सचिन पायलट को ससुर फारुख अब्दुल्ला टीम का समर्थन या रणदीप सिंह को विधायको और आलाकमान का साथ ?

सचिन पायलट को ससुर फारुख अब्दुल्ला टीम का समर्थन  या रणदीप  को  विधायको और आलाकमान का  साथ ?


राजस्थान/नई दिल्ली/ हरियाणा/कश्मीर : वॉयस ऑफ नेशन ( मनीष वर्मा ) राजस्थान के कप्तान के रण में सबके कयास लगन शुरू हो गए है पर बाजी किसके हाथ लगेगी या आलाकमान और विधायक दल की सहमति के बाद तय होगा हालांकि आज सबकी टोह लेने पर्यवेक्षक जयपुर पहुंच रहें है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंदिरो के दर्शन करके  शाम 5 बजे तक जयपुर पहुंच जायेंगे ।

राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही सारी गतिविधियों को पटाक्षेप 28 से पहले हो जायेगा क्योंकि उस दिन अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद हेतु आवेदन भरेंगे वहीं दूसरी ओर शशि थरूर भी अपनी उम्मीदवारी जता चुके है पर दोनो में से कौन हाई कमान का चहेता है ये सबको मालूम ही है ।

इधर मुख्यमंत्री पद के लिए काफी समय से नूराकुश्ती भी चल रही है और गाहे बगाहे एक या दो नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सामने आते रहे है और अपने चहेतों के लिए उनका परिवार और उनके समर्थक लामबंद हुए दिखते है भले ही कोई सामने आकर लॉबिंग करे या परदे के पीछे रहकर पर सभी अपना कैंडिडेट मुख्यमंत्री के रूप में बनवाने का यत्न तो करते ही है ।

बात हाल फिलहाल की करें तो राजस्थान के कप्तान की रण में सबसे आगे वर्षो से संघर्षरत सचिन पायलट तो है ही साथ ही एक वरिष्ठ मंत्री भी अपनी लॉबिंग कर रहे है । वहीं सूत्रों की माने तो यह समाचार भी मिल रहा है कि सचिन पायलट को पोने चार साल बाद यानी चुनावों से सवा साल से पहले मौका दिया जाना , बहुत देर किए जाने जैसा है और ऐसे में जबकि सवा साल चुनाव का शेष है तो एक पेपर वेट मुख्यमंत्री की राजस्थान को आवश्यकता होगी और सचिन पायलट को इस कारण स्वयं ही यह चुनाव की बेला के नजदीक होने और सवा साल शेष जैसा अंतिम समय में दिया जा रहा पद नही लेना चाहिएं


जहां एक ओर सचिन पायलट को अपने समर्थकों , शुभचिंतकों और ससुर फारुख अब्दुल्ला और अपने साले उमर अब्दुल्ला का भी समर्थन प्राप्त है  तो दूसरी ओर सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार रणदीप सिंह सुरजेवाला को राजस्थान के अधिकांशत विधायको के समर्थन के साथ अशोक गहलोत टीम और हाईकमान का भीं समर्थन प्राप्त है और कारण सब जानते है कि रणदीप की मजबूत पृष्ठभूमि , कांग्रेस महासचिव होना और राहुल गांधी के सलाहकार  मंडल और सबसे बड़ी बात राजस्थान की पहले भी मुख्यमंत्री पद को लेकर उठे बबाल को शांत करने का अनुभव, पर्यवेक्षक के रूप में और राजस्थान की राजनीति को करीब से जानना है ।

बरहाल आज शाम की बैठक के बाद काफी कुछ तस्वीर साफ होने की उम्मीद की जा रही है 

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