officials as Poonam Meena, Dharamvir, Piyush Malyan, Anup Jaiswal, Rahul Srivastava, Deepak, Manisha, and Chandan Kumar.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने घोषणा की है कि वह शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए नए मेडिकल कॉलेजों, सीट वृद्धि या नवीनीकरण के लिए मंजूरी नहीं देगा। यह निर्णय 1,300 करोड़ रुपये के रिश्वत कांड के प्रकाश में आने के बाद लिया गया है, जिसमें बुनियादी ढांचे, योग्य संकाय और पर्याप्त रोगी देखभाल सुविधाओं की कमी वाले संस्थानों को धोखाधड़ी से मंजूरी देना शामिल है।

चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में ईमानदारी बहाल करने के उद्देश्य से यह कदम केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गुजरात सहित कई राज्यों के 40 मेडिकल कॉलेजों पर की गई छापेमारी के बाद उठाया गया है। छापेमारी में अहमदाबाद के पास कलोल स्थित स्वामीनारायण मेडिकल कॉलेज भी शामिल था।

अधिकारियों ने बताया कि कई संस्थानों ने एनएमसी के अधिकारियों को रिश्वत देकर और न्यूनतम नियामक आवश्यकताओं को दरकिनार करके उससे मंजूरी हासिल की। ​​अब तक 36 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें केंद्र और राज्य के स्वास्थ्य विभागों के 11 लोग शामिल हैं।
हिरासत में लिए गए लोगों में निजी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े तीन डॉक्टर भी शामिल हैं। इस घोटाले में नामजद सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक एनएमसी के संयुक्त निदेशक डॉ. जे एल मीणा हैं। उन पर रिश्वत लेने का आरोप है।

मौजूदा संस्थानों द्वारा निर्धारित मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए, एनएमसी आने वाले हफ़्तों में निरीक्षण के लिए वरिष्ठ प्रोफेसरों की टीमें तैनात करेगा। सभी मेडिकल कॉलेजों को बिना किसी अपवाद के एनएमसी के मानदंडों का सख्ती से पालन करने की चेतावनी दी गई है।

इस फैसले को भारत के चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढांचे के विस्तार पर एक अभूतपूर्व रोक के रूप में देखा जा रहा है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि यह कदम नए कॉलेज शुरू करने या अपने प्रवेश बढ़ाने की इच्छुक निजी कंपनियों की योजनाओं को बाधित करेगा। हालाँकि, कई लोग इस बात से सहमत हैं कि व्यवस्था-व्यापी सफाई की बहुत देर हो चुकी है।

उत्तर प्रदेश के सुभारती मेडिकल कॉलेज पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एनएमसी निरीक्षण के दौरान दौरान फर्जी मरीज और फ़ैकल्टी दिखाने की जाँच सी बी आई द्वारा की जा रही है और देहरादून के गौतम बुद्ध सुभारती मेडिकल कॉलेज में बिना जमीन के दिखाए गए स्वामित्त्व और एसेंशियालिटी सर्टिफिकेट जारी किए जाने में भारी अनियमितताये और सुभारती द्वारा फर्जीवाड़ा करके सरकार को 87 करोड़ रुपए का चूना लगाने के मामले में देहरादून जिला न्यायालय के द्वारा आपराधिक वाद नोटिस भी 4 अधिकारियो को निकालने के आदेश दे दिए है

दरअसल उत्तराखंड कैग रिपोर्ट (CAG) 2024 द्वारा NMC के मानको को दरकिनार किए जाने के संबंध में फर्जीवाड़ा और अनियमित्ततायो को उजागर किया गया है जिसके संबंध में भारत सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय , सीबीआई और मुख्य सचिव उत्तराखंड को प्रधानमंत्री कार्यालय से जाँच सौंपी गई है । सुभारती के फर्जीवाड़ा के चलते 300 MBBS के छात्र सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट किए गया जिनपर पढ़ाने – लिखाने ,टीचर,इंफ्रा,लैब,परीक्षा आदि पर उत्तराखंड सरकार पर एक अरब रुपए का अतिरिक्त भार पढ़ा क्यूंकि जब राज्य सरकार NOC/एसेंशियालिटी सर्टिफिकेट/अनिवार्यता प्रमाण पत्र देती है तो उसमे लिखा होता है की यदि कॉलेज फेल हो गया या किसी कारण बंद हो गया तो सारे छात्रों की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी और यही 2019 में हुआ और श्री देव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज के नाम से खोले गए संस्थान को उत्तराखंड सरकार ने तत्कालीन निदेशक चिकित्सा सिक्षा युगल किशोर पंत के स्तर से जारी रिकवरी नोटिस में राज्य में मेडिकल कॉलेज खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया और अब वो छात्र पढ़ कर चले भी गए और विभागीय मंत्री और सरकार आज की तिथि तक ना तो पैसा वसूल पायी उल्टा नाम बदल कर गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यालय के नाम से नया एसेंशियालिटी सर्टिफिकेट/NOC दे दी जबकि निदेशालय एवं देहरादून जिलाधिकारी की संयुक्त निरीक्षण टीम ने उक्त सारे भ्रष्टाचार और अनियमितताओ सहित उक्त नाम बदले जाने के विषय में घोर आपत्ति सहित राजस्व अभिलेखों में नई संस्था एवं बदले हुए नाम से भी जमींन ना होने के कारण अनुमति ना दिए जाने के संस्तुति की थी परंतु तत्कालीन सचिव पंकज पांडे ने सभी मानकों को दरकिनार करते हुए और उक्त रिपोर्ट का संज्ञान ना लेते हुए दुबारा से सुभारती के फर्जीवाड़ा को अनुमति दे दी ।

उत्तराखण्ड के निजी मेडिकल कॉलेजों को गिरफ़्तार किये गए जे एल मीणा , मनीषा कुमारी,चंदन कुमार,पीयूष मालियाँन भी देख रहे थे और अब उनके सामय की सारी पत्रावलियाँ खंगाली जा रही है तथा अनुमति की पत्रावली किसके द्वारा किस आधार पर हस्ताक्षरित की गई इसकी भी जाँच की जा रही है ।

उच्च स्तर के सूत्रो के अनुसार अब फिर वही सब होने जा रहा है जिसका परिणाम इसी हफ़्ते में दिखने की उम्मीद व्यक्त की गई है

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